
प्रोस्टेट कैंसर 60 साल से अधिक उम्र वाले पुरुषों के प्रोस्टेट ग्लैंड में होने वाला कैंसर का एक प्रकार है। इससे बचाव के बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
सामान्यतया प्रोस्टेट कैंसर 60 साल से अधिक उम्र वाले पुरुषों के प्रोस्टेट ग्लैंड में होने वाला कैंसर का एक प्रकार है। प्रोस्टेट ग्लैंड अखरोट के आकार की एक ऐसी ग्रंथि है जो युरेथरा यानी पेशाब की नली के चारों तरफ होती है। इसका काम काम वीर्य में मौजूद एक द्रव पदार्थ का निर्माण करना है। प्रोस्टेट कैंसर आमतौर कम उम्र के पुरुषों को कम होता है। दिनचर्या और खानपान के कारण उम्रदराज लोगों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। अमेरिका व युरोपीय देशों के पुरुषों में बेहद तेजी से फैलने वाले प्रोस्टेट कैंसर के मामले अब एशिया में भी बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो दशकों में यह कैंसर भारत समेत एशियाई मूल के पुरुषों में तेजी से बढ़ा है। आइए हम इससे बचने के टिप्स बताते हैं।
ये खाद्य-पदार्थ न खायें
लाल और नॉन आर्गेनिक मांस
बहुत अधिक रेड और नॉन आर्गेनिक मीट खाने से बचें। इसके सेवन से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। कई शोधों से पता चलता है कि ज्यादा लाल मांस खाने वालों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम लाल मांस खाने वालों की तुलना में 12 प्रतिशत और एडवांस कैंसर का खतरा 33 प्रतिशत ज्यादा होता है। इसके अलावा बीफ, पोर्क, लैंब और पोल्ट्री में हार्मोन, एंटीबाइटिक और एस्टेरॉइड पाए जाते हैं। यह न सिर्फ प्रोस्टेट, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी हानिकारक है।
कैल्सियम और डेरी उत्पाद
अन्य पूरक आहारों से मिलने वाले कैल्सियम और डेरी उत्पाद से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। कुछ दुग्ध उत्पाद फैट और कोलेस्टेरोल से भरे होते हैं, साथ ही बहुतों में हार्मोन भी पाए जाते हैं। इन सभी का प्रोस्टेट पर नाकारात्मक असर पड़ता है।
डिब्बाबंद आहार
डिब्बा बंद आहार खाने से भी बचें, खासकर टमाटर और टमाटर से बने उत्पाद चूंकि टमाटर और टमाटर से बने उत्पाद में लाइकोपेन पाया जाता है, जिससे यह प्रोस्टेट को बढ़ावा देता है। टिन के डब्बे की परत में एक सेंथेटिक एस्ट्रोजन बिस्फेनॉल-ए (बीपीए) पाया जाता है। चूंकि टमाटर एसिडिक होता है, इसलिए बिस्फेनॉल-ए इसमें घुल सकता है, इसलिए इसे खाने से बचें।
अधिक तला हुआ
नॉन आर्गेनिक आलू बिना वसा वाला एक अच्छा हाई फाइबर आहार है। लेकिन नॉन आर्गेनिक आलू में कई जहरीले पदार्थ पाए जाते हैं। इसके गूदे में जो रसायन जमा रहते हैं, उन्हें आप हटा नहीं सकते हैं। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आर्गेनिक आलू खाया जाए। इसके अलावा ज्यादा फ्राई किया हुआ आलू या आलू के चिप्स में सैचुरेटेड फैट और नमक से भरा होता है। आलू में एस्पराजाइन नाम का एक अमीनो एसिड पाया जाता है। इसे जब 248 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा गर्म किया जाता है यह एक्राइलामाइड बनाता है, जिससे कैंसर होता है।
शराब और कैफीन
कैफीन से ब्लैडर में जलन होती है। कॉफी और कैफीन वाले दूसरे पेय पदार्थ से प्रोस्टेट की स्थिति बिगड़ सकती है। शराब कैफीन की तरह ही शराब यूरीन के उत्पादन को बढ़ाता है और यूरीन डिस्चार्ज करते समय जलन भी होती है। साथ ही जब आप शराब पीते हैं तो आप बड़ी मात्रा में तरल पदार्थ अंदर लेते हैं। इससे पहले से ही संवेदनशील प्रोस्टेट पर दबाव बढ़ता है। इसलिए शराब और कैफीन का अधिक सेवन न करें।
नियमित व्यायाम भी जरूरी
बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है नियमित व्यायाम। यदि आप नियमित व्यायाम करते हैं तो उसका असर बाद में भी दिखता है। इसके अलावा यदि आप प्रोस्टेट कैंसर के निदान के बाद भी व्यायाम करना शुरू कर रहे हैं तो इसके इलाज में आसानी होती है। इसलिए अपनी व्यस्त दिनचर्या में से 30 मिनट व्यायाम के लिए अवस्य निकालिए।
प्रोस्टेट कैंसर के निदान के बाद इसके उपचार के दौरान शरीर से टेस्टोरॉन का स्तर कम किया जाता है, इसके लिए सर्जरी, कीमोग्राफी या हार्मोनल थेरेपी का सहारा लेते हैं। कई बार सर्जरी के बाद भी रेडियेशन थेरेपी व दवाओं से इसकी रोकथाम करनी पड़ती है।
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