
एडीएचडी ( अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी सिंड्रोम) दिमाग से जुड़ी एक समस्या है। एडीएचडी से प्रभावित व्यक्ति चीजों को भूल जाता है, बार-बार गलतियां करता है, किसी काम को ठीक तरह नहीं कर पाता या करने में परेशानी आती है और हर समय लापरवाही बरतता है।
एडीएचडी ( अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी सिंड्रोम) दिमाग से जुड़ी एक समस्या है। एडीएचडी से प्रभावित व्यक्ति चीजों को भूल जाता है, बार-बार गलतियां करता है, किसी काम को ठीक तरह नहीं कर पाता या करने में परेशानी आती है और हर समय लापरवाही बरतता है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि एडीएचडी समस्या सिर्फ बचपन में होती है और बड़े होने पर ये ठीक हो जाती है, जबकि ऐसा नहीं है। कोई व्यक्ति अगर इस सिंड्रोम से प्रभावित हो, तो उसके रिश्ता भी इससे प्रभावित होता है। ऐसा देखा गया है कि एडीएचडी सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति में तलाक की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। आइए आपको बताते हैं कि किस तरह एडीएचडी के कारण प्रभावित होता है किसी का रिश्ता और कैसे बचा सकते हैं उसे।
जिम्मेदारियों के प्रति होते हैं लापरवाह
एडीएचडी से प्रभावित व्यक्ति अक्सर अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह होते हैं क्योंकि वे अक्सर जरूरी काम करना भूल जाता है। जैसे बिलों का भुगतान करना, बच्चे को स्कूल से लाना, पत्नी को क्लिनिक ले जाना आदि।
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बातों को समझने में परेशानी
एडीएचडी से पीड़ित किसी व्यक्ति को कोई बात करने या समझाने में समस्या या हो सकती है। इस विकार के कारण आपके साथी को वह क्या कहना चाहता है, या उसकी बात का कोई फर्क नहीं पड़ता है या वह महत्वपूर्ण है कि नहीं, जैसे निर्णय लेने में समस्या होती है।
हर बात भूलने से रिश्ता प्रभावित
एडीएचडी कमजोर संगठनात्मक कौशल और भुलक्कड़प का कारण बनता है। एडीएचडी से पीड़ित कोई व्यक्ति अपकी पत्नी का जन्मदिन या अपनी शादी की सालगिरह याद नहीं रख पाता है, या अपनी पत्नी से किए किसी वादे को भूल सकता है। इस प्रकार की चीजें रिश्तों में खटास पैदा कर देती हैं।
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उत्तेजना में गलत काम
एडीएचडी के साथ लोगों को उत्तेजना होती रहती है। जिस कारण काम करते समय वे विवेकपूर्ण निर्णय नहीं ले पाते हैं। इस लापरवाह, गैर जिम्मेदार व्यवहार के चलते कुछ गंभीर गलतियां कर बैठता है, जैसे कार में बच्चों के साथ भी तेजी से ड्राइविंग करना आदि।
क्या है इस समस्या का समाधान
हालांकि इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। एडीएचडी के इलाज का पहला कदम इसके लक्षणों को पहचानना है। यदि आपको इसके लक्षण नज़र आते हैं तो जल्द किसी मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक को दिखाएं। अपने पार्टनर को उनकी भावनाओं को काबू करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा चिकित्सक की सलाह ली जा सकती है।
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