महिलाओं जिनको हाइपोथायरायडिज्म होता है उनको प्रजनन के सम्बन्ध में थोड़ी अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह बहुत आवश्यक है कि जो महिलाएं गर्भवती बनने पर विचार कर रही है उनको सबसे पहले इस बीमारी के लिए उचित चिकित्सा उपचार लेना चाहिए। तीव्र हाइपोथायरायडिज्म के उपचार के अभाव में बच्चे के विकास में अनके प्रकार की समस्याएं आती है, जैसे- बच्चा में कम बुद्धि, बौनापन, बच्चों के अंगो का ठीक प्रकार से न बनाना आदि। स्टील बर्थ और गर्भपात की घटनाएं भी हाइपोथायरायडिज्म के इलाज के अभाव में महिलाओं के साथ में बढ़ रही हैं। जिन महिलाओं को हाइपरथायरायडिज्म होता है, उनको आमतौर पर प्रजनन सम्बन्धी कठिनाइयों का सामना कम करना पड़ता है। पर अक्सर उनका गर्भावस्था का समय अधिक कठिन होता है। हाइपोथायरायडिज्म की तरह हाइपरथायरायडिज्म में भी महिलाओं में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, अगर उनके थायरायड की हालत कम मॉडरेट है (जो एक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट द्वारा निर्धारित), तो वहां पर मां या बच्चे में से किसी को भी स्वास्थ्य जोखिम का थोड़ा ज्यादा खतरा रहता है। गंभीर हाइपरथायरायडिज्म होने पर महिलाओं में एनीमिया, उच्च रक्तचाप और संक्रमण होने की संभावना अधिक रहती है और साथ ही साथ बच्चों को भी कई परेशानियों से गुजराना पड़ता है।
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