
आमतौर पर चीनी से परहेज रखने वाले लोग कम कैलोरी वाले कृत्रिम स्वीटनर या शुगर फ्री स्वीटनर का सेवन करते हैं, क्योंकि उसमें शर्करा कम होती है, लेकिन कृत्रिम स्वीटनर में एसपारटेम सामान्यत न्यूट्रास्वीट के रूप में जाना जाता
आमतौर पर चीनी से परहेज रखने वाले लोग कम कैलोरी वाले कृत्रिम स्वीटनर या शुगर फ्री स्वीटनर का सेवन करते हैं, क्योंकि उसमें शर्करा कम होती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि इन कृत्रिम स्वीटनर सुरक्षित नहीं होते और इनका अंधाधुंध इस्तेमाल करने से आपको कई प्रकार की बीमारियां हो सकती है।
वर्तमान समय में दुनिया भर में 4 हजार से अधिक उत्पादों में कृत्रिम स्वीटनर का इस्तेमाल किया जाता है। कृत्रिम स्वीटनर में एसपारटेम सामान्यत न्यूट्रास्वीट के रूप में जाना जाता है, जो सेवन किये जा रहे सबसे जहरीले पदार्थों में से एक है। हालांकि निर्माता एसपारटेम को स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं मानते, लेकिन वैज्ञानिक अध्ययन इस बात से सहमत नहीं है। एफडी ने बड़े पैमाने पर इस उत्पाद के उपभोग के लिए मंजूरी दी है, भारी सबूतों के बावजूद कि एसपारटेम में न्यूरोटौक्सिक, मेटाबॉल्कि, एलार्जिक और कासीनजन प्रभाव होते हैं।
एसपारटेम में मौजूद दूषित पदार्थ
क्या आप जानते हैं कि मौजूद एसपारटेम प्राकृतिक चीनी से 200 गुना मीठा होता है। और इसमे मौजूद दूषित पदार्थ जैसे एस्पार्टिक एसिड 40 प्रतिशत, फेनिलएलनिन 50 प्रतिशत और मेथनॉल 10 प्रतिशत होता हैं। आइए जानें एसपारटेम में मौजूद यह दूषित पदार्थ आपके शरीर को किस प्रकार से प्रभावित करते हैं।
एस्पार्टिक अम्ल
एसपारटेम मस्तिष्क में एक न्यूरोट्रांसमीटर है, यह एक न्यूरॉन से दूसरे को जानकारी देने की सुविधा देता है। बहुत ज्यादा एसपारटेम से मस्तिष्क की कोशिकाओं में कैल्शियम बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, और यह अत्यधिक मात्रा में मुक्त कणों को ट्रिगर करता है। जिससे कोशिकाएं मरने लगती है। एसपारटेम को एक्ससीटोटॉक्सिन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह तंत्रिका कोशिका की क्षति का कारण बनता है। लंबे समय तक एक्ससीटोटॉक्सिन इसके इस्तेमाल से कई प्रकार की बीमारियां जैसे मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस, एएलएस, मेमॉरी लॉस, हार्मोंन संबंधी समस्याएं, सुनाई न देना, मिर्गी, अल्जाइमर रोग, पार्किंसंस रोग, हाइपोग्लाइसीमिया, पागलपन, मस्तिष्क घावों और न्यूरोएंडोक्राइन विकार देखने को मिलते हैं।
फेनिलएलनिन
फेनिलएलनिन सामान्य रूप से मस्तिष्क में पाया जाने वाला एक एमिनो एसिड है। मानव परीक्षण के अनुसार, लंबे समय से एसपारटेम के उपयोग से रक्त में फेनिलएलनिन के स्तर को वृद्धि होने लगती है। और मस्तिष्क में फेनिलएलनिन के अत्यधिक स्तर से सेरोटोनिन का स्तर कम होने लगता है। जिससे अवसाद, मानसिक असंतुलन और सीजर्स का शिकार बना सकते हैं।
जीडी सियार्ले द्वारा चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया कि मनुष्य के लिए फेनिलएलनिन सुरक्षित होता है। हालांकि, 1987 में मेडिकल जेनेटिक्स और चिकित्सा के एमोरी विश्वविद्यालय के स्कूल में बाल रोग विभाग के प्रोफेसर एमडी, डारेक्टर लुई जे एलसस के अनुसार, सामान्य मनुष्य कुशलता से फेनिलएलनिन का चयापचय नहीं कर सकते।
मेथनॉल
अब तक एसपारटेम में सबसे विवादास्पद घटक मेथनॉल है। मेथनॉल पर किये गये इपीए के मूल्यांकन के अनुसार, अवशोषित करने के बाद इसकी उत्सर्जन दर कम होने के कारण यह एक संचयी जहर माना जाता है। शरीर में मेथनॉल फॉर्मैल्डहाइड और फार्मिक एसिड को ऑक्सिडेट करता है, यह दोनों ही चयापचय विषाक्त होते हैं। और तो और जब मेथनॉल 86 डिग्री फेरनहाइट (30 डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच जाता है, तब ऑक्सीकरण होता है।
फॉर्मैल्डहाइड
एस्पार्टेट से टूटने वाला यह उत्पाद कैसरजन होता है और रेटिना क्षति, जन्म दोष और डीएनए अनुकरण में हस्तक्षेप का कारण बनता है। इपीए (EPA) प्रतिदिन इसकी 7.8 मिलीग्राम खपत की सलाह देते है। 1 लीटर एसपारटेम मीठे पेय में सात बार इपीए सीमा में शामिल 56 मिलीग्राम मेथनॉल होता है। इस तरह से मेथनॉल विषाक्तता से संबंधित सबसे आम विकृतियां में दृष्टि संबंधी समस्याएं और रेटिना को नुकसान और अंधापन जैसी समस्याएं देखने को मिलती है।
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