मोबाइल फोन आज के जमाने की जरुरत है लेकिन स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से त्वचा, दिमाग, आंखों, गर्दन और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी नुकसान पहुंच सकता है।
हर नई खोज अपने साथ कुछ समस्याएं भी लेकर आती हैं। यही मोबाइल फोन के साथ है। मोबाइल फोन ने संचार की कई समस्याओं को सुलझाया है तो वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य को लेकर कई समस्याएं खड़ी भी की हैं। मोबाइल फोन का अगर सीमित इस्तेमाल किया जाए तो शायद हम उससे होने वाले खतरों से बच भी सकते हैं। स्मार्ट फोन के आ जाने से खतरे और ज्यादा बढ़ गए हैं। आइये जानते हैं अगर आप मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो आपके स्वास्थ्य को कौन-कौन से खतरे हैं।
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अक्सर लोगों की आदत होती है कि जब वो सोने के लिए लेटते हैं तो फोन का इस्तेमाल करने लगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका मोबाइल फोन आपनी नींद का दुश्मन होता है? दरअसल, आपके स्मार्टफोन से निकलने वाला कृत्रिम प्रकाश आपके शरीर की मेलाटोनिन उत्पादन करने के क्षमता को प्रभावित करता है। मेलाटोनिन आपको नींद दिलाने वाला रसायन होता है। तो जब आप सोने के समय फोन का इस्तेमाल कर रहे होते हैं तो इसके प्रकाश के कारण आपकी नींद भाग जाती है।
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जो लोग काफी देर तक फोन पर बात करते हैं उनकी त्वचा को इससे नुकसान पहुंच सकता है। देर तक फोन का इस्तेमाल करने से वह गर्म हो जाता है। लंबे समय तक किसी भी प्रकार की गर्मी के संपर्क में आने पर त्वचा के उस क्षेत्र में मेलेनिन का उत्पादन बढ़ जाता है, और आपकी त्वचा वास्तविक उम्र से 10 साल ज्यादा दिख सकती है। इस समस्या से बचने के लिए आप बात करने के लिए हैंड्सफ्री का उपयोग करें या स्पीकर फोन पर कॉल लें।
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इन दिनों चैट के तमाम विकल्प आ चुके हैं। नई-नई ऐप्स और फिर इंटरनेट पर उपलब्ध टेक्स्ट को पढ़ना अब आम बात है। इस तरह के टेक्स्ट का फोंट अमूमन छोटा होता है। छोटे फोंट की वजह से लोग फोन को इस तरह से देखते हैं कि उनकी भौंहों के बीच झुर्रियां पड़ जाती हैं। इस समस्या से बचने के लिए अपने मोबाइल फोन का फोंट बडा करें, साथ ही इसकी ब्राइटनेस को भी बढ़ा दें।
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आप मानें या न मानें लेकिन अगर आप बार-बार बीमार पड़ते हैं तो इसके पीछे एक कारण आपका मोबाइल फोन भी हो सकता है। मोबाइल में पॉलीक्लोरीनेटेड बाईफिनायल्स रसायन निकलता है, जिसके कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटती है। मोबाइल का प्रयोग करने से लीवर व थाइराइड से संबंधित बीमारियां भी हो सकती हैं।
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टावर से सिग्नल, सिग्नल से फोन और फोन से आवाज आने तक की पूरी प्रक्रिया रेडियेशन पर निर्भर है। यह किरणें चारों तरफ हैं। जहां नहीं होना चाहिए वहां भी और जितनी मात्रा में नहीं होनी चाहिए उससे कहीं ज्यादा भी है। ये मोबाइल के जरिए हमारे शरीर को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाती हैं। इससे कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है। बिना बात के रेडीयेशन से निजात पाने के लिए फेक कॉल्स और एसएमएस के लिए डीएनडी कर दें।
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मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल ब्रेन कैंसर की वजह हो सकता है। हाल ही में, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई। डबल्यूएचओ के ही अंग इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर(आईएआरसी) द्वारा की गई स्टडी में देखा गया कि मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन यूजर के ब्रेन में तेजी से एब्जार्ब हो जाता है। इसका असर डीडीटी जैसे खतरनाक पेस्टिसाइड, लेड और पेट्रोलियम प्रोडक्ट के हानिकारक एलिमेंट जैसा ही होता है।
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अगर आपको भी लंबे समय तक मोबाइल फोन गर्दन में दबाकर बात करने की आदत है, तो इसे बदल डालिए। यह आदत आपको टेक्स्ट नेक बीमारी की गिरफ्त में ला सकती है। एक्सपर्ट्स का दावा है कि अगर आप लंबे समय तक इस तरह फोन पर बात करते हैं तो लंबे समय में आपको गठिया की परेशानी हो सकती है। परेशानी और गंभीर होने पर मांसपेशियां स्थाई तौर पर मुड़ सकती हैं, जिससे गर्दन को सीधा होने में दिक्कत आ सकती है।
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