
लिवर विशेषज्ञों ने कहा कि लिवर की बीमारियों के लिए शराब एक मुख्य कारण है। अधिक जानकारी के लिए खबर को पढ़ें।
शराब को लिवर संबंधी रोगों का प्राथमिक कारण माना जाता है। इस समस्या को रोकने के लिए डॉक्टरों ने शराब की दुकानों और शराब की आकर्षक छवि पर प्रतिबंध का समर्थन किया है।
लिवर विशेषज्ञों ने भी भारत में शराब संबंधित शिक्षा, रोकथाम और शोध पर अधिक बल दिए जाने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने भारत में शराब की कीमतें बढ़ाने का भी सुझाव दिया है।
डॉक्टरों से लिवर संबंधी रोगों के समुचित उपचार के अभाव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इस रोग के इलाज के लिए अनुसंधान और विकास के नए उपकरण में और अधिक निवेश करने की जरूरत पर बल दिया।
इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज द्वारा आयोजित एल्कॉहोलिक लिवर और अग्नाशय रोगों और सिरोसिस पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग ले रहे डॉक्टरों ने इस क्षेत्र में एक शोध बजट की जरूरत पर बल दिया। साथ ही इस रोग की जड़ को पकड़ने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य महामारी विज्ञान द्वारा अध्ययन की जरूरत बतायी।
इंपीरियल कॉलेज, यूके में हेप्टोलोजी के प्रोफेसर 'मार्क थर्ज़' ने कहा, "भारतीयों को कुछ बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य महामारी विज्ञान अध्ययन शुरू करने की जरूरत है। इसके लिए समुदायों में बाहर जाकर शराब के स्तर तथा रोगों के प्रसार की खोज होनी चाहिए। सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए यह डेटा आवश्यक है।"
थर्ज़ ने कहा "शराब की कीमतों में वृद्धि होनी चाहिए ताकि लोगों के लिए इसे खरीद पना मुश्किल हो जाए। अन्यथा, शराब की खपत बढ़ जाएगी। हमें शराब के प्रचार में हो रही मार्केटिंग तथा इसकी प्रशंसक छवि को भी कम करना होगा।"
उन्होंने कहा कि शराब पर प्रतिबंध लगाने से अपराध बढ़ जाते हैं, इसलिए शराब पर प्रतिबंध के बजाए प्रतिबंध इसके विज्ञापन पर लागू किया जाना चाहिए।
मार्क ने बताया कि यूके में लोगों की मौत का पांचवां मुख्य कारण है। इसमें से 80 फीसदी मामलों में लिवर की बीमारियां शराब की वजह से हुई होती हैं। अन्होंने कहा कि जहं एक और यूके में लगों की मृत्यु के कारण बने चार बड़े कारणों में कमी आई है, यह समस्या बढ़ी है।
संगोष्ठी के दूसरे प्रतिभागियों ने कहा कि किशोरों के बीच शराब के बारे में जागरूकता पैदा करने की काफी जरूरत है।
नेश्नल इन्स्टिटूट ऑफ एल्कोहॉल एब्यूज एंड एल्कोहॉलिज्म, मेरीलैंड, यूएस के लिवर रोगों की प्रयोगशाला के प्रमुख, बिन गाओ ने कहा, "किशोर स्तर से बच्चों को इस बारे में शिक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है तथा भारत में इसके लिए एक कार्यक्रम चलाना चाहिए। इसके लिए अनुसंधान बजट और उपचार के लिए एक बजट दोनों की ही जरूरत है।"
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