सलमान खान का हिट एंड रन केस पिछले दिनों सुर्खियों में था, हो भी क्यों न ड्रिंक एंड ड्राइव अपराध तो है ही साथ ही यह दूसरों के जीवन से खिलवाड़ भी है, इस मामले से आप भी कई सबक सीख सकते हैं।
शराब पीकर गाड़ी चलाना हिम्मत का काम नहीं, बल्कि यह गैर-कानूनी है। शायद इस बात को पढ़ कर आपको इसमें इतना दम न लगे, लेकिन सलमान खान को 'हिट एंड रन' केस में दोषी पाए जाने के बाद हुई पांच साल की सजा हमें बहुत कुछ सिखाती है। आप सलमान के फैन हों या न हों, लेकिन शायद सलमान के माध्यम से ही आप ये बात बेहतर ढ़ंग से सीख जाएं कि, चंद पलों की बेखुदी के लिये शराब पीकर गाड़ी चलाने से न सिर्फ आप अपनी जान को दांव पर लगाते हैं, बल्कि कई घरों की जिंदगियां भी इस एक शौक की बली चढ़ती हैं। तो चलिये जानें शराब पीकर गाड़ी चनाने के नुकसान और कसम खाएं की अब शराब पीकर गाड़ी नहीं चलाएंगे।
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सड़क और ट्रैफिक आदि पर शोध करने वाली एक एजेंसी ने अपने हालिया अध्ययन में बताया है कि देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर होने वाली कुल दुर्घटनाओं में से तकरीबन 16 प्रतिशत दुर्घटनाएं नशे की हालत में गाड़ी चलाने की वजह से होती हैं। केन्द्रीय सड़क शोध संस्थान (सीआरआरआई) ने 5 साल के अध्ययन में पाया कि इस अवधि में नशे की हालत में गाड़ी चलाने वालों से हुई 620 दुर्घटनाओं की तुलना में नशा न करने वालों से हुई दुर्घटनाओं का आंकड़ा 3,316 रहा।
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बिना नशे की हालत में गाड़ी चलाने की वजह से हुई दुर्घटनाओं में 104 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, और शराब पीकर गाड़ी चलाने से हुई दुर्घटनाओं में 20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इन दुर्घटनाओं के कुल 3,316 मामले में से 371 मामले घातक और 942 काफी गंभीर थे। इन सड़क हादसों में से शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण हुए 620 हादसों में से 63 घातक, जबकि 221 गंभीर किस्म के थे। यह अध्ययन पांच साल देश भर के 11 राष्ट्रीय राजमार्ग से जमा आंकड़ों पर आधारित हैं।
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शराब पीकर गाड़ी चलाना एक बेहद गंभीर अपराध है और इसका खामियाजा पूरे समाज को ही उठाना पड़ता है। शराब पीकर गाड़ी चलाने से होने वाली मौतों का आंकड़ा दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। अगर वाहन चलाने वाले केवल यह तय कर लें कि वे पीकर गाड़ी नहीं चलाएंगे तो दुर्घटनाओं पर लगाम कसी जा सकती है।
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सलमाल खान के मामले से थोड़ा अलग शराब पीकर गाड़ी चलाने के एक दोषी को दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने 22 साल के इस युवक को सजा देते हुए कहा कि ये एक बेहद गंभीर आरोप हैं। कोर्ट ने कहा कि युवाओं को नशे में वाहन चलाने से रोकने और सबक सिखाने के लिए सख्त सजा दिया जाना ही सही समझा।
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भारत में गाड़ी चलाने के लिए तय किया गया शराब सेवन का मानक 30 मिलीग्राम प्रति सौ मिलीलीटर रक्त या .03 प्रतिशत ब्लड एल्कोहल कंटेंट (बीएसी) है, जोकि जानलेवा हो सकता है। कैलिफोर्निया के सैन डिएगो विश्वविद्यालय के एक ताजा अध्ययन के अनुसार, .01 बीएसी (एक-दो पैग) भी वाहन चलाते वक्त प्रभावी हो सकता है और इससे ड्राइवर को दृष्टिभ्रम हो सकता है। ऐसे में थोड़ी मात्रा में शराब पीने से भी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
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दिल्ली पुलिस के अनुसार भारत में दुर्घटना की आशंका 40 मिलीग्राम प्रति सौ मिलीलीटर रक्त (बीएसी) से शुरू होती है। पुलिस के मुताबिक सधे हुए चालकों की तुलना में नौजवानों और किशोरों में शून्य से थोड़ा अधिक बीएसी भी दुर्घटना की आशंका को 2.5 गुणा तक बढ़ा देता है।
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शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 2,000 से 10,000 रुपए का जुर्माना और छह महीने से चार साल तक की सजा का प्रस्ताव पारित किया गया है। मोटर वेहिकल्स ऐक्ट में प्रस्तावित इन बदलावों को आने वाले संसद सत्र में संशोधन के रूप में लाया जाएगा।
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