
कैंब्रिज यूनिवर्सिटि के एक नए अध्ययन से पता चला है कि मैन फ्लू वाकई में एक सच है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पुरुष महिलाओं की तुलना में कमजोर लिंग होते हैं और 'मैन फ्लू' मिथक नहीं है, बल्कि ऐसा वास्तव में होता है।
कई महिलाएं को पुरुषों से शिकायद होती है कि वे मामूली सर्दी को भी फ्लू व सरदर्द को माइग्रेन में बदल देते हैं। लेकिन क्या आपको नहीं लगता है कि पुरुष सच में ऐसा कर सकते है। जी हां, वैज्ञानिकों का कहना है कि 'मैन फ्लू' कोई मिथक नहीं है बल्कि ऐसा वास्तव में होता है। चलिये विस्तार से जानें क्या है ‘मैन फ्लू’ का मतलब और इससे जुड़े शोध क्या परिणाम देते हैं।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटि का शोध
कैंब्रिज यूनिवर्सिटि के एक नए अध्ययन से पता चला है कि मैन फ्लू वाकई में एक सच है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पुरुष महिलाओं की तुलना में कमजोर लिंग होते हैं। डेली एक्सप्रेस की खबर के अनुसार वैज्ञानिकों ने बताया कि, साहसिक कामों में ज्यादा लगे होने के कारण महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इंफेक्शन के खतरे अधिक होते हैं।
वैज्ञानिकों ने नर और मादा का अंतर बताने वाले कारकों में एक गणितीय मॉडल को लागू किया और पाया कि बीमारियों का साथ मर्द ज्यादा निभाते हैं, जबकि महिलाओं में ऐसा कम था। डॉ. ओलिवर रेस्टीफ और डॉ. विलियम एमोस की अगुवाई में किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि मर्दों के बीच आपसी प्रतिद्वंद्विता महिलाओं से ज्यादा होती है।
इसकी वजह मर्दों की कम जीयो, डट के जीयो की प्रवृत्ति है। इसका मतलब यह हुआ कि वे प्रतिरक्षा में ज्यादा खपत नही करते। ब्रिटिश समाचार पत्र में डॉ. रेस्टीफ ने कहा कि अगर महिलाओं की तुलना में मर्दों में इंफेक्शन ज्यादा होता है तो इसका कारण उनका ज्यादा रिस्क लेना है जिससे उनकी प्रतिरक्षा शक्ति कम हो सकती है।
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