
लगातार हड्डियों में दर्द होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए जिससे कि इसका समय रहते इलाज हो सके। बोन कैंसर को कई भागों में विभाजित किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए महत्वपूर्ण हैं कि बोन कैंसर की कोशिकाओं की उत्पत्ति
हड्डियों में दर्द होना और थकान जैसी समस्या बोन कैंसर के संकेत हो सकते हैं। बोन कैंसर आदमी के लिए घातक हो सकता है। लगातार हड्डियों में दर्द होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए जिससे कि इसका समय रहते इलाज हो सके। बोन कैंसर को कई भागों में विभाजित किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए महत्वपूर्ण हैं कि बोन कैंसर की कोशिकाओं की उत्पत्ति किस रूप में हैं। इन कोशिकाओं का शरीर में कितना प्रसार हो चुका है। बोन कैंसर की प्रकृति पर इसके प्रकार निर्भर करते हैं।
बोन कैंसर के प्रकार
प्राइमरी
प्राइमरी बोन कैंसर हड्डियों से आरंभ होकर धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलता है। इसकी कोशिकाएं सबसे पहले हड्डियों को प्रभावित करती है। बोन कैंसर की अलग-अलग अवस्थाओं में बोन कैंसर बढ़ता है।
सेकेंडरी
सेकेंडरी बोन कैंसर यानी माध्यमिक बोन कैंसर में पीडि़त कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट करती हुई धीरे-धीरे शरीर में फैलना शुरू हो जाती है। हालांकि यह कैंसर शरीर के किसी एक हिस्से में फैलना शुरू होता है। यह कैंसर आमतौर पर उन्हीं लोगों को होता है जो कि फेफड़ों संबंधित, बेस्ट कैंसर या फिर प्रोटेस्ट कैंसर से पीडि़त होते हैं।
ऑस्टियो सार्कोमा
बोन कैंसर में ऑस्टियो सार्कोमा सबसे आम कैंसर है। यह कैंसर आमतौर पर कूल्हे और कंधे व साथ ही घुटने के आसपास के हिस्से में पाया जाता है। यह कैंसर महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में अधिक होता है।
कॉन्ड्रो सार्कोंमा
बोन कैंसर के प्रकारों में कॉन्ड्रो सार्कोंमा सबसे अधिक 40 से 70 वर्ष की उम्र के लोगों में पाया जाता है। यह कैंसर भी कूल्हें और कंधे के आसपास अधिक होता है। बोन कैंसर का यह सामान्य प्रकार है। इस कैंसर में सबसे अधिक दर्द जोड़ों में होता है।
इविंग सारकॉमा
यह कैंसर कम उम्र के लोगों को होता है। यानी यह 5 साल से 20 साल तक की उम्र के लोगों को अधिक होता है। यह कैंसर आमतौर पर हाथों, पैर, बाजू, पसलियों इत्यादि जगहों से आरंभ होता है।
बोन कैंसर का उपचार
शल्य चिकित्सा द्वारा
सर्जरी से कई बार बोन कैंसर का उपचार करना पड़ता है। इसके लिए यदि बोन कैंसर बहुत फैल गया है और रोगी को कई तरह की समस्याएं हो रही हैं। या फिर बोन कैंसर किसी जोड़ के आसपास है तो इस स्थिति में शल्स चिकित्सा की जरूरत पड़ती है। कई बार जब मरीज गंभीर स्थिति में होता है तो भी सुरक्षा की दृष्टि से शल्य चिकित्सा से बोन कैंसर का ईलाज किया जाता है।
लिंब साल्वेज सर्जरी
जब रोगी को बोन कैंसर से बहुत अधिक तकलीफ होने तो लिंब साल्वेज सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी के दौरान बोन कैंसर से ग्रसित भाग को अलग कर दिया जाता है और बाकी अंगों को अधिक से अधिक सुरक्षित रखने का हर संभव प्रयास किया जाता है।
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विच्छेदन
यह उपचार तब किया जाता है जब मरीज की स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है और मरीज को जान का जोखिम हो जाता है, ऐसे में मरीज को बचाने के लिए शरीर के उस अंग को ही काट दिया जाता है, जिससे बोन कैंसर पूरे शरीर में ना फैल सकें।
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कीमोथेरपी
बोन कैंसर यदि रक्त के जरिए कोशिकाओं में फैल जाता है तो कीमोथेरपी की जाती हैं। इस थेरेपी के जरिए रक्त में मौजूद कैंसर को सीधे तौर पर नष्ट करने का प्रयास किया जाता है। इतना ही नहीं कीमोथेरपी में स्कैनिंग प्रक्रियाएं नहीं अपनाई जाती।
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