
बच्चों की शरारत तब तक अच्छी लगती है जब तक ये किसी के लिए आफत नहीं बन जाती है। जब उनकी शरारत क्युटनेस से बढ़कर आपको परेशान करने लगे तो ये पेरेंट्स और बाकियों के लिए भी सिरदर्द बन जाता है। कई बार उनकी नटखट शरारतें इतना बड़ा नुक्सान कर जाती है कि इनक
बच्चों की शरारत तब तक अच्छी लगती है जब तक ये किसी के लिए आफत नहीं बन जाती है। जब उनकी शरारत क्युटनेस से बढ़कर आपको परेशान करने लगे तो ये पेरेंट्स और बाकियों के लिए भी सिरदर्द बन जाता है। कई बार उनकी नटखट शरारतें इतना बड़ा नुक्सान कर जाती है कि इनकी भरपाई करना असंभव हो जाता है। कभी कभी वे इतने शरारती बन जाते हैं कि उनकी शरारत घर तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि स्कूल में भी ऐसी हरकत करने से बाज नहीं आते हैं। आज हम आपको बताते हैं इनकी शरारतों से कैसे डील किया जा सकता है।
शारीरिक दंड ना दें
बच्चे चाहे जितनी भी बड़ी गलती करें उन्हें कभी भी शारीरिक दंड ना दें। इसका उनपर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा भी अगर बच्चे स्कूल में शरारत करते हैं तो टीचर को भी उन्हें सजा नहीं देनी चाहिए। क्योंकि छोटी उम्र के बच्चों को सजा देने का हक सिर्फ उनके पेरेंट्स को होता है।
अच्छे व्यवहार के लिए सम्मानित करें
बच्चे अगर घर पर चौबीस घंटे में एक घंटे भी शांति से बैठ जायें तो ये काबिलेतारीफ होता है। इसलिए समय समय पर उनकी इस एक्टिविटी की तारीफ करें और उन्हें इसके लिए इनाम भी दें। आपका इनाम देना उन्हें अच्छे व्यवहार की तरफ प्रेरित करता है।
सहयोग करने की भावना को प्रेरित करें
अगर उनके नटखट शरारतों से किसी चीज का नुक्सान हुआ है तो उसे सही करने के लिए उसके सहयोग के लिए प्रेरित करें। उन्हें अनुशासन और जिम्मेदारी का महत्व समझायें।
उन पर चिल्लायें नहीं
जब उनकी शरारतें आपको काफी परेशान करने लगे तो आप गुस्से में उन पर चिल्लायें नहीं। उन्हें प्यार से समझायें कि उनकी इस शरारत से किसी का नुक्सान भी हो सकता है। कभी कभी बच्चे शरारत में अपने से बड़ों की नकल उतारते हैं जिससे उन्हें काफी इरिटेशन होती है। अगर आप उनके साथ शांति से पेश आयेंगे तो वे भी आपकी बात समझेंगे और वे आपको देखकर आपसे शांति से पेश आयेंगे।
लीडर को फॉलो करें
अगर स्कूल की बात हो तो उन्हें उनके ही लायक घर की कोई जिम्मेदारी सौंपें जिससे वे उसके प्रति सीरीयस होंगे और उसी पर फोकस करेंगे। ये भी तय कर रखें कि जब वे कोई नियम तोड़ें तो उनके लिए एक सजा का भी प्रावधान रखें।
उन्हें शर्मिंदा ना करें
उन्हें उनकी हरकतों के लिए किसी दूसरे के सामने शर्मिंदा ना करें। ये उनकी दिमाग पर गलत प्रभाव डाल सकता है। इसके बदले उन्हें अकेले में ले जाकर समझायें। इससे वे बिना गलत प्रभाव के आपकी बात जल्दी समझ जायेंगे। आप उन्हें चेतावनी भी दे सकते हैं कि अगर वे आगे से ऐसी शरारत करेंगे तो आप उनकी हरकतों को सबके सामने बता देंगे।
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