
रीढ़(स्पाइन) और मांसपेशियों से जुड़े रोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है।
रीढ़(स्पाइन) और मांसपेशियों से जुड़े रोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इनमें अधिकतर लोग सर्वाइकल व लंबर स्पॉन्डिलाटिस और स्पाइनल स्टेनोसिस (रीढ़ की नसों के मार्ग की सिकुडऩ) से कहीं ज्यादा ग्रस्त हैं। अगर इलाज की बात करें, तो फिजियोथेरेपी और दर्दनिवारक दवाएं ही प्रचलित हैं और अगर ये काम न करें, तो सर्जरी करायी जाती है, लेकिन रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॅमी की मदद से आज मरीजोंं को रीढ़ के दर्द में काफी राहत मिल रही है।
आधुनिक इलाज
रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॅमी एक सरल तकनीक है, जो कम से कम चीड़-फाड़ और किसी सर्जिकल प्रक्रिया के बगैर की जाती है। इस तकनीक के जरिए मरीज उसी दिन घर वापस भी जा सकता है। रेडियो फ्रीक्वेंसी वेव्स(जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स होतीं हैं)प्रकाश की गति से तेज चलती हैं। यानी 186,000 प्रति सेकंड मील या (300,000 किलोमीटर/ सेकंड)। इस प्रक्रिया में रेडियो फ्रीक्वेंसी एनर्जी (एक प्रकार की हीट एनर्जी) को एक विशेष जनरेटर के जरिए उच्चतम तापमान पर रखकर उत्पन्न किया जाता है।
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इस विशेष जनरेटर की मदद से हीट एनर्जी सूक्ष्मता से सूक्ष्म तंत्रिकाओं(नव्र्स) तक पहुंचाई जाती है, जो दर्द की संवेदना को दिमाग तक लेकर जाती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान त्वचा और टिश्यूज को एनेस्थीसिया के इंजेक्शन की मदद से सुन्न कर दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टर एक्स-रे का उपयोग कर, विशेष 'रेडियो फ्रीक्वेंसी प्रोब'(एक सूक्ष्म लंबी सुई या नीडिल की तरह उपकरण)की सुई को सूक्ष्म तंत्रिकाओं की ओर निर्देशित करते हैं। अक्सर एक नियंत्रित मात्रा में बिजली का करंट ध्यानपूर्वक सुई के माध्यम से लक्षित तंत्रिका की ओर प्रेषित किया जाता है। यह देखते हुए कि यह अन्य तंत्रिकाओं से एक सुरक्षित दूरी पर हो। यह करंट संक्षेप में सामान्य दर्द को फिर से उत्पन्न करता है।
इस कारण पीठ की मांसपेशियों में लचक आ सकती है। इसके उपरांत लक्षित तंत्रिकाओं को लोकल एनेस्थीसिया की मदद से सुन्न किया जाता है जिससे दर्द कम हो। इस स्तर पर रेडियो फ्रीक्वेंसी वेव्स को सुई की नोक से मिलाया जाता है, जिससे तंत्रिका पर एक हीट लीशन बनता है जो तंत्रिका को मस्तिष्क तक दर्द के संकेतों को भेजने से बाधित करता है। हीट लीशन की प्रक्रिया के तहत तेज गर्मी उत्पन्न कर दर्द का अहसास कराने वाली तंत्रिकाओं या नव्र्स को हीट एनर्जी से नष्ट कर दिया जाता है।
दर्द-निवारण में मददगार
रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॅमी कई पुराने दर्दों में असरदार है। जैसे स्पाइनल अर्थराइटिस से उत्पन्न होने वाले दर्द, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, लो बैक पेन (कमर के निचले भाग में दर्द), स्पाइनल स्टेनोसिस, पोस्ट ट्रॉमेटिक पेन (दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी में दर्द) और रीढ़ के अन्य दर्दों में। रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॅमी स्टेरॉयड इंजेक्शन की तुलना में लंबे समय से चलने वाले दर्द में बेहतर राहत प्रदान करती है। ज्यादातर मरीज इस इलाज के बाद लंबे समय तक दर्द से राहत महसूस करते हैं और कई रोगियों को इस इलाज से एक लंबे समय तक उनके पीठ या गर्दन के दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
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एक सामान्य नियम के अनुरूप, प्रभावी होने पर इस प्रक्रिया का असर कम से कम 24 माह तक रहता है और कुछ स्थितियों में और भी लंबे समय तक। जिन मरीजों की तंत्रिकाओं में उत्पन्न होने वाला करंट(एब्नॉर्मल नर्व इम्पल्स) पूरी तरह से अवरुद्ध(ब्लॉक्ड) हो जाता है, उनका दर्द ताउम्र के लिए दूर हो जाता है। रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॅमी की तकनीक कम जटिल है, जिसे अत्यंत सूक्ष्म चीरों की मदद से अंजाम दिया जाता है। यह ओपन सर्जरी की तुलना में कहीं ज्यादा असरदार है।
डॉ. सुदीप जैन स्पाइन सर्जन
नई दिल्ली
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