
सर्वेक्षण में भारत के मेट्रो शहरों में कक्षा 6 से 10 में पढ़ रहे 1,350 बच्चों के माता-पिता के जवाब शामिल हैं। परिणाम बताते हैं कि केवल 35 प्रतिशत बच्चे ही भोजन के हिस्से के रूप में सब्जियों का उपभोग करते हैं।
देश में कक्षा छठीं से दसवीं के बीच पढ़ने वाले शहरी बच्चों में से सिर्फ 18 फीसदी ही प्रतिदिन फल खाते हैं, एक अध्ययन के परिणाम में यह बात सामने निकलकर आई है। सर्वेक्षण में देश के ज्यादार बच्चों के खाने की खराब आदतों का खुलासा हुआ है। देश में 100 से ज्यादा स्कूल चला रहे पोद्दार एजुकेशन ग्रुप द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि एक दिन में एक बार प्रोटीन खाने वाले बच्चों का अनुपात भी 14 प्रतिशत है जो पहले के मुकाबले कम है।
सर्वेक्षण में भारत के मेट्रो शहरों में कक्षा 6 से 10 में पढ़ रहे 1,350 बच्चों के माता-पिता के जवाब शामिल हैं। परिणाम बताते हैं कि केवल 35 प्रतिशत बच्चे ही भोजन के हिस्से के रूप में सब्जियों का उपभोग करते हैं।
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ
पोद्दार शिक्षा समूह के ट्रस्टी राघव पोद्दार ने एक बयान में कहा, "विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) कहता है कि विकासशील देशों में बचपन का मोटापा एक 'खतरनाक सपने' जैसा है।" पोद्दार ने कहा, "स्वस्थ बचपन देश के लिए महत्वपूर्ण हैं, और माता-पिता एवं स्कूलों के बीच मजबूत एकजुट कार्य की आवश्यकता है।"
जंक फूड के आदी हो रहे हैं बच्चे
सर्वेक्षण में भारत के स्कूली बच्चों के खाने की आदतों के मूल्यांकन में यह भी पाया गया कि उनमें से 50 प्रतिशत जंक फूड, मिठाई या अन्य अस्वास्थ्यकर भोजन का रोजाना उपयोग करते हैं। कुल मिलाकर जो बड़ी बात है कि लगभग 76 प्रतिशत माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे आउटडोर खेल खेलते हैं। और लगभग 24 प्रतिशत ने कहा कि उनके बच्चों को बाहर खेलना बिल्कुल पसंद नहीं है।
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