आमतौर पर बेहोश हो जाने की समस्या बच्चों और महिलाओं में अधिक देखी जाती है, इसकी प्रमुख वजहें शरीर में पानी की कमी या फिर लो ब्लड प्रेशर होता है, अगर आप भी इस समस्या से ग्रस्त हैं तो इसकी रोकथाम हो सकती है।
अक्सर लोग गर्मियों में अक्सर खड़े-खड़े चक्कर खाकर गिर पड़ते हैं और फिर बेहोश हो जाते हैं। आमतौर पर यह समस्या बच्चों और महिलाओं में अधिक देखी जाती है। बेहोशी की प्रमुख वजहें शरीर में पानी की कमी या फिर लो ब्लड प्रेशर होता है। गर्मी का दिन और सूरज की तपिश के कारण शरीर निढाल हो जाता है और बेहोशी आती है। हालांकि इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। तो चलिये विस्तार से जानते हैं बेहोशी के कराण, जटिलताएं और इसकी रोकथाम के बारे में।
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चक्कर आना और बेहोशी एक आम अनुभव हैं। आंखों के आगे अंधेरा छा जाने और फिर इसके बाद शरीर के शिथिल पड़ जाने को बेहोशी कहा जाता है। ऐसा मस्तिष्क में खून की आपूर्ति अचानक से कम हो जाने के कराण होता है। (इसके कई अलग कारण हो सकते हैं) ऐसे में कुछ समय के लिए बिलकुल होश नहीं रहता। आमतौर पर ऐसा होने पर जमीन पर गिर जाने से शरीर और मस्तिष्क समतल हो जाते हैं। इससे सिर और मस्तिष्क में खून की आपूर्ति फिर से बहाल हो जाती है। और व्यक्ति कुछ ही क्षणों में वापस से ठीक हो जाता है।
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वर्टिगो या चक्कर आना एक प्रकार की संवेदना है जो सिर के सन्तुलन बनाने वाले हिस्से (अर्थात कान, अनुमस्तिष्क) में अस्थाई गड़बडी होने के कारण सिर चकराने से होती है। जोकि कभी कभी बेहोशी का कराण भी बन सकती है।
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कुपोषण, अनीमिया, कम खाना, भूखे रहना आदि, कोई और स्थिति जिसके कारण अनीमिया हो सकता है (जैसे कैंसर, चिरकारी संक्रमण), दिल की कमजोरी (जैसे कि रूमेटिक बुखार के बाद दिल की बिमारी), फ्लू या मलेरिया होना, पेशियों की कमज़ोरी, मस्तिष्क में दौरे के कारण कमजोरी (लकवा), मानसिक कारण जैसे बेचैनी आदि, अन्य कारण जैसे कैंसर, तपेदिक या अवटु (थायरॉएड) ग्रंथि की बीमारियों आदि में।
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एक बार थोड़ा सा होश आ जाने पर सीधे ना खडे़ हो कर पहले बैठें या फिर कुछ देर तक लेटे ही रहें। खड़े होने से रक्त का दबाव सीधे दिमाग की ओर पहुंचेगा जिससे आप दुबारा गिर सकते हैं। नमकीन आहार लें, नमकीन आहार खाने से लो ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाएगा। बेहोश होने होने पर व्यक्ति के टाइट कपडों को खोल दें और आराम से गहरी सांस भरने दें। बेहोश होने के कुछ घंटो के बाद आपको सिट्रिक जूस पीना चाहिये, जैसे संतरा, नींबू या पाइनएप्पल जूस आदि।
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हिस्टीरिया रोग 'न्यूरोसिस' का एक प्रकार होता है। हिस्टीरिया ज़्यादातर महिलाओं को होने वाला दिमागी रोग होता है। यह रोग पंद्रह से बीस साल की युवतियों में होता है। हिस्टीरिया रोग में स्त्रियों को मिर्गी की ही तरह बेहोशी के दौरे आते हैं। इस रोग से पीड़ित रोगी कई प्रकार की कुचेष्टाएं तथा अजीब काम करने लगता है।
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हिस्टीरिया कई कारणों से हो सकता है। ज्यादा चिंता और मानसिक तनाव इसके प्रमुख कारण होते हैं। महिलाओं को हिस्टीरिया का रोग किसी तरह के सदमे, चिन्ता, प्रेम में असफलता, मानसिक दुख या फिर किसी दुख का गहरा आघात होने के कारण होता है। महिलाओं में यौन-उत्तेजना बढ़ने के कारण भी हिस्टीरिया रोग के लक्षण पैदा हो सकते हैं।
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किसी महिला में हिस्टीरिया रोग के लक्षण दिखाई देते ही उसे तुरन्त किसी मनोचिकित्सक से इस रोग का इलाज कराना चाहिए। हिस्टीरिया के रोगी को गुस्से में या किसी और कारण से मारना- पीटना बिल्कुल भी नहीं चाहिए, क्योंकि इससे उसे और ज़्यादा मानसिक और शारीरिक आघात हो सकता है। इस बात का भी ख़ासतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि हिस्टीरिया रोगी अपने आपको किसी तरह का नुकसान न पहुंचाए।
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