
अध्ययन से पता चलता है कि महिलाओं में किशोरावस्था में जल्दी या छोटी उम्र में पीरियड्स आने से बाद के समय में मेनोपॉज के लक्षण बदतर हो सकते हैं।
क्या आपको याद है कि आपके पहले पीरियड्स कब आए थे? ऐसा सवाल करना कुछ अजीब हो सकता है। वैसे देखा जाए, तो लगभग सब महिलाओं की अपने पहले पीरियड्स से कोई न कोई याद जुड़ी होती है। शायद आपको अपने पहले पीरियड्स में अपनी उम्र याद हो या नहीं, लेकिन आमतौर पर लड़किया में उनके पहले पीरियड्स 10 से 15 साल की उम्र में आते हैं। यह समय उस समय लड़कियों के लिए काफी शर्म भरा हो सकता है लेकिन यह एक महिला के जीवन का अहम हिस्सा है। महिलाओं के जीवन में यह महत्वपूर्ण हिस्सा पीरियड्स या मासिक धर्म से शुरू होकर मेनोपॉज पर समाप्त होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके मासिक धर्म में का जल्दी आना मेनोपॉज के दौरान आने वाली परेशानियों से जुड़ा है। जी हां, हाल में हुआ अध्ययन बताता है कि जिस उम्र में आपको अपने पहले पीरियड्स हुए, वह अनुमान लगा सकता है कि आपका मेनोपॉज कैसे होने वाला है। अधिक जानने के लिए इस रिसर्च को आगे पढ़ें।
मासिक धर्म और मेनोपॉज के बीच संबंध
हाल ही में हुए एक शोध के मुताबित पाया गया है कि जिन महिलाओं को लगभग औसत उम्र 12 साल से पहले पीरियड्स आए, उनमें मेनोपॉज के समय सबसे ज्यादा खराब लक्षण और परेशानियां होती है। जी हां यानी छोटी उम्र में मासिक धर्म की शुरुआत मेनोपॉज की परेशानियों को बढ़ा सकती है।
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'BJOG एन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी' ने हाल ही में एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जो मासिक धर्म की उम्र और मेनोपॉज के लक्षणों के बीच संबंध स्थापित करता है। शोध टीम ने पाया कि औसत आयु से पहले पीरियड्स होने से मेनोपॉज के लक्षण बदतर हो सकते हैं।
1800 हजार महिलाओं पर हुआ शोध
यह शोध ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय की एक टीम ने किया था। जिसमें शोध टीम ने 18,000 से अधिक मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं का डेटा एकत्र किया। उन्होंने विश्लेषण किया कि जिन महिलाओं में 12 साल से पहले मासिक धर्म या पीरियड्स शुरू होते हैं, उनमें मेनोपॉज के बदतर लक्षणों का सामना करना पड़ा। जिसमें रात को पसीना आना और बार-बार हॉट फ्लश शामिल हैं। इतना ही नहीं, शुरुआती मासिक धर्म या छोटी उम्र में पीरियड्स की शुरूआत बाद के जीवन में हृदय रोगों और टाइप -2 डायबिटीज की अत्यधिक संभावना होती है।
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अध्ययन के परिणाम
शोध का नेतृत्व करने वाली गीता मिश्रा ने दावा किया कि मेनोपॉज के लक्षणों के बिगड़ने में मोटापा भी एक प्रमुख जोखिम कारक है। उसने कहा, "जिन महिलाओं में मासिक धर्म की शुरूआत जल्दी या छोअी उम्र में हुई है, वे अधिक वजन वाली या मोटापे से ग्रस्त थीं। इसके अलावा, जिन महिलाओं ने 14 साल या उससे अधिक उम्र की अपनी पहले मासिक धर्म का अनुभव किया, उनकी तुलना में छोटी उम्र या जल्दी पीरियड्स अनुभव करने वाली महिलाओं में लगातार हॉट फ्लश और रात को पसीना आने का खतरा दो गुना अधिक था। इतना ही नहीं 14 की उम्र या उससे बाद में पहले पीरियड्स प्राप्त करने वाली महिलाओं का वजन भी सामान्य था।"
शोधकर्ताओं का मानना है कि शारीरिक गतिविधियों और स्वस्थ खानपान की मदद से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। मोटापे से ग्रस्त महिलाओं के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने वजन को कंट्रोल करें और मेनोपॉज की परेशानियों को रोकें।
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