तेज गति में दौड़ा जाये तो एथलीट जैसी फिटनेस पायी जा सकती है। लेकिन दौड़ने की रफ्तार बढ़ाना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं योगासन के जरिये दौड़ने की रफ्तार आसानी से बढ़ाई जा सकती है। तो रोज ये योगासन करें और अपनी रफ्तार बढ़ायें।
दौड़ना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे दिल स्वस्थ रहता है और बीमारियां नहीं होती। वैसे तो जॉगिंग (धीमी रफ्तार में दौड़ना) और वॉकिंग भी सेहत के लिहाज से फायदेमंद माना जाता है। अगर तेज गति में दौड़ा जाये तो एथलीट जैसी फिटनेस पायी जा सकती है। लेकिन दौड़ने की रफ्तार बढ़ाना कोई आसान काम नहीं है, इसके लिए अधिक ऊर्जा और स्टेमिना की जरूरत होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं योगासन के जरिये दौड़ने की रफ्तार आसानी से बढ़ाई जा सकती है। तो रोज ये योगासन करें और अपनी रफ्तार बढ़ायें।
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बद्धकोणासन भीतरी जांघों, कमर, हैमस्ट्रिंग और घुटनों के लिए एक अच्छा स्ट्रेच है। यह भी हिप और कमर के हिस्से में लचीलापन बढ़ाता है। इस आसन को करने के लिए सुखासन मुद्रा में बैठ जायें। उसके बाद दोनों पैरों के तलवों को एक-दूसरे से मिलाये। उसके बाद पैर के टखनों को हाथ से पकड़ कर जांघों को तितली के पंख की तरह ऊपर-नीचे करें।
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अर्द्ध मत्स्येंद्रासना रीढ़ की लोच में सुधार करने और इसे अधिक कोमल बनाने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए दायीं टांग को इस प्रकार मोड़ें कि आपका पैर आपके दाहिने कूल्हे के नीचे आ जाए। और इसके बाद अपने बायें पैर को मोड़कर अपने दाहिनी ओर ले जाएं। अपने दायें हाथ से अपने बायें पैर को पकड़े और बायें हाथ को कमर पर ले जाएं। थोड़ी देर तक इसी मुद्रा में रहें। और फिर धीरे-धीरे सामान्य मुद्रा में आ जाएं। इस प्रक्रिया को दूसरी ओर से दोहरायें।
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हस्तपादासन पीठ की सभी मांसपेशियों को स्ट्रेच करने, पेट की अंगों को टोन करने और रीढु की हड्डी को लचीला बनाने में मदद करता है। इसे करने के लिए सीधे खड़े होकर अपने दोनों पैरों की एडियों व पंजों को आपस में मिला लें और दोनों हाथों को ढीला छोड़ दें। फिर सांस को बाहर छोड़ते हुए कमर के ऊपरी भाग को धीरे-धीरे सामने की ओर झुकाएं। घुटनों को बिल्कुल सीधा रखें। शुरुआत में इस स्थिति में 10 सेकंड तक रहें और फिर सामान्य स्थिति में आकर 5 सेकेण्ड आराम करें और इस आसन को कम से कम 5-6 बार करें।
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पादहस्तासन हैमस्ट्रिंग, पैर और टांगों को स्ट्रेच करने में मदद करता है। साथ ही यह रीढ़ को बढ़ाने और पेट को मजबूत करने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए जमीन पर खड़े हो जाये। दोनों पैरों को आपस मे मिला लें। फिर दोनों हाथों के पंजों को खोल कर पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचें और सामने की ओर से अपने दोनों हाथों को पैरों के पास लाकर जमीन को छूएं। हथेलियों से जमीन को पकड़ें और इसी स्थिति मे रहते हुए सिर को घुटनों से लगाये।
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त्रिकोणासन पैर, घुटने, टखने, कंधों और छाती को मजबूत बनाने में मदद करता है। इसके अलावा यह कमर, हैमस्ट्रिंग, कंधे, चेस्ट और रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच करने में मदद करता है। यह मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के संतुलन बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले सीधा खड़े हो जाएं, दोनों पैरों में लगभग एक मीटर की दूरी पर रखें, फिर दोनों बाजुओं को कंधे की सीध में लाएं और कमर से आगे झुकें, और सांस को बाहर छोड़ें। इसके बाद दाएं हाथ से बाएं पैर को छुएं व बाईं हथेली को आसमान की ओर रखें। इस दौरान बाजू सीधी रखें और बाईं हथेली की तरफ देखें, इस अवस्था में दो-तीन सेकेंड तक रहें। इसके बाद शरीर को सीधा कर लें और सांस भरते हुए खड़ें हो जायें।
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इसे ट्री पोज भी कहते हैं, इस आसन में व्यक्ति पेड़ के समान मुद्रा बनाता है। इससे पैर में मजबूत और संतुलन में सुधार होता है। इसके अलावा यह रनर के मन में संतुलन बनाने में मदद करता है। इसे करने के लिए योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और अपने पैर जोड़ लें। अब अपना दायां पैर, अपनी बाईं जांघ पर रखें। आपके दाएं पैर का अंगूठा नीचे जमीन की तरफ हो और बाएं पैर की उंगलियां सामने की तरफ। ध्यान रखें कि आपकी पीछे से गर्दन, रीढ़ की हड्डी की रेखा में सीधी होनी चाहिए।
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वीरभद्रासन कंधों, पीठ के निचले हिस्से और पैरों को टोन करने में मदद करता है। साथ ही यह क्षमता को बढ़ाने और शरीर को संतुलन में लाने में मदद करता है। इसे करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के बीच में गैप बढ़ाएं। सांस खींचते हुए दोनों हाथों को दोनों दिशाओं में अपने कंधों के समानांतर फैलाएं। अब गर्दन दाईं दिशा में ले जाएं और दाएं घुटने को मोड़ें। कम से कम 45 डिग्री का कोण घुटने से बनना चाहिए। अब सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे लाएं।
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इस आसन में शरीर का आकार कोन (कोण) के समान हो जाता है, इसलिए इसे कोनासन कहते हैं। यह रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच करने में मदद करता है। इसके अलावा यह हाथ, पैर और पेट जैसे अंगों को टोन करता है। इसे करने के लिए दोनों पैरों को डेढ़-दो फुट के अंतर पर रखते हुए सीधे खड़े हो जायें। अब दायें हाथ को नीचे दायें पैर के पंजे पर रखते हुए बायें हाथ को ऊपर ले जायें। दृष्टि ऊपर हाथ की ओर हो। इस स्थिति में 5-6 सैकेंड रहें। फिर वापस उसी स्थिति में आकर इस क्रिया को पुनः दूसरी ओर से करें। ध्यान रहे कि कमर का हिस्सा यथासम्भव स्थिर रहें।
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