मिल्खा सिंह सहित कई दूसरे ओलंपिक खिलाड़ी भी हैं जिनसे हम जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण पाठ सीख सकते हैं। विस्तार से जानने के लिए इस स्लाइडशो को पढ़ें।
मिल्खा सिंह को कौन नहीं जानता होगा, आज उनकी उम्र लगभग 80 साल है, उनकी मानें तो वे डॉक्टर के पास नहीं जाते और बीमारियां भी उनके पास नहीं आतीं। जहां आजकल युवाओं में गभीर बीमारियां हो रही हैं ऐसे में उम्र के इस पड़ाव पर फिटनेस को बरकरार रखना सामान्य बात नहीं है। इसके लिए उनकी मेहनत और सख्त रूटीन मायने रखती है। मिल्खा सिंह सहित कई दूसरे ओलंपिक खिलाड़ी भी हैं जिनसे हम जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण पाठ सीख सकते हैं। विस्तार से जानने के लिए इस स्लाइडशो को पढ़ें।
आप जो भी काम करें इमानदारी और निष्ठा के साथ करें तो सफलता जरूर मिलेगी। काम के प्रति निष्ठावान होने की सीख आप ओलंपिक के खिलाडि़यों से ले सकते हैं। आप अगर काम को इमानदारी से करेंगे तो सफलता भी आपको मिलेगी। इसलिए आपने जो भी करने की ठानी हो उसे करते रहिए।
ओलंपिक गेम्स में कई सारे खेल होते हैं- तीरंदाजी, स्वीमिंग, रनिंग, आदि। लेकिन आपने कभी नहीं देखा होगा कि स्वीमिंग करने वाला खिलाड़ी दौड़ में भी हिस्सा ले रहा हो। जिस खिलाड़ी ने जिसकी ट्रेनिंग ली है वह उसके लिए ही प्रयास करता है और वही उसका लक्ष्य बन जाता है। इसलिए सफल होना है तो बस एक लक्ष्य बनाओ और उसके लिए ही प्रयास करो।
कुछ भी आसानी से नहीं मिल जाता, इसके लिए अथक मेहनत और निरंतर मेहनत की जरूरत होती है। ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी इसके लिए कई सालों तक मेहनत करते हैं। कड़ी और निरंतर मेहनत करने के बाद ही उनको मेडल मिलते हैं।
स्वीमिंग या रनिंग में कई देशों के खिलाड़ी होते हैं, और सभी में एक से बढ़कर एक प्रतिभा भी होती है। लेकिन जो सबसे अधिक मेहनत करता है और जिसका प्रदर्शन सबसे अच्छा होता है गोल्ड मेडल उसे ही मिलता है। इससे यह सीख मिलती है कि हर क्षेत्र में बहुत अधिक कंपटीशन है, प्रतियोगिता के इस दौर में घबराने की नहीं डटकर खड़े रहने और खुद को सबसे होनहार साबित करने की जरूरत होती है।
फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह को यह खिताब आसानी से नहीं मिला था और न ही पहली बार में उन्होंने कोई कीर्तिमान बनाया था। कई बार असफल होने के बाद उनको सफलता मिली और उन्होंने एक अलग मिसाल पेश की। ऐसे कई ओलंपिक खिलाड़ी हैं जो हर बार प्रयास करते हैं और असफल रहते हैं, लेकिन फिर से अगले ओलंपिक में एक नये जोश के साथ हिस्सा लेते हैं। इसलिए असफल होने पर घबरायें नहीं बल्कि खुद को और बेहतर तरीके से इसके लिए तैयार करें।
यह ऐसी प्रवृत्ति है जिसकी मिसाल ओलंपिक खिलाड़ी ही दे सकते हैं। आइस हॉकी हो, वेट लिफ्टिंग हो या फिर शूटिंग हो, इनमें हिस्सा लेने वाला हर खिलाड़ी एक दृढ़ संकल्प लेकर हिस्सा लेता है। हारने के बावजूद उसका ये संकल्प डगमगाता नहीं बल्कि और मजबूत होता है। इसलिए अगर आपने किसी चीज को करने की ठानी है तो फिर सफलता आपको जरूर मिलेगी।
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