सूजन की बीमारी रूमेटाइड अर्थराइटिस मुख्य रूप से शरीर के जोड़ों को प्रभावित करती हैं। लेकिन, इसका फेफड़ों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। आइए जानें रूमेटाइड अर्थराइटिस का फेफड़ों पर क्या प्रभाव होता है।
सूजन की बीमारी रूमेटाइड अर्थराइटिस मुख्य रूप से शरीर के जोड़ों को प्रभावित करती हैं। लेकिन, इसका फेफड़ों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। क्रोनिक सूजन फेफड़ों के ऊतकों में घाव, फेफड़ों के अस्तर ऊतकों की सूजन, फेफड़ों तक जाने वाले ब्लड धमनियों को कसने, एयरवे प्रतिबंध और फेफड़े के तरल पदार्थ का निर्माण करती है। हालांकि इन प्रभावों में से कुछ का इलाज हो सकता है, जबकि कुछ अपरिवर्तनीय क्षति का कारण बन सकता है। आइए इस स्लाइड शो के माध्यम से रूमेटाइड अर्थराइटिस के फेफड़ों पर प्रभाव को जानें।
रूमेटाइड अर्थराइटिस फेफड़ों के ऊतकों में घाव का कारण बनता है और इन समस्याओं का समूह इन्टर्स्टिशल लंग डिजीज (आईएलडी) का नेतृत्व करती है। जिससे सांस लेने और ब्लडस्ट्रीम तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने में मुश्किल होती है। आईएलडी श्वास कष्ट, सूखी खांसी, घरघराहट, और सीने में दर्द का कारण होता है। स्कॉरिंग फेफड़ों की अलवियोली (हवा की थैलियों) के संयोजी ऊतक में हो सकता है, इसे पल्मोनरी फाइब्रोसिस कहा जाता है। इसमें पुरानी सूखी खांसी, सांस में कमी, थकान, कमजोरी, भूख और तेजी से वजन कम होने जैसे लक्षण नजर आते हैं। अर्थराइटिस की कुछ दवाएं भी फेफड़ों में छोटे एयरवेज मे घाव पैदा कर सांस लेने में तकलीफ पैदा करती है।
आरए के साथ लोगों में रूमेटाइड पिंड या गांठ का विकास हो सकता है, जो सबसे ज्यादा प्रभावित जोड़ों के पास की त्वचा की सतह के नीचे दिखाई देता है। हालांकि, यह फेफड़ों में भी विकसित हो सकता है। फेफड़ों के पिंड, दुर्लभ है और रिपोर्ट के अनुसार चेस्ट एक्स-रे के आधार पर 1 प्रतिशत से भी कम होते हैं। हालांकि अधिकांश लोगों खांसी, सीने में दर्द और बलगम में खून जैसे कोई लक्षण उत्पन्न नहीं होते हैं।
सूजन के कारण प्लेयरल इफ्यूजन, या फेफड़ों में तरल पदार्थ, रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण होने वाली सबसे आम समस्या है। आरए से ग्रस्त 39 प्रतिशत से 73 प्रतिशत लोगों के बीच के मृत्यु के समय प्लेयरल इफ्यूजन के संकेत दिखाई देते हैं। इस समस्या के कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन सांस, बुखार या सांस की तकलीफ तेज दर्द का कारण बन सकता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस कई प्रकार की श्वासनली जटिलताओं का नेतृत्व करता है। फेफड़े के पिंड गले पर बनने पर ऊपरी श्वाननली में बाधा उत्पन्न होती है, या गले के पीछे क्रिकार्यटेनोइड जोड़ में अर्थराइटिस विकसित होने लगता है। ब्रॉनकिएकटेसिस, एक ऐसी समस्या है जिसमें वायुरमार्ग चौड़े होने लगते है और इनमें जख्म बन जाते हैं। ऐसा कम से कम 10 प्रतिशत रूमेटाइड रोगियों में होता है। इस समस्या के कारण संक्रमण के प्रति अतिसंवदेनशील होने के कारण श्वासनली को नुकसान पहुंचता है। ब्रॉनकिएकटेसिस -फेफड़ों की श्वासनली का संक्रमण है, जिसके कारण खांसी और घरघराहट की समस्या पाई जाती हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस अन्य गंभीर फेफड़ों की जटिलताओं को जन्म दे सकता है। उनमें से एक फेफड़े का उच्च रक्तचाप शामिल है, इसका कारण धमनियों का उच्च रक्तचाप है, जो फेफड़ों की आपूर्ति करता है। जब ऐसा होता है, तो रक्त वाहिकाओं में कसाव आता है और फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिलता। इसके कारण चक्कर आना, सांस में तकलीफ और थकान जैसी समस्या होती है। इसके कारण आरए जैसी एक और समस्या यानी नूमथोरैक्स हो सकती है। इस समस्या के होने पर तेज सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, तेजी से दिल की दर, थकान और सीने में जकड़न जैसे लक्षण दिखाई देते है।
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