
लोगों की बढ़ती जरूरत और बदलते समय के साथ-साथ बाजार में प्रोसेस्ड फूड तेजी से बढ़े हैं, जिनमें फूड कलर का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जाता है, जिससे वह फ्रेश और अट्रैक्टिव दिखें। लेकिन शायद आपको इस बात
डॉक्टर और डायटीशियन हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए अक्सर हमें सात रंगों वाले फूड का सेवन करने की सलाह देते हैं, जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, पीली मिर्च और स्क्वॉश, नारंगी गाजर, लाल रंग के सेब, बैंगनी पत्तागोभी और अन्य रंगों के खानपान के बारे में बताते हैं। यह सभी रंग अलग-अलग पोषक पदार्थों के बारे में दर्शाते हैं साथ ही हमारे शरीर को स्वास्थ्य रखने में अपनी भूमिका अदा करते हैं और यह रंग हमें खाद्य पदार्थों के प्रति आकर्षित भी करते हैं। कई बार इनके रंगों की तरफ आकर्षित होकर ही हम इन्हें खाने के लिए मचल उठते हैं। लेकिन बदलते समय के साथ-साथ बाजार में प्रोसेस्ड फूड आने लगे हैं जिनमें फूड कलर का इस्तेमाल किया जाने लगा है, जिससे वह फ्रेश और अट्रैक्टिव दिखें, मगर यह हमारे शरीर के लिए काफी नुकसानदेह हैं।
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क्यों होता है फूड कलर का इस्तेमाल
जब कृत्रिम तरीके से किसी भी खाद्य पदार्थ का उत्पादन किया जाता है तो उसमें कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल जरूरी हो जाता है। साथ ही उत्पादों को खराब होने से बचाने के लिए भी इन रंगों का प्रयोग किया जाता है। इससे खाद्य पदार्थों का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ जाता है और वह एक फेक कंपाउंड पदार्थ में रिप्लेस हो जाता है। ऐसा इन खाद्य पदार्थों को मार्केट में आसानी से बेचने के लिए किया जाता है। ऐसा करने वाली कंपनियां कहीं न कहीं इन रंगों के माध्यम से छिपे तरीके से लोगों में कैंसर, अंग विफलता और मस्तिष्क संबंधी रोगों को बढ़ावा दे रही हैं।
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फूड कलर और उनके नुकसान
ब्रिलिएंट ब्लू - आमतौर पर इस फूड कलर का प्रयोग बिस्किट, ब्रेड, पेय पदार्थों आदि में प्रयोग किया जाता है। इस रंग के अत्यधिक सेवन से किडनी में समस्या हो सकती है।
इंडिगो कारमाइन - इस कलर का इस्तेमाल टॉफियों, पेट फूड्स और अन्य खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। माना जाता है कि इसके ज्यादा प्रयोग से ब्रेन ट्यूमर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
फास्ट ग्रीन - ये कलर ज्यादातर कॉस्मेटिक और दवाओं में मिलाया जाता है। इससे थॉयराइड ट्यूमर होने की बात सामने आने पर अमेरिका में बैन किया जा चुका है।
एरीथ्रोसिन - इसे लाल रंग की जगह प्रयोग किया जाता है। यह भी टॉफी, बिस्किट और बैक्ड फूड में मिलाया जाता है। इससे भी थॉयराइड ट्यूमर होता है।
एल्यूरा रेड - इस कलर का सबसे ज्यादा प्रयोग अनाज, मिठाइयों, दवाओं और सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है। यह भी शरीर को कई तरह से हानि पहुंचाता है।
सनसेट यलो - यह ज्यादातर पेय पदार्थ, मिठाइयों, जिलेटिन, कैंडीज और यहां तक कि सॉस में इस्तेमाल किया जाता है। जो कि एड्रेनल ट्यूमर का कारण है, साथ ही ये बच्चों में हाइपर एक्टिविटी को बढ़ाता है।
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Image Source : Getty Imege
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