लैवेंडर तेल को सामान्यतः भाप आसवन द्वारा लैवेंडर के पौधों से निकाला जाता है। परंपरागत रूप से इसे एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
लैवेंडर तेल को सामान्यतः भाप आसवन द्वारा लैवेंडर के पौधों से निकाला जाता है। परंपरागत रूप से इसे एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। एरोमाथेरेपी में भी इसका प्रयोग होता है, क्योंकि यह दिमाग को सुकून पहुंचाता है और इसमें एंटीसेप्टिक व दर्दनिवारक गुण होते हैं। यही नहीं एंटीसेप्टिक व दर्दनिवारक प्रभाव की वजह से लैवेंडर के तेल को मामूली जलने, कीड़े के काटने या डंक लगने आदि के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है। तो चलिये जानते हैं लैवेंडर तेल के ऐसे ही सात औषधीय लाभ क्या हैं?
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लैवेंडर ऑयल से आंखों की थकान दूर हती है। इसके उपयोग के लिए एक कटोरे में आधा लीटर पानी लें और उसमें कुछ बूंदे लैवेंडर ऑयल की डालें। इससे अच्छी तरह से मिलाने के बाद कॉटन बॉल को इस मिश्रण में डालें। अब इस कॉटन को आंखों पर 5 मिनट के लिए रखें। इससे आंखों की थकान दूर होगी व अंगर आई सर्कल से बचाव होगा।
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लैवेंडर ऑयल में एक ऐसी शांत खुशबू (अरोमा) होती है जोकि इसे एक उत्कृष्ट तंत्रिका टॉनिक बनाता है। यह सिरदर्द, चिंता, अवसाद, तंत्रिका तनाव और भावनात्मक तनाव को ठीक करने में सहायक होता है।
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लैवेंडर का तेल सोने में परेशानी या नींद न आने की समस्या को दूर करता है। यह तेल नींद की गुणवत्ता और अवधी में सुधार करता है। क्योंकि अनिंद्रा कई रोगों का कारण बनती है, लैवेंडर ऑयल इसके लिए एख कारगर उपाय होता है।
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शक्तिशाली एंटीसेप्टिक गुणों के चलते लैवेंडर का तेल सेल के विकास को बढ़ा सकता है और घाव के ऊतक के गठन में सहायता करता है। इसलिये ही इसे यह घावों, जले हुए और सन बर्न को तेजी से ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
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लैवेंडर का तेल तंत्रिका तंत्र के लिए एक उत्कृष्ट टॉनिक होता है। यह तेल तंत्रिका थकावट और बेचैनी को दूर करने के लिए जाना जाता है। साथ ही यह मानसिक गतिविधि को बढ़ाता है और उसे शांत भी बनाता है।
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लैवेंडर पाचन पथ के अस्तर को आराम पहुंचाता है तथा आंत की गतिशीलता को बढ़ा देता है। इसके अलावा लैवेंडर आमाशय रस के उत्पादन को भी बढ़ाता है, और इस तरह से अपच, पेट में दर्द, पेट फूलना, उल्टी और दस्त आदि का इलाज करता है।
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जिस प्रकार से लैवेंडर ऑयल खरोंच व घावों के लिए लाभदायक है, यह कुछ त्वचा रोगों जैसे मुंहासे, जले हुए पर, शुष्क त्वचा, एक्जिमा, खुजली वाली त्वचा, धूप की कालिमा और त्वचा की सूजन आदि के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
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