
इसके बाद भी कुछ लोग में जुकाम, नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, नाक से पानी गिरने की समस्या बनी हुई है। अगर आपको लगता है ये सारी चीजें मौसम में बदलाव के कारण है तो सावधान हो जाइए। ये साइनोसाइटिस भी हो सकता है।
मौसम बदल रहा है, सर्दियां लगभग खत्म हो चुकी है और गर्मी की शुरूआत होने लगी है। हालांकि इसके बाद भी कुछ लोग में जुकाम, नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, नाक से पानी गिरने की समस्या बनी हुई है। अगर आपको लगता है ये सारी चीजें मौसम में बदलाव के कारण है तो सावधान हो जाइए। ये साइनोसाइटिस भी हो सकता है।
आजकल प्रदूषण इस कदर बढ़ गया है कि लगभग हर व्यक्ति को इस वजह से एलर्जी का शिकार होना पड़ रहा है। साइनस के संक्रमण का कारण साइनस की झिल्ली में सूजन आना है। साइनस के कारण हवा की जगह में मवाद या बलगम भर जाता है, जिससे साइनस बंद हो जाते हैं। इस वजह से सिर में, गालों व ऊपर के जबड़े में दर्द होने लगता है।
साइनस हमारी खोपड़ी में भरी हुई कैविटी होती है, जो हमारे सिर को हल्का बनाए रखने और सांस लेने में मदद करती है। हमारी सांस इस थैली से होकर फेफड़ों तक जाती है। इस थैली में हवा के साथ आने वाली गंदगी यानी धूल और दूसरे प्रकार की गंदगियां रोक ली जाती हैं और बाहर फेंक दी जाती हैं। जब साइनस का रास्ता रुक जाता है यानी बलगम बाहर निकलने का रास्ता रुकता है तो साइनोसाइटिस नाम की बीमारी का खतरा पैदा हो जाता है। इस कारण आपकी ऊर्जा में कमी आती है, नींद पर बुरा असर पड़ता है। आपकी सूंघने और स्वाद की शक्ति कमजोर हो जाती है और सांस लेने में भी तकलीफ होती है।
साइनोसाइटिस के लक्षण
- आवाज में बदलाव
- सिर में दर्द और भारीपन
- हल्का बुखार
- दांतों में दर्द
- तनाव से परेशान
- चेहरे पर सूजन
- नाक से पीले रंग का द्रव गिरने की शिकायत
- नाक और गले में बलगम
बचाव
- तनाव से दूर रहें। तनाव के कारण सफेद कोशिकाएं जो शरीर की रक्षा करती हैं, कमजोर पड़ जाती हैं।
- स्विमिंग न करें। जब कभी भी पूल में स्विमिंग करें, नाक को ढक लें या क्लोरीन का इस्तेमाल करें।
- नमक के पानी से अपनी नाक की सफाई करें।
- हाइजिन का खास ख्याल रखें। बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन से बचें। अपने हाथों को हमेशा साबुन से साफ करें।
- रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पिएं।
- सुबह उठते ही चाय या गर्म पानी पिएं। गर्म तरल पदार्थ बलगम के प्रवाह में मदद करते हैं और नाक या गले में बलगम आदि इकट्ठा नहीं होने देते।
- एलर्जी से बचने के लिए ओवर स्टफ्ड फर्नीचर से परहेज करें। अपने तकियों और बिस्तरों की नियमित सफाई करें। गलीचों और पायदानों की सफाई का भी ध्यान रखें। इत्र आदि की गंध से दूर रहें। वायु प्रदूषण से बचें।
- अपने घर के वेंटीलेशन सिस्टम को सुधारें। जहां तक हो सके, घर की खिड़कियां खोलकर वेंटिलेशन करें।
- जिन लोगों को जुकाम या कोई अन्य वायरल इंफेक्शन हो, उनके संपर्क में जाने से बचें।
- अधिक उच्च और निम्न तापमान में न रहें। तापमान में अचानक आने वाले बदलाव से बचें।
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