जब हम हवा निगल लेते हैं तो उसी तरह वो बाहर भी निकलती है, जिसे हम डकार कहते हैं। अगर डकार ज्याद आए तो ये कई बार कुछ बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। चलिये जानें कि कैसे ज्यादा डकार आना हो सकता है किसी गंभीर बीमारी का इशारा।
डकार लेना एक प्राकृति क्रिया है और आमतौर पर ऐसा माना जाता है की हमारे द्वारा खाया गया भोजन हजम हो जाने का डाकार एक संकेत होता है। लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है, दरअसल जब खाना खाते समय या उसके बाद बार-बार डकार लेने का मतलब है कि खाने के साथ ज्यादा मात्रा में हवा निगल ली गई है। जब हम हवा निगल लेते हैं तो उसी तरह वो बाहर भी निकलती है, जिसे हम डकार कहते हैं। यह पेट से गैस के बाहर निकलने का एक प्राकृतिक तरीका है, और अगर पेट से हवा बाहर न निकले तो यह पेट से संबंधित कई समस्याओं को जन्म दे सकती है, जैसे पेट में तेज दर्द या पेट में अफारा आदि। लेकिन अगर डकार ज्याद आए तो ये कई बार कुछ बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। तो चलिये जानें कि कैसे ज्यादा डकार आना हो सकता है किसी गंभीर बीमारी का इशारा -
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अकसर ऐसा होता है कि हम खाना खाते समय ज्यादा हवा पेट में निगल जाते हैं और फिर डकारें आने लगती हैं। इस स्थिति को ही ऐरोफेजिया की स्थिति कहते हैं। कुछ खाते या पीते समय हवा पेट में चले जाने से अकसर ऐरोफेजिया की स्थिति पैदा हो जाती है। इससे समस्या से बचने के लिए छोटे निवाले लें और मुंह बंद करके धीरे-धीरे खाने को चबा कर निगलें।
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की अध्ययन इस बात को बता चुके हैं कि जिन लोगों को बहुत ज्यादा डकार आती हैं, उनमें से लगभग 30 प्रतिशत लोगों को कब्ज की समस्या होती है। इस समस्या के होने पर खाने में उपयुक्त मात्रा में फाइबर शामिल करें और ईसबगोल का भी सेवन करें। इसके अलावा हाज़मा खराब होना, जिसे हम बदहज़मी कहते हैं, की वजह से भी ज्यादा डकार आने की समस्या होती है। ऐसे में डकार आने के साथ पेट में दर्द भी हो सकता है।
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तनाव कई समस्याओं का अकेला कराण होता है। तनाव या किसी बड़े भावनात्मक परिवर्तन का प्रभाव हमारे पेट पर भी पड़ता है। कई अध्ययनों में भी ये बात सामने आई है कि लगभग 65 प्रतिशत मामलों में मूड में त्वरित व बड़ा बदलाव या तनाव का बढ़ना ज्यादा डकार आने का कारण बनता है।
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कई बार गैस्ट्रोसोफेजिअल रिफ्लक्स डिज़ीज़ (जीइआरडी) या सीने में तेजड जलन के कारण भी ज्यादा डकार आती हैं। इस बीमारी में आंतों में जलन होने लगती है और आहार नलिका (फूड पाइप) में एसिड बनने लगता है। इसमेंबचाव के लिए खानपान और जीवनशैली में कई सकारात्मक व स्वस्थ बदलाव करने की जरूरत होती है।
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इरिटेबल बाउल सिंड्रोम होने पर रोगी को कब्ज, पेट दर्द, मरोड़ व दस्त आदि हो सकते हैं। साथ ही इस रोग का एक बड़ा लक्षण बहुत ज्यादा डकारआना भी होता है। दुर्भाग्यवश इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का कोई पक्का इलाज अभी तक मौजूद नहीं है। इस समस्या के अलावा पेप्टिक अल्सर के कारण भी ज्यादा डकारे आ सकती हैँ। दरअसल जब आपके पाचन तंत्र को पेट की गैस से और एच.पायलोरी नामक बैक्टीरिया से क्षति पहुंचती है तो डकार आने लगती हैं।
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