वसा कोई कहता है सेहत के लिए बुरी है, तो किसी के नजर में बेहद जरूरी। कभी ट्रांस फैट, कभी सेचुरेटेड फैट, कभी अनसेचुरेटेड फैट, कितने प्रकार कितने भ्रम। एेसे ही कुछ भ्रम से पर्दा हटाने में मदद करेगा यह स्लाइड शो।
वसा कम करने के लिए आप क्या नहीं करते। खाना ऑलिव ऑयल में बनाते हैं और इसके अलावा अपने आसपास सब फैट-फ्री रखते हैं। लेकिन, क्या यह सब करना इतना आसान है। वसा की मात्रा का सही खयाल रखना न केवल कंन्फ्यूज करता है, बल्कि कई बार इससे हमें चिढ़ भी होती है। चलिये हम आपको बताते हैं वसा से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जिन्हें जानना है आपके लिए जरूरी।
कई शोधों में यह बात प्रमाणित हुई है कि आप वसा की कितनी मात्रा लेते हैं यह बात कम मायने रखती है। और साथ ही वसा को मापने के लिए अंकों का खेल भी नहीं करना चाहिये। लेकिन, जो बात मायने रखती है, वह यह है कि आपकी वसा का स्रोत क्या है। अगर आप नट्स, मछली, उच्च फाइबर युक्त आहार और ऑलिव ऑयल के जरिये वसा ले रहे हैं, तो इसका अर्थ है आप सही आहार ले रहे हैं।
रिफाइन कार्बोहाइड्रेट और चीनी वास्तव में सेचुरेटेड फैट से भी ज्यादा नुकसानदेह होते हैं। स्वस्थ भोजन समझकर आप सेचुरेटेड फैट का सेवन कम कर देते हैं। यानी आप टोस्ट पर अब मक्खन के स्थान पर जैली लगाते हैं। लेकिन, सही मायनों में यह आपके लिए ज्यादा खतरनाक होता है। सेचुरेटेड फैट को पीनट या अल्मंड बटर जैसे अनसेचुरेटेड फैट से बदलना ज्यादा अच्छा रहेगा।
हालांकि ऑलिव ऑयल और मछली जैसे कई सेहतमंद आहार में कम मात्रा में सेचुरेटेड फैट होता है। लेकिन, असल में आपको ट्रांस फैट से पूरी तरह दूर रहना चाहिये। इन फैट्स में कोई पोषक तत्व नहीं होता। ट्रांस फैट आपके शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इतना ही नहीं यह दिल की बीमारी और डायबिटीज के खतरे में भी इजाफा करता है।
मेडिटेरनियन आहार में साबुत खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है। खासतौर पर इसमें सब्जियां, ऑलिव ऑयल, नट्स, बीज, मछली और साबुत अनाज का सेवन अधिक किया जाता है। इस आहार योजना में प्रोसेस्ड आहार, ढेशर फूड और मीट आदि का सेवन कम किया जाता है। इससे सेचुरेटेड फैट, रिफाइन स्टार्च और चीनी के प्रति आपकी लालसा कम होती है।
सफेद वसा कोशिकायें एडिपोनेक्टिन नामक हार्मोन का स्राव करती हैं। जो इनसुलिन के निर्माण को नियंत्रित करती हैं। पतले लोगों में छोटी वसा कोशिकायें होती हैं, जो इनसुलिन को नियंत्रित करने वाले एडिपोनेक्टिन का स्राव कम करती हैं। इसलिए मोटे लोगों को डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है। जब आपका वजन अधिक हो जाता है तो वसा कोशिकाओं का आकार बढ़ जाता है, और वे कम मात्रा में एडिपोनेक्टिन का स्राव करती हैं, जिससे डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है।
ज्यादातर लोगों को अधिक ब्राउन फैट की जरूरत होती है। मांसपेशियों की ही तरह यह भी कैलोरी बर्न करता है। तब भी जब आप आराम कर रहे होते हैं। व्यायाम करके आप अधिक ब्राउन फैट भी जमा कर सकते हैं। लंबे समय तक एरोबिक्स एक्सरसाइज करने से शरीर में होने वाले बदलावों के कारण वाइट फैट ब्राउन फैट में बदल जाता है।
जिन महिलाओं की कमर 37 इंच से अधिक होती है, उन महिलाओं जिनकी कमर 27 इंच से कम है कि मुकाबले दिल और फेफड़ों संबंधी रोग होने का खतरा 80 फीसदी तक अधिक होता है। अनुमान के अनुसार कमर में दो इंच की बढ़ोत्तरी दिल की बीमारी के खतरे को 9 फीसदी बढ़ा देती है।
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