आजकल युवाओं और किशोरों के बाल जल्दी पकने लगते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में इसे रोका जा सकता है। लेकिन, इससे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर समय से पहले बाल क्यों पकने लगते हैं।
बाल पकने को यूं तो उम्र के बढ़ने से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन आजकल कई ऐसे कारण हैं, जिनके चलते उम्र से पहले ही बाल पकने लगते हैं। यूं तो 35 वर्ष की आयु के आसपास ही बाल पकना शुरू होते हैं। लेकिन, आजकल युवाओं और किशोरों के बाल भी पकने लगते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में इसे रोका जा सकता है। लेकिन, इससे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर समय से पहले बाल क्यों पकने लगते हैं।
मेलानिन हमारे बालों को काला रखने में अहम भूमिका निभाता है। यह हमारी त्वचा के पिगमेंट में होता है। शरीर जब मेलानिन कोशिकाओं का निर्माण करना बंद कर देता है, तो बालों की रंगत बदलने लगती है। इसलिए मेलानिन पिगमेंट खत्म होने पर कम उम्र में बाल सफेद होने लगते हैं।
समय से पहले बाल पकने की बड़ी वजह अनुवांशिक भी होती है। अक्सर देखा जाता है कि बच्चों के बालों का रंग उनके माता-पिता से विरासत में मिलता है। अगर माता-पिता के बाल कम उम्र में सफेद हो जाते है तो जैनेटिक कारणों से बच्चे के समय से पहले सफेद हो जाते हैं। कुछ लोगों के जीन की संरचना ही ऐसी होती है कि बाल कम उम्र में सफेद पड़ने लगते हैं।
अगर हमारा आहार ठीक न हो, तो उसका असर बालों पर भी पड़ता है। खानपान में गड़बड़ी से भी कम उम्र में बाल सफेद होने लगते हैं। आहार में विटामिन बी, आयरन, कॉपर, प्रोटीन और आयोडीन जैसे तत्वों की कमी से अक्सर यह समस्या होती है।
हमारी जिंदगी बहुत तनावपूर्ण हो गई है, जिसमें काम और लाइफ को लेकर हमेशा तनाव बना रहता है। और जो युवा छोटी-छोटी बातों पर बहुत अधिक तनाव लेते हैं उनके बाल कम उम्र में ही सफेद होने लग जाते हैं। साथ ही जिन युवाओं को घबराहट, डर, जलन आदि समस्याएं बहुत अधिक होती हैं, उन्हें भी इस तरह की समस्या होने लगती हैं।
शरीर में अगर कॉपर की कमी हो जाए, तो उसके कारण भी बाल सफेद होने लगते हैं। कॉपर मिलेनिन का उत्पादन करता है जिससे बालों में रंग आता है। और अगर शरीर में कॉपर की कमी हो जाए तो बाल कम उम्र में सफेद होने शुरू हो जाते हैं।
जो युवा अपने बालों की सफाई सही तरीके से नहीं होती उनमें भी कम उम्र में बाल सफेद होने की समस्या अधिक होती है। पर्यावरण में मौजूद प्रदूषण से भी कम उम्र में बाल सफेद होते हैं। फ्री रेडिकल्स जितना हमारे त्वचा के लिए हानिकारक है, उतना ही बालों के लिए भी।
आजकल के युवा फिगर के चक्कर में खाना-पीना छोड़ देते हैं और डाइडिंग करने लगते है। सही डाइट न लेने के कारण बालों को सही पोषण नहीं मिल पाता है और बाल कम उम्र में सफेद होना शुरू हो जाते हैं।
लंबे समय तक बीमार रहने या दवाओं के अधिक इस्तेमाल के कारण भी बाल कम उम्र में सफेद होने लगते हैं। हार्मोन्स में होने वाले बदलावों के कारण या किन्हीं दवाइयों के सेवन से बाल अपनी असली रंगत खोने लगते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, एंटी मलेरिया दवा के प्रयोग से बाल समय से पहले ही सफेद होने लगते हैं।
थायरॉइड ग्लैड में गड़बड़ी होने पर भी इस तरह की परेशानी हो सकती है। युवाओं में थाइराइड ग्लैड ग्रंथि की अधिकता या स्राव में कमी का असर बालों पर पड़ता है और वह वक्त से पहले सफेद होने लगते हैं।
धूम्रपान करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है यह तो हम सभी जानते हैं लेकिन शायद आप यह नहीं जानते कि यह हमारे बालों के लिए भी नुकसानदेह होता हैं। युवाओं में प्रायः धूम्रपान और मादक पदार्थों के सेवन से भी बालों के सफेद होने की समस्या लगातार बढ़ रही हैं।
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