यदि आप ये सोचते हैं कि आप तो आप पतले-दुबले हैं, इसलिये आप कुछ भी खा सकते हैं और वर्कआउट भी आपके लिये जरूरी नहीं, तो आप गलत सोचते हैं।
भले ही आप पतले-दुबले हैं और खाने के शौकीन भी हैं और अच्छा खाना देखते ही आप उसे खाने के लिए बेताब हो जाते हैं और वर्कआउट भी नहीं करते। खासतौर पर ये सोचकर कि आपको तो मोटा होने का डर ही नहीं है। लेकिन ऐसा ना करें, क्योंकि उम्र के साथ-साथ शरीर बढ़ता है। शरीर किसी भी शेप या साइज का क्यों न हो, उसे फिट और रोग मुक्त रखने के लिये अच्छी जाइट और एक्सरसाइझ की बेहद जरूरत होती है। तो भले ही आप पतले हैं, एक्सरसाइज आपके लिए भी जरूरी है। नियमित कार्डियो, वेट ट्रेनिंग और फ्लेक्सिबल एक्सरसाइज तो जरूर करें।
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बॉडी को परफेक्ट और फिट बनाने के लिये वर्कआउट के साथ खाने का भी ख्याल रखना होता है। आपको ऐसे वर्कआउट करने चाहिये जो खासतौर पर शरीर के अलग-अलग भागों पर काम करते हों। जरूरी नहीं कि आपका पेट निकला हुआ नहीं है तो आप पेट की एक्सरसाइज ही न करें।
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एक जगह पर ही स्पॉट रनिंग करने से स्टैमिना बढ़ता है और चेस्ट में मजबूती आती है। इससे जांघें और कमर मजबूत होते हैं और शरीर फिट रहता है। स्पॉट रनिंग एक प्रकार की कमाल वर्मअप कार्डियो एक्सरसाइझ भी होती है।
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बर्पी एक्सरसाइज को करने के लिये आपको हवा में ऊपर तेजी के साथ उछलते हुए, दोनों हाथों को ऊपर ले जाना होता है। और फिर इसके बाद नीचे आते हुए एक पुश अप लगा कर फिर खड़े होकर इसे करना होता है। बर्पी करने से कुछ ही दिनों में बॉडी शेप में आ जाती है और स्ट्रोंग बनती है।
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चाहे कोई मोटा इंसान हो या पलता, पूरे शरीर की एक्सरसाइज करने के लिये पुश अप्स बहुत ही बेसिक और प्रभावी एक्सरसाइज है। पुश अप्स करने से बाजू, कंधे, पेट और चेस्ट मजबूत बनते हैं और बेहतर शेप में आते हैं। पुश अप्स से आप अपने शरीर के कई अंगों पर एक साथ ध्यान दें रहे होते हैं।
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जिस तरह से हम पुश अप्स कई तरह से कर सकते हैं, ठीक उसी तरह क्रंच भी कई तरह से किर जा सकते हैं। क्योंकि पतले लोगों के पेट पर पहले से ही फैट नहीं होता, उनके एब्स जल्दी बाहर आते हैं। आप लोवर एब्स और साइड फ्लैब के लिये अलग-अलग वेरियेशन कर सकते हैं। आप आइरन मैन कर सकते हैं, यह एक बहुत ही पॉपुलर वर्कआउट है।
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कोर्डियो वर्कआउट जैसे वॉकिंग, जॉगिंग, एरोबिक्स, जुम्बा, स्पिनिंग आदि फिटनेस को बढ़ाने वाले एक्सरसाइज हैं। कार्डियो एक्सरसाइज को खाली पेट करना चाहिए। अगर रोज़ना भी इसे नहीं कर सकते हैं तो आप हर एक दिन छोड़ कर बाहर दौड़ने जरुर जाएं।
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स्टील फ्लेक्स एक खास तरह का स्ट्रेचिंग रुटीन है, जो शरीर में लचीलापन बढ़ाता है। यह डायनेमिक योग और स्टैटिक स्ट्रेचिंग का मिला-जुला रूप होता है, जिसमें डंबल्स और कुछ अन्य प्रॉप्स की मदद से किसी बॉडी पार्ट की अधिकतम स्तर तक स्ट्रेचिंग की जाती है। ये फ्लेक्सिबिलिटी ट्रेनिंग की नई तकनीक है, जिसमें शरीर के जोडों और कनेक्टिंग टिश्यूज को फायदा पहुंचाने वाले मूवमेंट्स, पोश्चर्स और ब्रीदिंग पैटर्न पर ज्यादा ज़ोर दिया जाता है।
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