मॉडर्न योगा कम्युनिटी में योग करने के लिये सही मैट या मैट के इस्तेमाल को लेकर कई शंकाएं हैं। बाजार में भी कई प्रकार के योग मैट मौजूद हैं, जो उन्हें और भी उलझाते हैं। तो चलिये जानें योग और इसे करने के लिये मैट से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियां।
मॉडर्न योगा कम्युनिटी में योग करने के लिये सही मैट या मैट के इस्तेमाल को लेकर कई शंकाएं हैं। बाजार में भी कई प्रकार के योग मैट मौजूद हैं, जो उन्हें और भी उलझाते हैं। तो चलिये जानें योग और इसे करने के लिये मैट से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारियां।
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योग सैंकड़ो या कहिये उससे भी पुराने समय से किया जा रहा है। योगियों ने इसे पानी, पत्थर, लकड़ी, चट्टानों और हर महौल और जगह इसे किया है। लेकिन अब योग को एक नई परिभाषा मिली है, और यदि लोग इसके चलते योग करने को प्रेरित होते हैं तो इसमें कोई बुरी बात भी नहीं। तो जरूरत के हिसाब से मैट का इस्तेमाल करना सही भी है। लेकिन किस तरह के मैट का इस्तेमाल करें? ..
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जो लोग योग करने की शुरुआत कर रहे हैं वे मैट का इस्तेमाल कर सकते हैं। लिखित और मौखिक योग परंपरा बताती हैं कि पुराने योगी भी घास या जानवरों की खाल से हाथ से बनाए मैट्स का इस्तेमाल किया करते थे। तो आप सिंथेटिक मेट या हाथ से बुने मैट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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सबसे अहम बात कि मैट, गद्दी का काम करता है, सपोर्ट देता है और अन्य बाधक कारकों को रोकता है। कई लोगों को ज़मीन पर योग के दौरान उनकी हथेलियों, घुटने, कोहनी, और कशेरुकाओं दबाने पर दर्द और असुविधा होती है। इन लोगों के लिये मैट सहायक होता है।
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विन्यास फ्लो, जैसे कुछ आसनों को सीधे फ्लोर पर नहीं किया जाता है। क्योंकि इससे कलाइयों पर ज्यादा जोर पड़ता है। वहीं तड़ासन और वृक्षासन, दाढो मुख श्वनासन और कुम्भ्कासन जैसे आसनों को करने के लिये मैट की जरूरत पड़ती है।
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