
पर्याप्त नींद न लेना कॉलेज छात्रों के बीच कई प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों से जुड़ा हुआ है। जर्नल स्लीप में प्रकाशित एक अध्ययन से इस बात की जानकारी सामने आई है।
जर्नल स्लीप में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, पर्याप्त नींद न लेना कॉलेज छात्रों के बीच कई प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों से जुड़ा हुआ है। अध्ययन के मुताबिक, पर्याप्त रूप से नींद नहीं आना छात्रा और खिलाड़ियों के बीच चिंता, आत्म-नुकसान और खुदकुशी के विचार जैसी कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के साथ जुड़ा हुआ है।
जर्नल स्लीप में प्रकाशित अध्ययन में 110,496 छात्रों की मानसिक गतिविधियों का विश्लेषण किया गया, जिसमें से 8,462 एथलीट शामिल थे।
अमेरिका स्थित एरिजोना विश्वविद्यालय की प्रोफेसर व मुख्य लेखक थिया रैमसी ने कहा, ''यह वाकई में देखना हैरान कर देने वाला था कि अपर्याप्त नींद कितनी मजबूती से कॉलेज छात्रों के बीच कई मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों के साथ जुड़ा हुआ है।''
प्रत्येक रात को पर्याप्त नींद नहीं लेना मानसिक स्वास्थ्य लक्षणों के खतरे के अनुभव को औसतन 20 फीसदी से ज्यादा तक बढ़ा देता है।
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अध्ययन के मुताबिक, पर्याप्त नींद नहीं लेने से हताशा 21 फीसदी, आशाहीनता 24 फीसदी, गुस्सा 24 फीसदी, चिंता 25 फीसदी, खुद को नुकसान पहुंचाने की मंशा 25 फीसदी, काम में मन न लगना 28 फीसदी और खुदकुशी का विचार भी 28 फीसदी तक बढ़ जाता है।
विश्वविद्यालय के एक और प्रोफेसर माइकल ग्रैंडर ने कहा, ''गौर करने वाली बात ये है कि नींद स्वास्थ्य बहुत ही मजबूती के साथ मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है और यह अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि अधिकतर कॉलेज छात्र जरूरी अच्छे स्वास्थ्य व गतिविधियों के लिए पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं।''
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मौजदा वक्त में तनाव एक आम समस्या बन गया है। बड़े से लेकर बच्चे, कॉलेज छात्र भी तनाव का शिकार होते जा रहे हैं। इस भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी बात को लेकर तनाव में रहता है। हालांकि थोड़ा बहुत तनाव आपको आगे बढ़ने के लिए प्ररित करता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा तनाव की स्थिति व्यक्ति के शरीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
आप अपनी रोजाना की कुछ आदतों के ही कारण तनाव का शिकार हो रहे हैं। आपकी ये आदतें आपके स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए कुछ प्रकार की आदतों को बदलना बेहद जरूरी है।
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