एक पल में खुश होना और दूसरे ही पल में दुखी होना बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण है। आइए जाने, इस बीमारी के और लक्षणों के बारे में हमारे इस स्लाइड शो में।
एक पल में खुश होना और दूसरे ही पल में दुखी होना बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार में तेजी से परिवर्तन आने लगता है। ऐसा व्यक्ति अचानक से तनाव में आ जाता है और उसका आत्मविश्वास एकदम से चरम पर हो जाता है। जबकि दूसरे ही पल में वह एकदम शांत हो जाता है। इस बीमारी में कई बार व्यक्ति चाहकर भी अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाता। आमतौर पर यह बीमारी नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों में पाई जाती है।
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीडि़त व्यक्ति का आम लक्षण होता है कि वह किसी कार्य को पूरा करने में असमर्थ महसूस करता है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति अपनी पूरी ऊर्जा काम में नहीं लगा पाते है, जिससे उनके किसी भी काम के पूरा होने में परेशानी होती है। ऊर्जा की कमी के कारण ऐसे लोग एक समय में एक ही काम कर पाते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति हमेशा अपने ख्यालों में खोया रहता है। वह अपने खयालों में न जाने कहां तक पहुंचा जाता है। ऐसे व्यक्ति के दिमाग में हजारों बातें चलती रहती हैं जिन पर उनका काबू नहीं रहता।
यदि आपको नींद न आने की समस्या है तो आप बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित हो सकते हैं। ऐसे लोगों को ज्यादा डिप्रेशन की वजह से नींद नहीं आ पाती जिससे वह अकसर थकान महसूस करते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति किसी काम को अच्छे से नहीं कर पाता। दूसरों से बात करने में परेशानी के कारण ऐसा होता है। जिसके कारण उनके काम में लगातार गड़बड़ी होती रहती है।
बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्या अधिकतर उन लोगों में पायी जाती है जो शराब व नशीली दवाओं का उपयोग डिप्रेशन से बाहर आने के लिए करते हैं। ऐसे लोग शराब के इस्तेमाल से डिप्रेशन से बाहर तो नहीं आ पाते, बल्कि बाइपोलर डिसऑर्डर के शिकार हो जाते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति में पागलपन और डिप्रेशन दोनों ही एक साथ दिखाई देते है। पागलपन और डिप्रेशन होने के कारण वह अकसर चिड़चिड़े बने रहते हैं। उनका छोटी-छोटी बातों में चिड़चिड़ा व्यवहार करना आम होता है। चिड़चिड़ेपन के कारण ही उनके करीबी रिश्ते भी खराब हो जाते हैं।
किसी बात को जल्दी-जल्दी बोलना या एक बात को कई बार बोलना बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति अपनी बात के आगे दूसरे की बात नहीं सुनते। वह दूसरों को बोलने का मौका नहीं देते और इनका वार्तालाप एक तरफा ज्यादा होता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर डिप्रेशन की तरह लगता है पर यह हकीकत नहीं होती। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति वास्तविकता से दूर होता है। उसे सही और गलत की पहचान नहीं हो पाती।
बाइपोलर डिसऑर्डर होने पर व्यक्ति का मूड थोड़ी-थोड़ी देर में बदलता रहता है। कभी वह वास्तविकता से जुड़ा जाता है तो कभी वास्तविकता से दूर चला जाता है। इसी तरह कभी वह ऊर्जावान तो कभी ऊर्जाहीन बन जाता हैं।
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