इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की पहचान करने के लिए हमें इस बीमारी के बारे में जानना बहुत जरूरी होता है क्योंकि कुछ बीमारियों बिल्कुल इसकी तरह प्रतीत होती है जैसे लैक्टोज इनटॉलरेन्स, यानी दूध का न पचना। इस बीमारी के लक्षण भी इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम की तरह होते हैं। दूसरी बीमारी जिसे हम सिलियक डिजीज कहते है यानी गेहूं प्रोटीन से एलर्जी। इसमें भी मरीज बार-बार पेट में दर्द बताता है और बार-बार उसका पेट खराब होता है। तीसरी बीमारी जिसे हम इंफ्लेमट्री बॉवेल डिजीज के नाम से जानते हैं। इसमें बड़ी आंत में जगह-जगह घाव बन जाते है और मरीज को वहीं तकलीफ होती है जो इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम में होती है। लेकिन हम कुछ खास लक्षणों को देखकर ही बीमारी के बारे में बताते है। अगर कुछ नेगेटिव लक्षण जैसे मल में खून आना, वजन कम होना, भूख कम लगना और अगर मरीज की कैंसर का इतिहास है तो हम आमतौर पर इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम का निदान नहीं करते हैं बल्कि उसकी अच्छे से जांच करते हैं।
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