
ओमेगा -3 के सेवन से जुड़े एक आम दावे को अब शोधकर्ताओं ने खारि़ज कर दिया है। शोधकर्ताओं की मानें तो 31 परीक्षणों के परिणामों से पता चला है कि ओमेगा -3 के सेवन से अवसाद और तनाव जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों पर इसका मात्र 1 प्रतिशत या लगभग ना
फैट का एक प्रकार 'ओमेगा -3', जो मछली और कुछ ड्राई फ्रूट्स में पाए जाते हैं, इसे लेकर शुरू से ही लोगों के भीतर एक व्यापक सोच है कि ये डिप्रेशन और तनाव से जुड़ी बीमारियों के लिए एक कारगर उपाय है। लेकिन हाल ही में आए एक शोध ने इसे खारिज कर दिया है। शोधकर्ताओं की मानें, तो ओमेगा-3 फैट के सेवन से अवसाद जैसी बीमारियों पर कुछ खासा असर नहीं पड़ता है। ओमेगा -3 फैट का ही एक प्रकार है, जिसे लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं या सेवन करते हैं। ओमेगा-3 नट्स, कुछ दालें और फैटयुक्त मछली में पाई जाती है। आइए हम सबसे पहले आपको बताते हैं ओमेगा-3 सप्लीमेंट्स के बारे में और फिर इससे जुड़े इस शोध के बारे में।
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क्या हैं ओमेगा-3 सप्लीमेंट्स?
ओमेगा -3 और कॉड लिवर ऑयल कैप्सूल दोनों में आवश्यक फैटी एसिड ईपीए और डीएचए होते हैं। वहीं बात कॉड लिवर की करें तो ये कॉड लिवर तेल कैप्सूल में विटामिन-ए की मात्रा भी अधिक होती है और विटामिन डी भी। विटामिन ए के उच्च स्तर का मतलब है कि ये कॉड लिवर ऑयल कैप्सूल गर्भवती महिलाओं को नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि बहुत अधिक विटामिन- ए बच्चे के लिए हानिकारक हो जाता है। वहीं अब अगर क्रिल्ल तेल (Krill Oil) की बात करें चो ये अंटार्कटिक क्रस्टेशियन से निकाला जाता है। यह ओमेगा -3, ईपीए और डीएचए का एक समृद्ध स्रोत है। इसमें दो शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट, एस्टैक्सैन्थिन और कैंथैक्सैन्थिन भी शामिल हैं।
ये पिगमेंट शैवाल से प्राप्त होते हैं, जिस पर क्रिल फ़ीड होता है, और वही पिगमेंट होते हैं जो फ्लेमिंगो को अपनी गुलाबी परत देते हैं। ओमेगा -3 एस प्लस एंटीऑक्सिडेंट का संयोजन सूजन को कम करने और कोलेस्ट्रॉल के संतुलन पर लाभकारी प्रभाव के लिए क्रिल को एक लोकप्रिय 'सुपर-सप्लीमेंट' माना जाता है।
क्या कहता है शोध?
ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकेट्री में आज प्रकाशित समीक्षा में पाया गया है कि ओमेगा -3 की खुराक कोई लाभ नहीं देती है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए 31 लोगों का परीक्षण किया और जो कि अवसाद और तनाव से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित थे। साथ ही छह महीने के लिए 41,470 से अधिक प्रतिभागियों ओमेगा -3 (मछली के तेल) और कुछ सप्लीमेंट्स दिए गय। शोधकर्ताओं ने पाया कि अवसाद या चिंता के लक्षणों को रोकने में ओमेगा-3 असफल रहा।यूएई के नॉर्विच मेडिकल स्कूल के प्रमुख लेखक डॉ ली हूपर ने कहा की मानें तो उनके पिछले शोध से पता चला है कि मछली के तेल सहित लंबी श्रृंखला वाले ओमेगा -3 की खुराक, हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह या मृत्यु जैसी स्थितियों से रक्षा नहीं करती है। वहीं यूएई के स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेज के डॉ कैथरीन डीन का भी यही कहना है कि संतुलित आहार के हिस्से के रूप में मछली बहुत ही पौष्टिक भोजन हो सकती है पर अवसाद जैसी बीमारियों के लिए ये इलाज नहूीं है।
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साथ इस शोध मछली पकड़ने और महासागरों में मछली के स्टॉक और प्लास्टिक प्रदूषण पर पड़ने वाले पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, ओमेगा-3 से जुड़े सभी मिथकों के बारे में बताया गया। अध्ययन को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किया गया है, जिसे ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकेट्री में प्रकाशित किया गया। हालांकि 2016 में, मेलबोर्न विश्वविद्यालय और हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि एक प्लेसबो पर एंटीडिप्रेसेंट के साथ संयुक्त होने पर ओमेगा -3 का सेवन काफी मूड में सुधार करता है। मेलबोर्न विश्वविद्यालय और हार्वर्ड के शोधकर्ताओं की मानें तो ओमेगा -3 एस मस्तिष्क कोशिकाओं (ब्रेन सेल्स) के माध्यम से आसानी से ब्रेन में यात्रा कर सकता है, इसलिए ये मस्तिष्क के अंदर मूड से संबंधित चीजों को सही करने में काफी प्रभावी साबित हो सकता है। इस तरह थोड़ा ही सही ओमेगा-3 मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक बेहतर उपाय भी हो सकता है।
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