
यदि मर्करी टाक्सीसिटी का सही स्रोत न पता हो तो मर्करी के ज़हरीलेपन से बचना मुश्किल होता है, स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मानें तो इसके सही स्रोत का पता होना जरूरी, आइए हम आपको इससे बचने के तरीके बताते हैं।
यदि मर्करी टाक्सीसिटी का सही स्रोत न पता हो तो मर्करी के ज़हरीलेपन से बचना बेहद मुश्किल होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि मर्करी की विषाक्तता से बचने के लिए उसके सही स्रोत का पता होना बेहद जरूरी है। इसी तथ्य से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मर्कसी टाक्सीसिटी हमारे जीवन के लिए कितना खतरनाक है। अतः यह जरूरी है कि हम मर्करी टाक्सीसिटी से न सिर्फ दूर रहें बल्कि यह भी आवश्यक है कि हमें इसके स्रोत के इस्तेमाल की सही जानकारी हो। यह भी ज्ञात होना आवश्यक है कि पारा को पूरी तरह खत्म करने के लिए क्या किया जा सकता है?
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क्या होता है नुकसान
असल में इससे पहले कि यह जानें कि मर्करी टाक्सीसिटी हमें किस प्रकार क्षति पहुंचाती है, यह जान लें कि आम जीवनशैली में किस किस रूप में मर्करी का उपयोग होता हैं। तमाम लोगों को यह लग सकता है कि इस ज़हरीले पदार्थ का भला हमारे जीवन में क्या काम है? लेकिन आपको बता दें कि थर्मोमीटर, चिकित्सकीय उपकरण, कुछ कीटाणुनाशक, फ्लोरेसेंट लाइट बल्ब्स आदि में पारा का इस्तेमाल होता है। सवाल उठता है कि यदि पारा उत्पाद घर में टूट जाए या कोई दुर्घटना हो जाए तो ऐसी स्थिति से कैसे बचा जा सकता है? हर व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि मर्करी टाक्सीसिटी से बचने के लिए उत्पाद के इस्तेमाल का सही तरीका जानें।
सही जानकारी जरूरी
अब यह जानना जरूरी हो जाता है कि उत्पाद के इस्तेमाल की सही जानकारी कहां से हासिल करें? आप इसके लिए उत्पाद में चिपके लेबल्स पढ़ें। सही ढंग से इस्तेमाल का तरीका जानें। लेबल में यह भी लिखा होता है कि यदि उत्पाद विशेष घर में ही टूट जाए मसलन फ्लोरेसेंट लाइट बल्ब या थर्मोमीटर तो पारा से बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए? इन सबको ध्यान पूर्वक पढ़ें। यही एकमात्र एक ऐसा जरिया है जिससे पारा के ज़हरीलेपन से बचा सकता है।
डेंटल हेल्थ में रखें ध्यान
इसके अलावा आपको एक और महत्वपूर्ण तथ्य से हम रूबरू कराते हैं। दंत चिकित्सकीय जगत में पारा का अच्छा खासा इस्तेमाल होता है। अमैल्गम फिलिंग में पारा का बहुत कम मात्रा में उपयोग किया जाता है। हालांकि आज तक ऐसा कोई सबूत सामने नहीं आया है कि कम मात्रा में पारा किसी के जीवन को प्रभावित करता है। अतः यह माना जा सकता है कि दांतों में इस्तेमाल हुआ पारा कुछ मायनों तक सुरक्षित है। बावजूद इसके अगर आपको कोई रिस्क या भय लगे तो इस सम्बंध में डेंटिस्ट से बात अवश्य करें। आप चाहें तो पारदमिश्रण के अतिरिक्त विकल्प को चयन कर सकते हैं।
खाने में भी है मौजूद
आपको यह जानकर आवश्चर्य होगा कि तमाम खाद्य-पदार्थों में भी पारा की मौजूदगी होती है, खासकर सी फूड में। दरअसल शेल्फिश और कई प्रकार की मछलियां जिन्हें कि हम स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद मानते हैं, इनमें मेथिलमर्करी की मौजूदगी होती है। मछली तथा शेल्फिश के विषाक्तपने से बचने के लिए कुछ सलाहों पर गौर किया जा सकता है। मर्करी से बचने के लिए आप छोटी समुद्री मछलियां, शार्क, टाइलफिश, स्वार्डफिश आदि न खाएं। ये सभी समुद्री जीव पारा के बहुत अच्छे स्रोत माने जाते हैं। इसके अलावा श्रिम्प, कैटफिश, सैमन आदि मछलियों में भी कम मात्रा में मर्करी होती है।
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ये सभी मछलियां खरीदने से पहले इनकी पर्याप्त जानकारी अवश्य इकट्ठी करें। यदि यह संभव न हो तो इनके खाने में संयम बरतें। औसतन प्रति सप्ताह 6 आउंस तक ही इन मछलियों का सेवन करें। इससे अतिरिक्त लेना जान के खतरा हो सकता है। खासकर गर्भवती महिलाओं को इस सम्बंध में सतर्क रहना जरूरी है। वे महिलाएं भी सचेत रहें जो शिशु को स्तनपान कराती हैं। मर्करी का ज़हरीलापन नवजात शिशु के दिमाग, स्पाइनल कोर्ड आदि संवेदनशील अंगों को प्रभावित कर सकता है।
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