
बच्चों के गलती करने पर उन्हें मारना तकरीबन हर घर की कहानी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और गलती को समझने की बजाय उनकी सोच में नकारात्मकता आने लगती है, जानिए
मेरे पड़ोस में रहने वाले एक सज्जन अपने बच्चे को हर छोटी-छोटी गलती पर मारते हैं। मार खाने के बाद उनके बच्चे ने मस्ती करना कम कर दिया। इस बात को लेकर वह बहुत खुश हुए कि चलो मारने का अच्छा असर हुआ। लेकिन दो-तीन पहले एक अजीब सी बात हुई, उनके बच्चे ने फिर से गलती की, और जब वह सज्जन उसे मारने लगें तो बच्चा चिल्लाते हुए बोला- ‘मारो कितना मारोगें.. मैं तैयार हूं। आप मुझे जान से तो नहीं मार पाओगे’ बच्चे की यह बात सुन कर वह सज्जन सन्न रह गये। उन्हें अपनी गलती समझ में आ गयी। उन्हें ‘मैरी कॉम’ फिल्म में प्रियंका चोपड़ा का वह डायलॉग याद आया, ‘किसी को इतना भी मत डराओ कि डर ही खत्म हो जाये।’ उन्होंने उसी समय यह तय किया कि अब बच्चे को वह हर बात प्यार से समझायेंगे।
दरअसल, बच्चों के गलती करने पर उन्हें मारना तकरीबन हर घर की कहानी है। शायद ही कोई परिवार ऐसा हैं, जो बच्चे के गलती करने पर चिल्लाते या उसे मारते नहीं हैं, बल्कि प्यार से समझाते हैं। जो लोग बच्चों को मारते हैं, वे यह भूल जाते हैं कि मार-मार कर वे अपने बच्चे के मन से सजा का डर ही खत्म कर रहे हैं। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से जानें कि बच्चों की पिटाई क्यों नहीं करनी चाहिए।
सजा का डर खत्म होना
खुद सोचें कि जब आप बच्चे को छोटी-छोटी गलती पर मार कर उसमें सजा का डर खत्म कर देंगे और बाद में वह कोई बड़ी गलती कर बैठेगा, तो आपके पास उसे सुधारने का क्या तरीका बचेगा? शायद कोई नहीं, क्योंकि आपने बच्चे को सजा का सबसे घिनौना तरीका (अतिप्रतिक्रिया) पहले ही दिखा दिया है। इसलिए बेहतर यही है कि आप बच्चों को प्यार से समझाएं।
अच्छे-बुरे में अंतर महसूस न होना
ज्यादातर पेरेट्स को लगता हैं कि बच्चों को सही या गलत का अंतर मार कर ही समझाया जा सकता है। अगर आपको भी ऐसा ही लगता है तो आप गलत है क्योंकि शायद मार खाने के बाद बच्चा पिटाई खाने वाला कार्य करना ही छोड़ दें। या ऐसा भी हो सकता है कि वो झूठ बोलना या उस बात को छुपाना शुरू कर दें जिस कारण उनको मार पड़ी है। बच्चों का झूठ बोलना सीखना या माता-पिता से बातें छुपाना आपको बच्चे से दूर कर सकता है।
मारना बच्चों के हित के लिए नहीं होता
माता-पिता का मानना है कि बच्चों की पिटाई उनके हित में होती है। लेकिन यह सोचना गलत है क्योंकि आपका गुस्सा बच्चे के हित के लिए नहीं बल्कि मारने के रूप में निकालता है। इसलिए मारने की बजाय आपको ये जानने की कोशिश करनी चाहिए कि आखिर वह आपकी बात क्यों नहीं मान रहा। समस्या का कारण और हल निकालना जरूरी है ना कि अपने बच्चे को मारना।
बच्चे को अपमान महसूस होता है
पेरेट्स अक्सर इस बात से अनजान रहते हैं कि बच्चे भी अपमान महसूस करते हैं। बच्चो को मार खाने से ज्यादा काफी दिनों तक मार खाने पर महसूस हुई बेबसी याद रहती है। इसलिए अपने बच्चे को इससे दूर रखना आवश्यक है, क्योंकि बच्चों के कोमल मन पर ऐसा बुरा असर उन्हें अशांत या डरा हुआ बना सकता है।
अधिक आक्रामक हो जाते हैं बच्चे
अगर हम बड़ों को भी कोई मारे तो हमें कैसा महसूस होगा? यही सोचक अपने बच्चों को मारना बंद कर दें और उनकी मासूमियत को मार-पिटाई से अंजाने में कुचलें नहीं। बचपन में सीखी बातें बड़े होने तक याद रहतीं हैं। क्या पता? आपकी मार आपके बच्चों को बड़े होने पर गुस्से वाला और बातमीज बना दें। यह बात एक शोध से भी साबित हुई है। शोध के अनुसार बच्चों को मारना-पीटना उन्हें अधिक आक्रामक बनाता है। साथ ही वे बुरा बर्ताव करने लगते हैं। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए क्या तरीके अपनाये जाते हैं, इसका उनके व्यवहार पर सीधा और गहरा असर पड़ता है। इससे इस बात पर कोई असर नहीं पड़ता कि बाकी समय में बच्चों के साथ आप कैसा बर्ताव करते हैं।
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