डायबिटीज एक बार होने के बाद इसका निवारण नहीं हो सकता है, लेकिन डायबिटीज के साथ भी बेहतर जीवन यापन किया जा सकता है, तो क्यों न डायबिटिक अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ संकल्प लें।
गलत खान-पान, धूम्रपान की लत, मोटापा व अस्वस्थ जीवनशैली डायबिटीज की समस्या को और भी गंभीर बना रहा है, ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को ब्लड शुगर का स्तर सामान्य रखने के लिए कुछ संकल्प लेना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, डायबिटीज एशिया की बड़ी सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरी है और एशियाई लोग सबसे ज्यादा मधुमेह के शिकार हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक, भारत में लगभग 6.5 करोड़ वयस्क मधुमेह की समस्या से ग्रस्त हैं और लगभग 7.7 करोड़ लोगों में प्री डायबिटीज की आशंका दिखाई पड़ती हैं। 2035 तक यह आंकड़ा 10.9 करोड़ तक पहुंचने की आशंका है। वहीं 40 साल से कम उम्र के लगभग 15 प्रतिशत (1.5 करोड़) लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं। हालांकि इस रोग के साथ भी बेहतर जीवन यापन किया जा सकता है, बशर्ते कुछ स्वस्थ आदतों को अपनाया जाए। तो यदि डायबिटीज के साथ बेहतर जीवन जीना है तो हर डायबिटिक को ये स्वास्थ्य संकल्प ज़रूर लेने चाहिये।
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यदि आपको बुखार है या आपका ब्लड ग्लुकोज स्तर 240 से ऊपर है तो आपको कीटोन्स के लिए रक्त या मुत्र की जांच करवाएं। कीटोन्स तब बनते हैं, जब ऊर्जा प्राप्त करने के लिए शरीर ग्लुकोज की बजाय चर्बी का इस्तमाल करने लगता है। कीटोन्स किसी को बहुत बीमार कर सकता है। शरीर में कीटोन्स हो तो आपको कीटोसाइडोसिस नामक गम्भीर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। उल्टी होना, कमजोरी महसुस होना, तेज सांस चलना, और सांस मे मीठी गन्ध आदि कीटोसाइडोसिस के लक्षण होते हैं। किटोसाइडोसिस टाइप 1 का मधुमेह वाले रोगियों में होते हैं।
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हीमोग्लोबिन A1C अथवा HbA1C जांच ब्लड ग्लुकोज का पता लगाने के लिए की जाती है। इससे पता चल जाता है कि पिछले 2 से 3 माहिनों के भीतर आपका औसत ब्लड ग्लुकोज क्या था। साल में कम से कम 2 बार यह जांच अवश्य कराएं। अपने चिकित्सक से यह भी पुछें की आपके A1C जांच में क्या आया है। जांच का परिणाम 7 से नीचे होने से स्पष्ट हो जाता है कि आपका उपचार सही चल रहा है और ब्लड ग्लुकोज नियंत्रिण में है। लेकिन यदि आपके A1C का स्तर ज्यादा है तो ब्लड ग्लुकोज बहुत ज्यादा हो सकता है और इसके कारण किडनी खराब होने का अंदेशा रहता है। ऐसे में भोजन, शारीरिक क्रियाशीलता एवं मधुमेह की दवा में बदलाव की जरूरत होती है।
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मधुमेह की दैनिक जांच की रिपोर्ट को संभाल कर रखें। आपने ब्लड ग्लुकोज की जांच के परिणामों को भी रखें। आप क्या आहार लेते है और इसके बाद कैसा महसूस करते है, कितना व्यायाम करते हैं आदि का रिकोर्ड भी रखना चाहिए। इससे आपको डाबिटीज को नियंत्रण में रखने में काफी सहायता होती है।
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डायबिटीज की वजह से पैरो को होने वाली समस्या ज्यादातर बच्चों में नहीं होती है। ऐसे जूते पहने जो पैरों में ठीक से फिट हों, पैरो को साफ रखें, पानी से धोकर उन्हें सुखना बेहद जरूरी होता है। ध्यान रखें की पैरो में किसी प्रकार की चोट, घाव या इन्फेक्शन तो नही है। थोड़ी सी भी खरोच होने पर डॉक्टर की राय जरूर लें।
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आदर्श ब्लड शुगर लेवल तक पहुचनें के लिए तीन प्रकार की दवाइयों की जरूरत हो सकती है। ये गोलियां, इंसुलिन और अन्य इंजेक्शन द्वारा दी जाने वाली दवाइयां हो सकती हैं। टाइप -2 डायबिटीज वाले अधिकांश रोगी ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए गोलियों की मदद लेते हैं।
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अगर आपके शरीर ने इंसुलिन बनाना बन्द कर दिया है या पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन रहा है तो आपको इंसुलिन की जरूरत होती है। टाइप -1 डायबिटीज वाले प्रत्येक रोगी को इंसुलिन की जरूरत पड़ती है वहीं टाइप -2 डायबिटीज वाले काफी रोगियों को भी इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ती है। गर्भावस्था डायबिटीज में भी कुछ महिलाओं को इंसुलिन लेनी पड़ती है।
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आपके रक्त में ग्लुकोज की मात्रा कितनी है इसका पता लगाएं। अगर भोजन में ग्लुकोज बहुत ज्यादा या बहुत कम है तो आपको अपने भोजन, शारीरिक क्रियाशीलता या दवाओं में बदलाव लाना पड़ सकता है। ब्लड ग्लुकोज की जांच से आप ये जान पाऐंगे कि आपके जायबिटीज का इलाज कारगर हो रहा है। अपने डॉक्टर से पूछें की आपको ब्लड ग्लुकोज की जांच कब करनी है। आमतौर पर कुछ लोग दिन में एक बार तो कुछ दिन में 3 या 4 बार भी ये जांच करते हैं।
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एक अच्छा डाइट प्लान बनाएं जो आपके भोजन संबंधी जरुरतों पर खरा उतरे। डायबिटीज में अपने भोजन से संबंधित जानकारी आप अपने खाद्य विशेषज्ञ से भी ले सकते हैं। भोजन में कई वैकल्पिक चुनाव करके मधुमेह रोग को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
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दिनचर्या में व्यायाम की कमी को पूरा करने के लिए स्कैटिंग, साईक्लिंग आदि को शामिल कीजिए ताकि शरीर में स्फूर्ति आये। रक्त में शुगर की मात्रा नियंत्रित करने से खतरा टल जाता है। करीब 30 मिनिट रोजाना सक्रिय रहने का प्रयास करें। एक्सरसाइज करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लें। आपका चिकित्सक जांच करके बता सकेगा कि आपको अधिक समस्या है या नहीं। यदि आपको उच्च रक्तचाप या नेत्र संबंधी समस्या है तो कुछ व्यायाम जैसे वेट ट्रेनिंग आदि आपके लिए हानिकारक हो सकते हैं।
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