धूप के संपर्क में अधिक देर तक रहने वालों को स्किन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है, अगर आपके शरीर पर मोल्स हैं तो यह भी त्वचा कैंसर के कारण हो सकते हैं।
त्वचा कैंसर की शुरूआत त्वचा से होती है, यानी यह शरीर के अन्य अंगों से नहीं बल्कि त्वचा से ही फैलता है। हर साल लाखों लोग इसकी चपेट में आते हैं। स्किन कैंसर मिलाइनोसाइट्स सेल्स में होता है, इस सेल्स को मेलानोमा भी कहते हैं। त्वचा कैंसर की चपेट में वे लोग अधिक आते हैं जो धूप में अधिक समय तक अपना वक्त गुजारते हैं। त्वचा कैंसर की शुरूआत धीरे-धीरे होती है और कैंसर होने से पूर्व त्वचा के घाव इसकी सूचना दे देते हैं।
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इसे सोलर यानी सर्यू केरॉटोसिस भी कहते हैं। ये छोटे-छोटे धब्बे होते हैं जो त्वचा पर होते हैं और यह धब्बे सूर्य के संपर्क में अधिक देर तक रहने के कारण होते हैं। ये धब्बे हाथों, गरदन, सिर सहित शरीर के ऐसे हिस्सों में अधिक पाये जाते हैं जो सूर्य की संपर्क में अधिक रहता है। यह त्वचा कैंसर के सबसे शुरूआती संकेत हैं, इन्हें नजरअंदाज न करें।
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इसे सुर्य सृक्कशोथ भी कहते हैं, यह केराटोसिस की तरह होता है। यह कैंसर की शुरूआती अवस्था होती है जो निचले होठों पर होता है। इसके कारण होठों में सूजन, होठों का सूखना, आदि समस्या हो सकती है। अगर इसका समय पर उपचार न हो तो यह कार्सिनोमा का रूप ले सकता है।
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ये हॉर्न्स जानवरों के सींग की तरह दिखते हैं, इनका रंग लाल होता है। ये हॉर्न्स केराटिन (यह ऐसा प्रोटीन है जो सिर्फ नाखूनों में पाया जाता है) से बने होते हैं। विभिन्न लोगों में इसके आकार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों में ये हार्न्स एक जैसे ही होते हैं। स्कैवमस सेल कार्सिनोमा जिस स्थान पर हॉर्न होते हैं उसकी त्वचा की सतह पर पाया जाता है। सूर्य के संपर्क में रहने वाले उम्रदराज लोगों को यह अधिक होता है।
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मोल यानी मस्से मिलानोसाइट्स के असामान्य विकास के कारण होते हैं। हालांकि सभी मोल्स कैंसर का कारण नहीं बनते हैं, लेकिन अगर आपकी त्वचा पर मस्से हैं तो उन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। मस्सों का विकास युवकों में होता है और अगर इसका रंग बदल रहा है तो यह कैंसर का कारण हो सकता है।
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यह मोल्स के ही प्रकार हैं, लेकिन ये कैंसर नहीं होते हैं। परंतु ये कैंसर का कारण बन सकते हैं। सूर्य के संपर्क में आनी वाली त्वचा में ये अधिक होते हैं, सामान्य मोल्स की तुलना में इनका आकार थोड़ा बड़ा होता है। ये मस्से एक रंग या फिर कुछ संयुक्त रंगों के मेल के हो सकते हैं।
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त्वचा कैंसर से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि अपने त्वचा की नियमित रूप से जांच करते हैं, अगर उसमें कोई समस्या दिखे तो चिकित्सक से उसके बारे में परामर्श लीजिए। समान्यतया मेलानोमा पुरुष के गर्दन और महिला के पैर के निचले हिस्से में होता है। लेकिन अगर आप धूप के संपर्क में अक्सर रहते हैं तो अपने पूरे शरीर की जांच महीने में एक बार कीजिए कि कहीं शरीर के किसी हिस्से में मस्से तो नहीं हो रहे।
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मैलिगनेंट मेलानोमा की पहचान अगर इसके आखिरी चरण में हो तो इसका उपचार थोड़ा मुश्किल होता है। अगर त्वचा कैंसर का निदान इसके पहले चरण में हो जाये तो इसका उपचार आसानी से हो सकता है। बेसल सेल कार्सिनोमा और स्क्वैमस सेल कैंसर कार्सिनोमा जैसे नॉनमेलानोमा त्वचा के कैंसर का उपचार आसानी से होता है। एक बार अगर किसी को त्वचा कैंसर हो गया तो दोबारा भी इसके होने की संभावना रहती है।
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मेलानोमा त्वचा कैंसर के अन्य प्रकार की तरह सामान्य नहीं है, बल्कि यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है, यह जानलेवा भी हो सकता है। मेलानोमा होने का सबसे सामान्य लक्षण यह है कि इसमें मोल्स का रंग और आकार अक्सर बदलता रहता है। अगर आपको मोल्स हैं और उसका रंग और आकार बदल रहा है तो चिकित्सक से इस बारे में सलाह अवश्य लीजिए।
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सूर्य के संपर्क में अधिक देर तक रहने से स्किन कैंसर के होने की संभावना अधिक होती है। जिन लोगों के शरीर का रंग हल्का पीला होता है उनको त्वचा कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। अगर शरीर पर मस्से हैं तो नजरअंदाज न करें, घर में पहले भी किसी को हो चुका है, रेडियेशन के जरिये उपचार हो चुका है तो आपको स्किन कैंसर हो सकता है।
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सूर्य के संकर्प में अधिक समय तक न रहें, अगर घर के बाहर व्यायाम कर रहे हैं तो धूप में न करें, जब धूप की किरणें घातक हों तो बाहर न निकलें। धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का प्रयोग करें। धूप में जाते वक्त कपड़ों के अलावा टोपी और छाते का प्रयोग करें। अगर आपकी त्वचा में किसी भी तरह का बदलाव हो तो चिकित्सक से परामर्श लें।
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