
हमेशा नेगेटिव फीडबैक को बुरा समझना गलत है। कई बार इससे नई चीजें सीखने और खुद को बेहतर बनाने के लिए प्रेरणा मिलती है।
अक्सर आपने देखा होगा कि लोग अपनी पर्सनल या प्रोफेशनल लाइफ में नेगेटिव फीडबैक सुनकर उदास और डिफेंसिव हो जाते हैं। खुद की तुलना करने लगते हैं। लेकिन असल बात यह है कि नेगेटिव फीडबैक बुरा नहीं होता है और ना ही इसका मतलब आप को ठेस पहुंचाना या नौकरी से बाहर निकालना होता है। इसकी मदद से आप न केवल नई चीजों को सीखते हैं बल्कि आपको खुद को पहले से और बेहतर बनाने का मौका और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने का मौका भी मिलता है। ऐसे में जरूरी है इस परिस्थिति से पॉजिटिव डील करना। आज इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि आप कैसे इस परिस्थिति से डील कर सकते हैं। पढ़ते हैं आगे
धैर्य का साथ होना जरूरी (Patience)
आलोचना सुनने का मतलब यह नहीं कि आप तुरंत रिएक्ट करें। कभी-कभी ऑफिस में बॉस आपके काम की आलोचना करता है तो वह आपकी ईमानदारी और व्यक्तित्व की प्रशंसा भी करता है। ऐसे में उनके कुछ गलत बोल देने के पीछे आपकी आलोचना या आपका अपमान करना नहीं होता है। इसीलिए कुछ कहने से पहले धैर्यपूर्वक विचार करें उसके बाद ही कोई धारणा बनाएं।
गलतियों को स्वीकारें और सुधार करें(Improve yourself)
कुछ लोगों की आदत होती है कि वे तर्क वितर्क में समय गला देते हैं। ऐसे में अगर आप फीडबैक को स्वीकारेंगे और खुद में सुधार लाएंगे तो ये एक अच्छा विकल्प होगा। बॉस की आप को लेकर जो भी शिकायतें हैं उनकी एक लिस्ट तैयार करें और हर शिकायत के आगे आप क्या बदलाव लाना चाहते हैं उस बदलाव को लिखें। उस लिस्ट के आधार पर अपनी क्षमताओं को निखारें और अपनी ज्ञान को बढ़ाएं साथ ही खुद को बेहतर भी बनाएं।
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सीनियर्स की अपेक्षाएं भी समझें (Understand the Expectation)
अगर आपको कोई सीनियर नेगेटिव फीडबैक दे रहा है तो यह मौका है कि आप उसकी अपेक्षाओं को समझें। हो सकता है कि आप इससे पहले सीनियर्स के अपेक्षाओं या दफ्तर में अपनी भूमिका को ना समझ पाए हों। ऐसे भी फीडबैक को समझना भी आपका ही फर्ज है।
भरोसा जीततने का मौका (Chance to win Trust)
जब आपको आपका फीडबैक पता चल जाए तो अपने सीनियर्स के साथ बैठकर अपने काम के ढंग, लक्ष्य और भविष्य पर चर्चा करें। साथ ही समझने की कोशिश करें कि वह आपके अंदर कौन सी योग्यताओं को देखना पसंद करते हैं और किन चीजों से ना खुश हैं। इस तरीके को अपनाकर आप उन पर अपने विश्वास को कायम कर पाएंगे।
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सहकर्मी के साथ भी संबंध हो अच्छे (Good Relationship with Colleagues)
केवल बॉस के साथ संबंध अच्छे बनाना ही काफी नहीं। अपने सहकर्मियों के साथ भी आप की ट्यूनिंग अच्छी होनी चाहिए। अगर आपके सहकर्मियों को आपकी आदतें या व्यवहार समझ नहीं आता तो इससे नकारात्मक माहौल पैदा होता है। किसी के प्रति अपने मन में गलत भावना रखने के बजाय सहकर्मियों के फीडबैक्स पर भी गौर करें और खुद में बदलाव लाएं।
एक्सपर्ट की राय
यह बात सच है कि नेगेटिव फीडबैक को कभी भी नकारात्मक रूप में नहीं अपनाना चाहिए बल्कि उसे रचनात्मक फीडबेक समझकर अपनाना चाहिए। इससे आप अपने व्यक्तित्व को बेहतर बना पाएंगे। लेकिन हां, यह भी सच है कि नेगेटिव फीडबैक हर वक्त सुधार के लिए ही नहीं दिया जाता। अगर बॉस आपसे किसी बात पर खुश नहीं है या हो सकता है कि आपके और सहकर्मियों के बीच किसी बात पर तनाव है तब भी नेगेटिव फीडबैक आप के खिलाफ जा सकता है। ऐसे में सबसे पहले नेगेटिव फीडबैक के पीछे को समझें। उसके बाद अपनी प्रतिक्रिया दें। साथ ही कोशिश करें कि आपका व्यवहार किसी को ठेस ना पहुंचाए।
(दिल्ली के शिक्षाविद और करियर काउंसलर डॉक्टर समीर कपूर से बातचीत पर आधारित है।)
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