
लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) ने एक नई जांच के जरिए दिल के दौरे के संकेत का पता लगाने का रास्ता निकाल लिया है। इसके जरिए अगर आपको दिल का दौरा पड़ने वाला है तो इस नई तकनीक के जरिए आप इस बीमारी से बच सकते हैं।
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तेजी से बदलती जीवनशैली और इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे दिल पर दबाव लगातार बढ़ रहा है, चाहे उस दबाव का कारण शारीरिक हो या फिर मानसिक। दिल पर पड़ने वाले इस अनचाहे दबाव के कारण हमारे दिल तक जाने वाली रक्त धमनियों में रक्त का प्रवाह अंसतुलित हो जाता है और हमारी दिल संबंधी गतिविधियों में रुकावट पैदा होती है, जिस कारण से दिल का दौरा पड़ता है। कई मामलों में तो ऐसा होता है कि लोगों को जान बचाने का भी मौका नहीं मिलता।
हालांकि कुछ मरीजों की जान सही समय पर उपचार और अच्छी देखभाल के जरिए बच जाती है लेकिन बहुत से लोग इस गंभीर बीमारी के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं। दिल के दौरे से ग्रस्त लोगों में हालांकि बीमारी से बचने की संभावना कम ही होती है लेकिन परहेज उन्हें इस बीमारी से लड़ने की मदद दे सकता है। क्या हो कि आपको इस बीमारी का पता होने से पहले ही पता लग जाए। दरअसल लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में इस गंभीर मर्ज के उपचार का रास्ता निकाल लिया गया है। इसके जरिए अगर आपको दिल का दौरा पड़ने वाला है तो इस नई तकनीक के जरिए आप इस बीमारी से बच सकते हैं।
अस्पताल ने खोजी नई तकनीक
एसजीपीजीआई के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. एस. गंभीर का कहना है कि मायोकार्डियल परफ्यूजन जांच में हम मीबी नाम की आइसोटोपिक दवा इजेंक्ट करते हैं। ऐसा करने के कुछ देर बाद गामा कैमरे में दिल की मांसपेशियों की हलचल देखते हैं। फिर मरीज का स्ट्रेस (दौड़ाकर) देखते हैं कि कहीं मेहनत के दौरान रक्त प्रवाह तो कम नहीं हो रहा। अगर रक्त प्रवाह कम है तो कहीं रुकावट है। इसके अलावा पेट (पॉजीट्रान इमेशन टोमोग्राफी) के जरिए भी पता लगाया जा सकता है कि दिल के किस हिस्से में कितना रक्त प्रवाह है। यह बेहद संवेदनशील जांच होती है।
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दिल के दौरे के लक्षण
- सीने में दर्द।
- सीने में दबाव।
- दिल के बीचों-बीच कसाव महसूस होना।
- शरीर के दूसरे हिस्सों में दर्द।
- सीने से हाथों (अमूमन बाएं हाथ पर असर पड़ता है, लेकिन दोनों हाथों में दर्द हो सकता है), जबड़े, गर्दन, पीठ और पेट की ओर जाता हुआ महसूस होना।
- बैचेनी या चक्कर आना।
- ज्यादा पसीना आना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- खांसी के दौरे पड़ना।
- जोर-जोर से सांस लेना।
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किस मरीज पर हुआ तकनीक का प्रयोग
अस्पताल के मुताबिक, 40 वर्षीय विपिन शुक्ला को लंबे समय से घबराहट की दिक्कत थी। वह सीढ़ियों पर भी नहीं चढ़ पाते थे। घबराहट की जांच के लिए वह पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सुदीप से मिले। अस्पताल में उनकी कई जांच हुईन। ईसीजी सहित कुछ जांचों में जब कुछ सामने नहीं आया तो डॉक्टर ने मायोकार्डियल परफ्यूजन इमेजिंग (एमपीआई) जांच कराई। उसमें दिल संबंधी कई दिक्कतों के संकेत मिले। एंजियोग्राफी की तो दिल की एक रक्त वाहिका में रुकावट मिली, जिसे स्टेंट लगाकर दूर कर दिया। अब उन्हें हार्टअटैक की संभावना खत्म हो गई है। डॉक्टर का मानना है कि हार्ट अटैक के बाद इलाज सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन आशंका का पहले पता लगाकर दिल दुरुस्त करने से भविष्य की चिंता खत्म हो जाती है।
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