जब बच्चा बड़ा होने लगता है तो माता पिता को सबसे पहले उसकी पढ़ाई की चिंता सताने लगती है। खासकर नर्सरी एडमिशन की चिंता हर माता पिता को होती है। पैरेंट्स के दिमाग में अक्सर ये सवाल आता है कि उनके लाडले को क्या अच्छे स्कूल में दाखिला मिल पाएगा? क्य
किसी भी अच्छे स्कूल में नर्सरी में ऐडमिशन के वक्त बच्चे में निर्देशों का पालन करने की क्षमता पर नजर डाली जाती है। हम देखते हैं कि बच्चे में सोचने की क्षमता कितनी है और उसका कॉन्फिडेंस लेवल कितना है? इसके अलावा, बच्चे के एटिकेट्स पर भी ध्यान दिया जाता है।' इस वजह से बच्चे की थिंकिंग ऐबिलिटी और कॉन्फिडेंस लेवल पर खासा ध्यान दें। दरअसल, इसी बेसिस पर स्कूलों में ऐडमिशन तय किया जाता है।
नर्सरी में ऐडमिशन के लिए बच्चे को घर पर तैयारी कराएं। इसके लिए घर पर नर्सरी जैसी सिचुएशन तैयार करें और उन्हें कुछ बेसिक नॉलेज दें। खुद को इंट्रोड्यूस करना, फेमस राइम्स, ऐड्रेस, काउंटिंग जैसी चीजें उन्हें घर पर खेल-खेल में ही सिखाएं। उन्हें फैमिली के सदस्यों के नाम लिखना सिखाएं, जिससे अल्फाबेट्स पर उनकी पकड़ बन सके। उन्हें कलरफुल चित्रों से सिखाएं ताकि उन्हें जल्दी याद हो सके। बच्चे को स्कूल टाइम के लिए भी रेडी करना न भूलें।
बच्चों का अच्छे स्कूलों में ऐडमिशन पैरंट्स के लिए बड़ा मुश्किल होता है। इसके लिए कई महीनों पहले से ही पैरंट्स को तैयारी शुरू कर देना चाहिए। दरअसल, पैरंट्स से उनकी क्वॉलिफिकेशन से लेकर जॉब और सैलरी तक के बारे में कई सवाल पूछते हैं। इसके अलावा, फैमिली टाइप, बच्चों की संख्या जैसी चीजें भी पूछी जाती हैं, जिसके लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए।
अगर किसी बच्चे के माता-पिता दोनों ही वर्किंग हों, तो उनसे उनकी जॉब प्रोफाइल, वर्क प्लेस और जॉब से जुड़ी कुछ बातें जरूर पूछी जाती हैं।
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।