प्रदूषण अब घर के बाहर नहीं घर के अंदर भी लगातार बढता जा रहा है। घर में प्रयोग होने वाले उत्पादों से लेकर पैसिव स्मोकिंग तक इऩडोर वायु प्रदूषण का कारण होती है। हमें इसके उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।
घरों के भीतर की प्रदूषित हवा जिंदगी पर भारी पड़ सकती है। यह हर साल लाखों लोगों की जान जाने की वजह बनती है। । विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अब घर की वायु शुद्ध नहीं रही। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इनडोर वायु प्रदूषण ही सबसे अधिक खतरनाक है। इऩडोर वायु प्रदूषण गंभीर रूप से हमारे शरीर में जहर बनकर प्रवेश कर रहा है। प्रदूषित हवा ही टीबी और सांस संबंधी कई की बीमारियों की भी एक बड़ी वजह है।
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वैक्यूम क्लीनर के प्रयोग से धूल, बैक्टीरिया आदि हवा के कणों में घुल-मिल जाते हैं, ये सांसों के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। क्लोस्ट्रिडियम बोट्यूलिज्म नामक बैक्टीरिया वातावरण में घुलता है जो बच्चों को संक्रमित कर सकता है। यह संक्रमण बच्चों के लिए जानलेवा भी हो सकता है।जिन घरों में वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल अधिक होता है उनमें यह बैक्टीरिया अधिक होता है जो दमा के मरीजों, बच्चों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों पर हावी होने के लिए काफी है।
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सफाई उत्पादों से हम दूर नहीं रह सकते हैं। लेकिन सावधानीपूर्वक इनका इस्तमाल करके हम इनके बुरे प्रभाव से बच सकते हैं। हम में से कई लोग जब शौचालय क्लीनर, कालीन क्लीनर और ओवन क्लीनर के संपर्क में आते हैं तो आंखों और त्वचा में जलन का अनुभव करते है। ऐसा हाइड्रोक्लोरिक एसिड की उच्च मात्रा की वजह से होता है। जलन के अलावा, यह गुर्दे और फेफड़ों से संबंधित समस्याओं का कारण भी बनता है। इसका अत्यधिक उपयोग हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
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फर्नीचर पॉलिश में नेट्रोवेजेन रसायन मिला होता है, जो हवा में घुलनशील होता है और आसानी से हमारी त्वचा द्वारा अवशोषित कर लिया जाता हैं। यह पेट्रोलियम की तरह अत्यधिक ज्वलनशील होता है। यदि एक लंबी अवधि के लिए आप इसके संपर्क में आते हैं, तो इससे फेफड़े या त्वचा के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
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टेफ्लोन की परत चढ़े नॉन-स्टिक बर्तन आज गृहणियों की पहली पसंद बन चुके हैं। लेकिन, माना जाता है कि ये बर्तन अनेक स्वास्थ समस्याओं का कारण बन सकते हैं। टेफलोन अधिक तापमान को तो सहन तो कर लेता है, लेकिन ज्यादा अधिक तापमान में इसकी परत टूटने का खतरा होता है। ऐसे में भोजन में परफ्लूओरो नामक कैमिकल मिलने का खतरा बढ़ जाता है। इस कैमिकल से दमा के लक्षण उत्पन्न हो सकते है।
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पैसिव स्मोकिंग या परोक्ष धूम्रपान को "सेकंड हैंड स्मोकिंग" भी कहते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति विशेष खुद धूम्रपान नहीं करता लेकिन दूसरे के धूम्रपान करने पर वह उसके धुएं को सांस के जरिए अंदर लेने पर मजबूर होता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चे घरों में पैसिव स्मोकिंग के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। बच्चों की रक्त नलिकाओं की दीवारें मोटी होने लगती हैं और उन्हें दिल का दौरा पड़ने व स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इससे गर्भस्थ शिशु मंदबुद्धि या विकलांग पैदा हो सकता है।
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घर को साफ रखने के लिए लोग अक्सर अपने किचन में चिमनी लगाते हैं, किंतु यदि समय-समय पर चिमनी की सफाई नहीं हुई तो किचन में लगी चिमनी के बावजूद घर खराब होने लगता है। लम्बे समय तक सफाई न करने से चिमनी के अंदर लगे फिल्टर पर धुआं और तेल जम जाता है, जिससे चिमनी धुएं को बाहर फेंकने के बजाय वापस किचन में ही फेंक देती है।
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एयर फ्रेशनर में फेनोल मेथोक्सेक्रोल और फॉर्मैल्डहाइड जैसे रसायनों की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसमें मौजूद इन हानिकारक पदार्थों की वजह से हमारे तंत्रिका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे श्वास संबंधी समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, यह त्वचा के लिए बहुत खतरनाक होता है। अगर आपको किसी भी तरह के सूजन, खुजली या जलन की समस्या हो रही है तो इनका उपयोग बंद कर दे।
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