
बवासीर एक ऐसा रोग है जिसे चलती-फिरती मौत कहा जाता है।
बवासीर एक ऐसा रोग है जिसे चलती-फिरती मौत कहा जाता है। ये बीमारी इतनी जानलेवा है कि शायद कोई इंसान अपने दुश्मन को भी बवासीर होने का श्राप नहीं देगा। बवासीर जितनी पीड़ादायक है उतना ही इसका दर्द भी असहनीय होता है। बवासीर मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है। बवासीर दो तरह की होती है, अंदरूनी और बाहरी। अंदरूनी बवासीर में नसों की सूजन दिखती नहीं पर महसूस होती है, जबकि बाहरी बवासीर में यह सूजन गुदा के बिल्कुल बाहर दिखती है। इसकी चपेट में आया व्यक्ति ना तो ठीक से खाना खा पाता है और ना ही शौच के लिए जा पाता है। यानि कि शौच पर जाना मानो बवासीर के व्यक्ति को मौत लगती है।
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बवासीर के लक्षण
- मलत्याग के समय मलाशय में अत्यधिक पीड़ा
- शौच के वक्त रक्तस्राव और खुजली होना
- गुदे की नसों में सूजन आना और लाल होना
- गुदे में सूजन के साथ जलन होना
- शौच करते वक्त टट्टी के साथ खून निकलना
- भूख ना लगना और चिड़चिड़ाहट होना आदि।
बवासीर के लिए घरेलू उपचार
- छोटी हरड़ के 2 से 5 ग्राम चूर्ण का नियमित नित्य सेवन करने तथा बवासीर पर अरण्डी का तेल लगाते रहने से भी काफी लाभ मिलता है।
- बड़ी इन्द्रफला की जड़ को छाया में सुखाकर अथवा कनेर की जड़ को पानी में घिसकर बवासीर पर लगाने से फायदा मिलता है।
- नीम का तेल को बवासीर के मस्सों पर लगाने से एवं 4-5 बूंद रोज पीने से भी आराम मिलता है।
- छाछ या पतली दही में काला नमक और जीरा पाउडर डालकर पीने से भी बवासीर के मस्सों से आराम मिलता है।
- छाछ में सोंठ का चूर्ण, सेंधा नमक, पिसा जीरा व जरा-सी हींग डालकर भी आप सेवन कर सकते हैं। ऐसा करने से आप देखेंगे कि आपको मस्सों से छुटकारा मिल रहा है।
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