मुद्राएं शरीर एवं मन को शुद्ध, स्वस्थ्य एवं मजबूत बनाए में सहायक होती हैं। इन्हीं में से एक शंख मुद्रा भी बहुत महत्वपूर्ण योग मुद्रा होती है। इस मुद्रा का अभ्यास कई प्रकार से लाभ पहुंचाता है। चलिए जानें शंख मुद्रा के अभ्यास का सही तरीका और इसके लाभ क
योग विज्ञान की मदद से अनेक जटिल समस्याओं का उपचार किया जाता रहा है। योग विज्ञान में कई योगासन एवं मुद्राएं भी शामिल हैं। मुद्राएं भारतीय ऋषियों द्वारा हमें दी गई एक बेहद अनमोल देन है। मुद्राएं शरीर एवं मन को शुद्ध, स्वस्थ्य एवं मजबूत बनाए में सहायक होती हैं। इन्हीं में से एक शंख मुद्रा भी बहुत महत्वपूर्ण योग मुद्रा होती है। इस मुद्रा का अभ्यास कई प्रकार से लाभ पहुंचाता है। चलिए जानें शंख मुद्रा के अभ्यास का सही तरीका और इसके लाभ क्या हैं।
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माना जाता है कि अंगूठा अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। और इसके चारों ओर उंगलियों का दवाब शरीर के पित्त को नियंत्रित करता है। शंख मुद्रा में एक हाथ के अंगूठे का दबाव दूसरे हाथ की हथेली पर पड़ता है और दूसरे हाथ की मुडी हुई उंगलियों का दबाव उसी हाथ के अंगूठे के नीचे के कुशन पर पड़ता है। जिससे यह दबाव नाभि व गले की ग्रंथियों को प्रभावित करता है।
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शंख मुद्रा करने के लिए बाएं हाथ के अंगूठे को दोनों हाथ की मुट्ठी बनाकर उसमें बंद कर लें और फिर बाएं हाथ की तर्जनी उंगली को दाएं हाथ के अंगूठे से मिलाएं। इस तरह से शंख मुद्रा बन जाती है। फोटो की तरह इस मुद्रा में बाएं हाथ की बाकी तीन उंगलियों के पास में सटाकर दाएं हाथ की बंद उंगलियों पर हल्का-सा दबाव दिया जाता है। ठीक इस तरह ही हाथ को बदलकर अर्थात् दाएं हाथ के अंगूठे को बाएं हाथ की मुट्ठी में बंद करके शंख मुद्रा बनाई जाती है।
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शंख मुद्रा के अभ्यास से बच्चों के तुतलाने, हकलाने, गला बैठने और अन्य कई वाणी (आवाज) संबंधी दोष ठीक होते हैं। इस मुद्रा को बच्चों या वयस्कों द्वारा आराम से किया जा सकता है। शंख मुद्रा का सम्बन्ध नाभि चक्र से होता है, इसलिए शरीर के स्नायुतंत्र (nervous system) पर खासा प्रभाव होता है। इसके अलावा शंख मुद्रा करने के निम्न फायदे होते हैं।
संगीत साधना करने वालों लोगों की वाणी को मधुर बनाती है।
आवाज संबंधीऔर गले (ग्रसनी) की समस्याओं को दूर करती है।
बेचैनी और उत्तेजना को ठीक करती है।
एलर्जी विकारों, विशेष रूप से पित्ती को नियंत्रित करती है।
यह स्नायुओं (नर्वस सिस्टम) और पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है।
नियमित रूप से करने से भूख बढाने में मदद मिलती है।
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जिन लोगों को कफ और वात आदि की समस्या हो उन्हें यह मुद्रा अधिक समय तक नहीं करनी चाहिए। शंख मुद्रा को किसी भी समय किया जा सकता है। प्रतिदिन 10 से 15 मिनट दिन में तीन बार 30 से 45 मिनट इसका अभ्यास किया जा सकता है।
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