
पेट के कैंसर के निदान में जोखिम कारकों और लक्षणों से पेट के कैंसर की सम्भावना होती है तो डॉक्टर एक फेकल ऑकल्टक ब्लड टेस्ट करते हैं जिससे स्टूल में ब्लड की छोटी से छोटी मात्रा का भी पता लग जाता है।
कैंसर कोई भी हो वह खतरनाक जरूर होता है। थोड़ी सी सावधानी बरतकर आप कैंसर को बढ़ने से रोक सकते हैं, अन्यथा बढ़ने के बाद ये कैंसर बहुत नुकसानदायक हो सकता है। कैंसर के सारे टाइप में आज हम आपको बता रहे हैं पेट के कैंसर के बारे में और उसके इलाज के बारे में।
- पेट का कैंसर बड़ी आंत का कैसर है जो पाचन तंत्र के निचले हिस्से में होता है।
- यह वह जगह है जहां भोजन से शरीर के लिए ऊर्जा पैदा की जाती है। साथ ही यह शरीर के ठोस अवशिष्ट पदार्थों को भी पचाता है।
- पेट का कैंसर भीतरी परत से शुरू होकर धीरे-धीरे बाहरी परतों पर फैलता है। इसीलिए यह बताना मुश्किल होता है कि कैंसर कितने भीतर तक फैला हुआ है।
- पेट के कैंसर के निदान में अगर जोखिम कारकों और लक्षणों से पेट के कैंसर की सम्भावना होती है तो डॉक्टर एक फेकल ऑकल्टक ब्लड टेस्ट कर सकते हैं जिससे स्टूल में ब्लड की छोटी से छोटी मात्रा का भी पता लग जाता है।
- कई बार पेट में कैंसर होते हुए भी हमेशा स्टूल में ब्लड दिखाई नहीं देता। ऐसी दशा में आमतौर पर किया जाने वाला अगला परीक्षण अपर इन्डोकस्कोपी या अपर गैस्ट्रा इंटेस्टिननल (जीआई) रेडियोग्राफ होगा।
- अपर जीआई रेडियोग्राफ के दौरान रोगी को बेरियम वाला एक घोल दिया जाता है जिससे उसके पेट में एक परत बन जाती है और उसके बाद रेडियोलॉजिस्ट पेट का एक्सरे लेता है।
- इन्डोस्कोपी के दौरान रोगी को स्थिर रखा जाता है और एक ऑप्टिक ट्यूब को गले के रास्ते से पेट तक पहुंचाया जाता है। डॉक्टर इस उपकरण का इस्तेमाल पेट के आंतरिक हिस्सों की जांच करने के लिए करते है।
- यदि किसी भी टेस्ट से कैंसर का पता चलता है तो डॉक्टर एक बायोप्सी करेंगे जिसमें प्रयोगशाला में जांच के लिए पेट के एक छोटे से टिश्यू को बाहर निकाला जाता है। अक्सर यह इन्डोस्कोपी के दौरान किया जा सकता है। पेट के कैंसर की पुष्टि हेतु बॉयोप्सी जरूरी है।
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