हम सब ने जीवन में कभी न कभी ऐसा जरूर किया होगा और धीरे-धीरे तो हमें ऐसा करने की आदत हो गई होगी, वह इनसान हमें बड़ा अजीब लगता है जो अपनी मां को सभी बातें बताता है, कई बार झूठ बोलने से काम आसान हो जाते हैं।
मान भी जाइये हम सब ने जीवन में कभी न कभी ऐसा जरूर किया होगा। और धीरे-धीरे तो हमें ऐसा करने की आदत हो गई होगी। वह बंदा हमें बड़ा अजीब लगता है जो अपनी मां को सभी बातें बताता है। कई बार झूठ बोलने से काम आसान हो जाते हैं। और कई मामलों में झूठ बोलने से परेशानी से बचा भी जा सकता है। तो चलिये ऐसे कुछ मौकों पर बात करते हैं जब झूठ बोलना ही पड़ता है, क्या करें मजबूरी जो ठहरी।
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'अरे, मम्मी आप बेकार में टेंशन ले रहे हो। हम दोनों सिर्फ दोस्त हैं। अब कोई साथ घूमता है, तो इसका यह मतलब तो नहीं कि उससे वही रिलेशन होगा।' अपने सभी 'खास रिश्तों' के लिए हम यही जुमला इस्तेमाल करते हैं। फिर चाहे वह आपका/आपकी एक्स हो, क्रश हो या फिर आप उसके साथ रिलेशन में हों। दोस्त कहकर आप कई अन्य सवालों का जवाब देने से बच जाते हैं.
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सारा साल तो खेल में गुजार देते थे। पढ़ाई से ज्यादा ध्यान तो टैटू जमा करने व और रचनात्मक कामों में रहता था। और अब जब नंबर आते कम, तो निकल जाता आपका दम। मम्मी बेचारी समझा-समझाकर थक जातीं बेटा पढ़ ले, पढ़ ले। लेकिन ना। आपका तो एक ही राग होता, मुझे सब आता है। और फिर आखिर में जब रिपोर्ट कार्ड पूछी जाती तो, वही पुराना बहाना, ' अभी मम्मी रिपोर्ट कार्ड तो मिली ही नहीं।'
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बहाना तो बना दिया कि आज रात आप अपने दोस्त के घर रुकने वाले या वाली हैं। लेकिन, असल में आपका इरादा है पार्टी करने का। आपने दोस्तों के साथ बाहर कहीं पार्टी का प्रोग्राम बनाया है, और आपको पता है कि इसके लिए आपकी फैमिली कभी अलाव नहीं करेगी। तो फिर आपके पास और क्या रास्ता बचता है सिवाय इसके कि 'मैं न आज दोस्त के यहां रुक रहा हूं।'
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आपसे घर की कोई चीज खराब हो जाए या फिर टूट जाए, तो आपको सबसे पहले मम्मी-पापा से डांट और पिटाई का डर सताने लगता है। लेकिन, आप ठहरे उस्ताद आदमी। अव्वल तो आपकी कोशिश होती है कि यह बात जब तो हो सके, छुपी रहे। और अगर कहीं सामने आ भी जाए तो साफ मुकर जाना। अपनी गलती मानकर फंसना थोड़े ही है। 'टी-सेट टूट गया, हाय कैसे'!
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कितने प्यार से आपके घर वाले आपके लिए ड्रेस लेकर आते हैं। अब अपने हिसाब से तो वे सबसे अच्छी ही लेकर आते हैं, लेकिन आपको वो बिलकुल पसंद नहीं आई। लेकिन आप उन्हें मना भी नहीं कर सकते। आप नहीं चाहते कि उन्हें बुरा लगे। तो आप उनका दिल रखने के लिए झूठ बोलते हैं।
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मैं क्या करूं टीचर को तो मेरी कोई बात पसंद नहीं आती। पता नहीं क्यों वो मुझे पसंद नहीं करती। अब टीचर की आपसे कोई पर्सनल दुश्मनी तो है नहीं। लेकिन घर पर यह थोड़े ही न बताया जाएगा कि मैं पढ़ता नहीं इसलिए मैम मुझे पसंद नहीं करती।
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और जब आप अपनी मां से यह बात कहते हैं, तो इसका मतलब है कि कुछ भी ठीक नहीं है। आपकी जिंदगी में उथल-पुथल मची हुई है। आपको किसी की जरूरत है और आप यह बात अपनी मां को चाहकर भी बता नहीं सकते या सकतीं।
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