
ब्रिटिश जर्नल जर्नल ऑफ डर्मेटोलॉजी' में प्रकाशित एक शोध की मानें, तो लोगों के जीन इस बात को तय करते हैं कि वे कितने यूवी सेंसिटिव हैं।
मेलेनोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो बोन मेरो के प्लाज्मा सेल्स में विकसित होता। मेलेनोमा को मैलीगनेंट (घातक) मेलेनोमा भी कहा जाता हैं। मेलेनोमा का प्राथमिक कारण सूर्य के किरणों के साथ आने वाले यूवी रेज हैं। पर शोधकर्ताओं की मानें तो, 22 प्रकार के अलग-अलग जीन हैं, जो यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि किसी व्यक्ति में मेलेनोमा होने के पीछे कितना यूवी रेज का हाथ है। दरअसल जब सूर्य से आने वाली परबैंगनी प्रकाश (यूवी रेज) त्वचा के निम्न-स्तर वाले सेल्स पर पड़ती हैं, तो मेलेनोमा खतरा बढ़ जाता हैं। यूवी प्रकाश या तो सूर्य से या फिर अन्य टैनिंग स्त्रोतों से आ सकता हैं। इसी को लेकर शोध में कहा गया है कि मेलेनोमा किसी को सिर्फ यूवी रेज के कारण नहीं होता है, बल्कि इसके पीछे कुछ आनुवंशिक कारण भी हैं। आइए हम आपको बताते हैं इस शोध के बारे में।
क्या कहता है शोध-
ब्रिटिश जर्नल जर्नल ऑफ डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित इस शोध की मानें, तो लोगों के जीन इस बात को तय करते हैं कि वे कितने यूवी सेंसिटिव हैं। शोध में कह गया है कि जिन लोगों को मेलेनोमा कैंसर हुआ है, उसके एक कारणों में उनकी आनुवंशिकी यानी कि जीन फेक्टर भी शामिल है। मेलेनोमा के जोखिम वाले लोगों के लिए, बचपन से ही सुर्य की किरणों के प्रति सेंसिटिव होना एक मजबूत कारणों में से एक है। ऑस्ट्रेलिया में दुनिया में त्वचा कैंसर की दर सबसे अधिक है। हर साल 12,000 से अधिक ऑस्ट्रेलियाई लोगों को आक्रामक मेलेनोमा का निदान किया जाता है, जो बीमारी का सबसे घातक रूप में होते हैं।क्यूआईएमआर बरगॉफर मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के कैंसर नियंत्रण समूह के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर डेविड व्हिटमैन ने कहा कि अवधारणा को अच्छी तरह से समझने के लिए, अध्ययन में त्वचा कैंसर के सबसे बड़े आनुवंशिक अध्ययन क्यूस्किन के डेटा का उपयोग किया गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि जीन और सूर्य के संपर्क ने एक व्यक्ति को कैसे प्रभावित किया। व्हिटमैन ने कहा, "अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि जीन से प्रभावित लोग त्वचा कैंसर के शिकार ज्यादा होते हैं, क्योंकि ऐसे लोग बचपन से ही ऑस्ट्रेलिया के धूप जलवायु के जोखिम को संभाल नहीं पाते इसलिए मेलेनोमा के शिकार हो जाते हैं।
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गर्म जगहों पर पैदा होने वालों में मेलानोमा का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है-
शोधकर्ताओं की मानें, तो लोगों में आनुवंशिक कारण से मेलानोमा का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है। ऐसे में ये लोग भले ही बहुत देर तक धूप में न रहते हों पर इनके जीन सूर्ट की किरणों के प्रति सेंसिटिव है, इसलिए इन्हें मेलेनोमा कैंसर हो सकता है। शोध में कहा गया है कि कुछ आंकड़ों से पता चलता है कि जो लोग गर्म जगह में पैदा होते हैं और बड़े होते हैं, उनमें मेलानोमा का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है, जबकि जो लोग वयस्कों के रूप में ऑस्ट्रेलिया में पलायन करते हैं, जिनके जीन समान होते हैं, उनमें घातक बीमारी विकसित होने की संभावना कम होती है। शोध में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि लगभग 20 साल की उम्र तक यूवी रेज के ज्यादा संपर्क में रहना उच्च आनुवांशिक जोखिम वाले लोगों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है, क्योंकि यह मेलानोमा को ट्रिगर करता है और ऐसे लोग एक उम्र में जाकर मेलेनोमा के शिकार हो जाते हैं।
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मेलेनोमा के जोखिम को बढ़ाने वाले अन्य कारकों में शामिल हैं-
- -गोरी त्वचा- अगर आपकी त्वजा गोरी है, तो आप मेलेनोमा को विकसित करने की अधिक संभावना रखते हैं, उनकी तुलना में जो ड्राक शेड्स के हैं। लेकिन मेलेनोमा गहरे रंग के लोगों में भी विकसित हो सकता है, जिसमें हिस्पैनिक -लोग और काले लोग भी शामिल हैं।
- -सनबर्न का इतिहास- एक या एक से अधिक गंभीर ब्लिस्टरिंग सनबर्न आपके मेलेनोमा के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
- -यूवी रेज का जोखिम
- -भूमध्य रेखा के करीब या अधिक ऊंचाई पर रहना
- -मेलेनोमा का एक पारिवारिक इतिहास
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