
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मुख्य तत्वों में से विटामिन डी बेहद महत्वपूर्ण तत्व है। ऐसे में जानते हैं कि शरीर के लिए क्यों जरूरी है विटामिन डी।
अपने देश में अधिकतर लोगों को विटामिन डी की कमी का सामना करना पड़ता है जिसके कारण लोग कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त भी हो जाते हैं। कुछ लोग ऐसे भी जिन्हें पता ही नहीं होता कि वे विटामिन डी की कमी के शिकार हो गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे इसके लक्षण नहीं जानते। अगर आप भी इन्हीं में से एक हैं तो आपको यह जानना बेहद जरूरी है कि विटामिन डी आपके शरीर के लिए क्यों जरूरी है और इसकी कमी शरीर में क्यों होती है? अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो जांच और बचाव क्या है? इसके लिए हमने आकाश हेल्थकेयर की न्यूट्रिशनिस्ट अनुजा गौर से भी बातचीत की। पढ़ते हैं आगे
विटामिन डी की जरूरत (Importance of Vitamin D)
विटामिन डी की मदद से शरीर में कैल्शियम बनता है। ध्यान दें कि यह घुलनशील प्रो हॉर्मोंस का एक समूह होता है। इसका काम आंतो से कैल्शियम को सोखना होता है और उसे हड्डियों तक पहचाना होता है। यह भी दो भागों में बंटा है- विटामिन d2 और विटामिन d3। ध्यान दें कि कोशिकाओं की कार्यप्रणाली जो शरीर को संक्रमण से बचाती है यह उन्हें भी दुरुस्त रखने में मदद करता है। इम्यून सिस्टम को दुरुस्त बनाने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है और यह फेफड़ों को इंफेक्शन से दूर रखता है। साथ ही नर्वस सिस्टम की सक्रियता भी इसी के हाथ में होती है। इससे शरीर में प्रोटीन की कमी नहीं होती और इसी के माध्यम से शरीर को सही आकार भी मिलता है।
विटामिन डी की कमी से समस्या
हड्डियों में कैल्शियम का अवशोषण ना होने के पीछे विटामिन डी की कमी होती है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। भले ही आप कैल्शियम भरपूर मात्रा में लें लेकिन विटामिन डी के अभाव में व्यक्ति को फायदा नहीं मिल पाता। समस्या सिर्फ इतनी नहीं है। अगर ब्लड में कैल्शियम का स्तर गिरने लगे तो उसे पूरा करने के लिए खून हड्डियों से कैल्शियम लेना शुरू कर देता है। इसी के कारण हाथ पैरों में दर्द होता है कुछ बच्चों में विटामिन डी की कमी जन्म से ही होती है इस परिस्थिति को रिकेट्स भी कहा जाता है। हालांकि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं अपने खान-पान और चिकित्सा का पूरा ध्यान देती है। ऐसे में इस तरह की समस्या कम देखने को मिलती है। लेकिन कुछ ऐसे भी स्थिति बन जाती है जब गर्भवती महिला कुपोषण का शिकार हो जाती हैं ऐसे में बच्चों में विटामिन डी की कमी शुरुआत से ही पाई जाती है। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जिसमें किडनी विटामिन डी को सक्रिय नहीं कर पाती तब भी इसकी कमी हो जाती है।
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क्या है इसकी कमी के पीछे कारण
बदलती जीवन शैली इसका बड़ा कारण है। आजकल लॉकडाउन के चलते हम अपना ज्यादा वक्त अपने घर पर ही बिताते हैं, जिसके कारण हम अपने शरीर को सूरज की रोशनी भरपूर मात्रा में नहीं दे पाते। बता दें कि सूरज की रोशनी विटामिन डी का प्रमुख स्रोत है। ऐसे में इस रोशनी का अपनी दिनचर्या में जोड़ना बेहद जरूरी है। कुछ लोग सोचते हैं कि मॉर्निंग वॉक करने से भी उनके शरीर को विटामिन डी मिल जाता है पर ऐसा नहीं है। वास्तव में सुबह 11:00 से दोपहर 1:00 बजे तक अगर आप सूरज की किरणों को शरीर पर पड़ने देते हैं तो विटामिन डी की कमी पूरी हो जाती है।
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विटामिन डी की कमी के लक्षण
- हड्डी और मांसपेशियों में कमजोरी,
- चलते वक्त घुटने से आवाज आना,
- थकान महसूस करना,
- बेचैनी होना,
- चिड़चिड़ापन,
- बालों का झड़ना,
- पीरियड्स अनियमित होना,
- इम्यून सिस्टम का कमजोर होना,
- इनफर्टिलिटी की संभावना,
- याददाश्त कमजोर हो ना।
विटामिन बी की कमी के लिए जांच और बचाव
अगर आपको ऊपर दिए लक्षण नजर आ रहे हैं तो हो सकता है कि आपके अंदर विटामिन डी की कमी हो। ऐसे में जांच जरूर करवाएं। विटामिन डी की कमी की जांच को 25-hydroxy टेस्ट के नाम से जाना जाता है। बता दें कि डॉक्टर खून में 50-20 नैनोग्राम के विटामिन डी के स्तर को सामान्य मानते हैं। लेकिन अगर यह स्तर 20 तक पहुंच जाए तो सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे में डॉक्टर्स विटामिन डी के सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं। इसके अलावा डॉ नियमित एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं, जिससे कैल्शियम के अवशोषण में मदद मिल सके। एक्सरसाइज में वर्कआउट, साइकिलिंग, डांस आदि को आप जोड़ सकते हैं। इसके अलावा आप ब्रिस्क वॉक भी कर सकते हैं।
इसके प्राकृतिक स्रोत
एक्सपर्ट मानते हैं कि व्यक्ति को नियमित रूप से 10 माइक्रोग्राम विटामिन डी की जरूरत होती है। ऐसे में अपनी डाइट में अंडा, मछली, हरी सब्जियां, मिल्क प्रोडक्ट्स आदि को शामिल करें। इसके अलावा 11:00 से 1:00 बजे तक सूरज की रोशनी में रहें। अगर आप रोजाना धूप में नहीं बैठ पा रहे हैं तो हफ्ते में एक बार डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट भी ले सकते हैं। ध्यान रहे कि जिस हिस्से पर कपड़े नहीं होंगे केवल उसी पर धूप का अवशोषण हो पाता है। ऐसे में कपड़ों का चुनाव सोच समझ करें। ऐसे कपड़े चुने जिससे ज्यादा से ज्यादा शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल सके। फिर भी अगर शरीर में विटामिन डी की कमी नजर आती है तो जरूर डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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कुछ मुख्य बातें
- प्रतिदिन एक्सरसाइज और मॉर्निंग वॉक के लिए समय निकालें।
- मुख्य ड्राई फ्रूट्स जैसे काजू, बादाम, अखरोट आदि को अपनी डाइट में शामिल करें।
- अगर आप नॉनवेजिटेरियन हैं तो आप अपनी डाइट में मछली और अंडे को शामिल कर सकते हैं।
- वेजिटेरियन और नॉन वेजिटेरियन लोग अपनी डाइट में दही, दूध, पनीर चीज आदि को शामिल कर सकते हैं।
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