कुछ मानसिक विकार ऐसे हैं जिनको लोग केवल सामान्य बीमारी के साथ जोड़ते हैं और बाद में ये ही गंभीर समस्या बन जाती है, इसलिए मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
कुछ मानसिक विकार ऐसे हैं जिनको लोग केवल सामान्य बीमारी के साथ जोड़ते हैं और बाद में ये ही गंभीर समस्या बन जाते हैं। भारत में मानसिक रोगियों की संख्या इसलिए लगातार बढ़ रही है क्योंकि लोग इसे कम आंकते हैं और इसके बारे में मनोचिकित्सक से परामर्श भी नहीं लेते हैं। सामान्यतया लोग इन बीमारियों के बारे में जागरुक भी नहीं होते। ऐसी ही दस मानसिक बीमारियां हैं जिन्हें लोग कम आंकते हैं।
तनाव को लोग सबसे कम आंकते हैं, लेकिन यह सबसे खतरनाक मानसिक विकार है। डिप्रेशन लोगों में आत्महत्या का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। डिप्रेशन के कारण ही भारत में 2012 में 1.3 लाख लोगों ने आत्महत्या की थी।
साइक्लोमीथिया मूल रूप से द्विध्रुवी विकार का एक मामूली रूप है जो दिमाग में होता है। इसके प्रमुख कारण क्या हैं इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है, लेकिन यह आनुवांशिक रूप से हो सकता है। यह पुरुष और महिला को समान रूप से प्रभावित करता है।
यह एक प्रकार की चोरी करने की मानसिक बीमारी है। हालांकि इससे ग्रस्त लोग जानबूझकर चोरी नहीं करते हैं, बल्कि मानसिक विकृति के कारण चोरी ही चीजें चुराते हैं।
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इस मानसिक विकार से ग्रस्त लोग व्यक्तिगत लाभ के लिए आगजनी का सहारा लेते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त लोग अपने गुस्से को काबू में करने के लिए आग का सहारा लेते हैं। इस प्रकार के विकार बच्चों और किशोरों में अधिक पाये जाते हैं।
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स्लीप पैरालिसिस हमारे लिए एक डरावनी बीमारी हो सकती है। इस बीमारी से अगर कोई ग्रसित होता है तो वह पूरी रात जागता है और उसे बिलकुल नींद नहीं आती। यह एक भयावह समस्या हो सकती है और इससे ग्रस्त लोगों के लिए चिंता का विषय भी है।
यह एक प्रकार के अजीब अजीब मनोवैज्ञानिक विकारों से एक है, इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति अपने बाल खींचता है। इससे ग्रस्त लोग पूरे आवेग के साथ बालों को खींचते हैं, और कुछ तो बालों को खाते भी हैं। यह विकार आमतौर पर घातक है और इसका उपचार भी मुश्किल है। तनाव और पीटीएसडी से ग्रस्त लोगों में बढ़ भी जाता है।
ज्यादातर लोगों को इस प्रकार के मानसिक विकार के बारे में जानकारी नहीं होती है। ऐसे लोग काम से जी चुराते हैं, ज्यादातर अपने ऑफिस से बाहर ही रहते हैं।
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इस मानसिक विकार से ग्रस्त लोगों को बाहरी दुनिया असत्य लगता है, क्योंकि इन लोगों में गहराई और सहजता का अभाव होता है। लोगों में यह लक्षण आम होते हैं, जो कि मिरगी, माइग्रेन और सिर पर हल्के चोट के कारण हो सकती है। नींद न आना, बॉर्डर लाइन पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर और सीजोफ्रेनिया जैसी समस्या के लक्षण दिखाई देते हैं।
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जब व्यक्ति पूरी तरह से भांग पर निर्भर होता है जाता है तब उसे भांग निर्भरता (Cannabis Dependence) जैसा मानसिक विकार हो जाता है। इससे लोग अगर भांग का सेवन न करें तो उन्हें बेचैनी और अनिद्रा की समस्या होने लगती है।
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ऐसे लोगों को भीड़ से डर लगता है। ऐसे लोगों को लगता है भीड़ में जाने से उन्हें समस्या हो सकती है, इसलिए वे भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से घबराते हैं। कुछ मामलों में ऐसे रोगी घर से बाहर भी निकलने से परहेज करते हैं।
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