
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर दवा लेना जरूरी है क्योंकि ये हार्ट अटैक और स्ट्रोक को बढ़ावा देता है। मगर एक नया अध्ययन बताता है कि कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवाओं के प्रयोग से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
कोलेस्ट्रॉल एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति की धमनियों (आर्टरीज) में प्लाक जमा हो जाता है, जिसके कारण खून को हृदय तक पहुंचने में परेशानी होती है। कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिए आमतौर पर डॉक्टर जीवनशैली में कुछ बदलाव और दवाओं की सलाह देते हैं। मगर हाल में एक चौंकाने वाला अध्ययन सामने आया है जिसमें बताया गया है कि कोलेस्ट्रॉल घटाने वाली दवाओं के प्रयोग से मरीज टाइप 2 डायबिटीज का शिकार हो सकता है। ये अध्ययन हजारों मरीजों के हेल्थ रिकॉर्ड को आधार बनाकर किया गया है। अध्ययन में पाया गया कि इन दवाओं के प्रयोग से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 2 गुना ज्यादा बढ़ गया।
हार्ट अटैक और स्ट्रोक को बढ़ावा देता है कोलेस्ट्रॉल
अगर किसी व्यक्ति के शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए, तो उसे हार्ट अटैक या स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है। इसका कारण है कि व्यक्ति की धमनियों में जमा प्लाक खून को आगे नहीं बढ़ने देता है, जिससे हृदय या मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है। हृदय और मस्तिष्क दोनों ही ऐसे अंग हैं, जिनमें पूरी तरह रक्त प्रवाह (Blood Circulation) बंद हो जाने पर कोशिकाएं मरने लगती हैं। ऐसे में हाई कोलेस्ट्रॉल को एक खतरनाक समस्या माना जाता है।
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80 करोड़ से ज्यादा हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीज
आमतौर पर हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए स्टैटिन्स (Statins) वर्ग की दवाओं का प्रयोग किया जाता है। ये दवाएं हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे से मरीज को बचाती हैं। दुनियाभर में हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों की संख्या 80 करोड़ से भी ज्यादा है। इनमें 20 करोड़ से ज्यादा लोग कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए इन्हीं दवाओं का प्रयोग करते हैं। लेकिन अध्ययन बताता है कि स्टैनिन्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों में, इसका इस्तेमाल न करने वाले लोगों की अपेक्षा टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 2 गुना होता है।
दवाएं लेना न बंद करें मरीज
ये अध्ययन ओहिया स्टेट यूनिवर्सिटी में किया गया। प्रमुख अध्ययनकर्ता विक्टोरिया जिग्मॉन्ट कहते हैं, "स्टैनिन्स ऐसी दवाएं हैं, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक को रोकने में बेहद मददगार हैं। मैं ऐसा बिल्कुल नहीं कहूंगा कि कोलेस्ट्रॉल के मरीज इन दवाओं का सेवन बंद करें। लेकिन इस अध्ययन का मकसद ये है कि ऐसे मरीज को लंबे समय से कोलेस्ट्रॉल की दवाएं ले रहे हैं, वो अपने डॉक्टर से बात करके डायबिटीज को रोकने के उपायों के बारे में चर्चा कर सकते हैं।"
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कैसे किया गया अध्ययन?
इस अध्ययन को Diabetes Metabolism Research and Reviews नाम के जर्नल में छापा गया है। अध्ययन में कुल 4683 महिलाओं-पुरुषों को शामिल किया गया, जिन्हें डायबिटीज नहीं थी। मगर ये सभी लोग स्टैनिन्स का प्रयोग कर रहे थे। अध्ययन में शामिल लोगों की औसत उम्र 46 साल थी। ये अध्ययन 2011 से 2014 तक चलता रहा। अध्ययनकर्ताओं ने पूरे 3 साल तक इन सभी मरीजों के हेल्थ डाटा का विश्लेषण किया और पाया कि पहले की अपेक्षा इन लोगों के ब्लड टेस्ट में HbA1c की वैल्यू बढ़ गई थी। डायबिटीज की जांच के दौरान भी मरीज के खून में इसी वैल्यू की जांच की जाती है।
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