
हर महिला गर्भावस्था के दौरान फीटल किक्स का अनुभव करती है। इससे बच्चे की गतिविधियों के बारे में पता चलता है। ज्यादा जानिए इसके बारे में।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई अनुभव होते हैं। ये अनुभव एक ओर जहां थोड़े परेशानी भरे होते हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ सुखद एहसास भी कराते हैं। इनमें से ही एक है फीटल किक।
फीटल किक्स के जरिए बच्चे की गतिविधियों को महसूस किया जा सकता है। हर महिला गर्भवास्था के तीसरी तिमाही के दौरान फीटल किक के अनुभव से जरूर गुजरती है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है तो वह अपनी मौजूदगी का एहसास करता है।
कब होता है फीटल किक का एहसास
आमतौर पर महिलाओं को गर्भावस्था के बीसवें हफ्ते तक फिटल किक्स का एहसास होने लगता है। धीरे-धीरे उन्हें अपने अंदर पल रहे बच्चे के सोने व जागने का पता भी चलने लगता है। कई महिलाओं मे देखा गया है की उन्हे पहले फिटल किक का एहसास करीब चौबीस हफ्ते बाद होता है। हालांकि इसमें घबराने की कोई बात नहीं है। क्योंकि हर महिला के शरीर की बनावट अलग-अलग होती है और कई हद तक यह अमीनो फ्लूईड की मात्रा पर भी निर्भर करता है।
कब एक्टिव होते हैं बच्चे
गर्भाशय में ज्याचदातर बच्चे तभी एक्टिव रहते हैं जब मां आराम कर रही होती है और जब मां उठी होती है तो वह आराम कर रहे होते हैं। अक्सर मां के खाना खाने के बाद बच्चे ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं क्योंकि खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है जिससे उन्हें ताकत मिलती है।
फीटल किक के दौरान क्या करें
- अपने बच्चे के फीटल किक की गिनती करें इससे आप उसकी सक्रियता के बारे में पता कर पाएंगी।
- फीटल किक के दौरान आराम से बैठ जाएं या लेट जाएं और आराम से अपने बच्चे की गतिविधियां महसूस करें।
- आप अपने पार्टनर का हाथ अपने पेट पर रख कर उसे भी बच्चों की गतिविधियों का एहसास करा सकती हैं। मोटी महिलाओं के मुकाबले पलती महिलाएं ज्यादा आसानी से बच्चे की गतिविधियों को महसूस कर पाती हैं।
- अपने बच्चे के पहली गतिविधि व आखिरी गतिविधि का समय नोट करें। जिससे आपको उसकी विकास के बारे में पता चलता रहेगा।
- अगर आपका बच्चा सामान्यत दो घंटे में 10 से कम किक मारे तो कुछ तरल पदार्थों का सेवन कर उसे जगाएं या कुछ मिनट टहलें। उसके बाद फिर से फीटल किक की गिनती शुरु करें।
- अगर आपको अपने बच्चे की गितिविधियां कुछ कम लग रही हैं तो तुरंत अपनी डॉक्टर से संपंर्क करें और उसे इस बारे में बताएं।
- डिलवरी का समय पास आने पर फीटल किक में कमी आने लगती है क्योंकि बच्चा पूरी तरह विकसित हो जाता है और ज़्यादा हिलने के लिए जगह नही रहती, इन कारणों से बच्चे को हिलने-डुलने मे भी मुश्किल होती है।
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