बचपन की आदतों का सीधा असर बच्चे के करियर पर पड़ता है और बच्चा कितना सफल होगा यह बचपन में ही निर्धारित हो जाता है, इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए इस स्लाइडशो को पढ़ें।
बचपन में इंसान जो भी करता है उसका सीधा असर उसके जीवन पर पड़ता है खासकर उसके करियर पर। चूंकि इंसान की पहली पाठशाला उसका घर होता है तो उसके सीखने की शुरूआत वहीं से ही हो जाती है। सयम बदलने के साथ लोगों की सोच में बदलाव हुआ और अब पहले से यह निर्धारित नहीं होता कि बच्चा बड़ा होकर क्या करेगा। यानी अब घर में बच्चों को उनकी पंसद का करियर चुनने की आजादी होती है। हालांकि बचपन में करियर का चुनाव करना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन अगर बचपन में ही किसी करियर को लक्ष्य बनाकर उसे हासिल करने का लक्ष्य बना लिया जाये तो उसे पाना आसान होता है। इस स्लाइशो में जानते हैं कि कैसे बचपन की आदतों का असर इंसान के करियर पर पड़ता है।
साइकोलॉजी टूडे में छपे एक शोध की मानें तो बच्चों की आदतों का असर उनके करियर पर बाद में निश्चित रूप से पड़ता है। इस शोध में यह साबित हुआ कि जिन बच्चों के घर का माहौल सकारात्मक होता है और जिनको बचपन में अधिक प्यार और दुलार के साथ अनुशासन और दिशनिर्देश मिलता है भविष्य में उनके सफल होने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे बच्चे बाद में न केवल अपना पंसदीदा करियर चुनते हैं बल्कि उसमें सफलता भी अर्जित करते हैं। यानी बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं उनकी सफलता और असफलता के लिए उनके पैरेंट्स और घर का माहौल भी बाद में उनके अच्छे और बुरे करियर के लिए जिम्मेदार होता है।
बचपन में किसी के पास इतनी समझ नहीं होती कि वह यह निर्धारित कर सके कि उसके लिए क्या सही है और क्या गलत। किस विषय में वह सफल हो सकता है और कहां उसे असफलता मिलेगी। हालांकि कठिन मेहनत से सबकुछ अर्जित किया जा सकता है, लेकिन अगर सकारात्मक क्षेत्र में कठिन मेहनत की जाये तो सफल होने की संभावना अधिक रहती है। इसलिए बच्चों को यह चाहिए कि वे बचपन से ही अपने लक्ष्य को निर्धारित कर लें। अगर उनको इसमें कठिनाई लगे तो पैरेंट्स की मदद लें और खुद के एक सुनहरे भविष्य का निर्माण करें।
प्रतियोगिता इंसान की प्रतिभा को आंकने के लिए की जाती है। यह ऐसा प्लेटफार्म है जहां पर कोई भी यह निर्धारित कर सकता है कि वह किस काबिल है। यानी कंपटीशन इंसान को खुद को आंकने का मौका देती है। इसलिए करियर बनाने के लिए बच्चों को समय-समय पर इन प्रतियोगिताओं का हिस्सा बनते रहना चाहिए। कंपटीशन में पूरी तैयारी करके उतरें और साबित कर दें कि आप इसके लिए सबसे उचित इंसान हैं। असफल होने पर निराश न हों और अगली बार पूरी तैयारी के साथ इसे जीतें।
बच्चों के करियर को बनाने और बिगाड़ने में पैरेंट्स की भूमिका सबसे अहम होती है। इसलिए पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों पर अपनी मर्जी बिलकुल भी न थोपें। अगर आप अपनी मर्जी थोपेंगे तो वह दबाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पायेगा और सफल भी नहीं हो पायेगा। बच्चों की पंसद के अनुसार ही उसके करियर को चुनने में उसकी मदद करें। वर्तमान में बेहतर करियर के लिए केवल दो पारंपरिक विषय (डॉक्टर और इंजीनियर) ही नहीं हैं। बल्कि आज तो बच्चों को सुनहरा भविष्य बनाने के लिए हजारों विकल्प मौजूद हैं। जहां कोई भी अपनी पंसद के अनुसार अपने व्यक्तित्व को निखार सकता है।
करियर बनाने में पैरेंट्स की भूमिका सबसे अहम होती है। अभिभावक के सही मार्गदर्शन में ही बच्चे अपना भविष्य तय करते हैं। चूंकि बच्चे बचपन में यह नहीं समझ पाते कि उनके लिए क्या सही और क्या गलत है, ऐसे में अभिभावक उनकी मदद करते हैं। इसलिए किसी भी अभिभावक के लिए यह जरूरी है कि वे अपने बच्चों के हुनर को पहचानें। हर बच्चे में एक अलग तरह का गुण होता है, जिसे निखारने की जरूरत होती है। इसलिए यह समझें कि आपका बच्चा क्या चाहता है, उसे उस करियर को चुनने में मदद करें।
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