दूध फट गया है और आप उसे फेंकने वाली हैं तो पांच मिनट रुक जाइए। फटे दूध से जैसे पनीर बनता है वैसे ही उसका पानी भी बहुत उपयोग में आता है। फटे दूध के पानी के हैं ये उपयोग...
दूध जीवन के लिये अनमोल है, लेकिन अजकल न सिर्फ दूध की कीमतें बढ़ती जा रही हैं, बल्कि इसकी अपलबेधता भी कम होती जा रही है। उस पर अगर दूध फट जाए तो बेहद दुख होता है। लेकिन "ज़िंदा हाथी लाख का तो मला सवा लाख का", कहावत फटे दूध पर शायद सही बैठती है। जी हां, दूध फटने के बाद भी बड़े काम का होता है। इससे पनीर बनाया जा सकता है और इससे जो पानी बचता है, वो भी कई काम आ सकता है। तो फटे दूध का पानी नहीं फेंकना चाहिये। आप इससे आटे को गूंद कर आटे की पौष्टिकता बढ़ा सकती हैं या फिर आप इसे सौंदर्य को निखारने के लिये भी इस्तेमाल कर सकती हैं। पटे दूध के पानी में काफी प्रोटीन होता है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। चलिये जानें फटे दूध के क्या फायदे होते हैं और इसे फैंकना क्यों नहीं चाहिये।
पानी की जगह फटे दूध के पानी को आटा गूंदने में इस्तेमाल लाएं। इस तरह गूंथे आटे की रोटियां या पराठे नरम बनते हैं और इसमें प्रोटीन भी मिल जाता है। इसके अलावा आप इस पानी को फल या सब्जियों के जूस में भी मिला सकते हैं। ग्रेवी को खट्टा बनाने के लिये भी आप टमाटर, अमचूर, इमली या दही की जगह फटे दूध का पानी इस्तेमाल कर सकती हैं।
फटे दूध का पानी का फ्लेवर काफी लाइट होता है जिसे उपमा में मिलाने से उपमा का स्वाद और भी बेहतर हो जाता है। उपमा में टेस्ट लाने के लिये टमाटर या दही मिलाने की जगह फटे दूध का पानी मिलाने पर ज्यादा बेहतर स्वाद आता है। आप सूप बनाने के लिये भी इस पानी का इस्तेमाल कर सकती हैं।
फटे दूध के पानी से बालों को शैंपू करने के बाद, दुबारा इस पानी से धोएं और फिर 10 मिनट तक लगा रहने दें और हल्के गर्म पानी से बालों को धो लें। इससे बाल मुलायम बनते हैं और उनमें शाइन आती है। साथ ही इससे अपने चेहरे को धो कर आप त्वचा को मुलायम, टोन्ड, नरम और भीतर से साफ बना सकती हैं। दरअसल इस पानी में एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं जो कि सिर और त्वचा का pH बैलेंस बनाए रखते हैं।
अगर आपके घर में कोई पालतू जानवर जैसे, कुत्ता या बिल्दी आदि है तो उसे एक्सट्रा प्रोटीन देने के लिये इसे उसके खाने में मिलाएं। इसके अलावा आप फटे दूध के पानी को पौधों में भीडाल सकते हैं। ऐसे करने से पौधों को पोषण मिलता है, लेकिन इसे पानी में घोल कर ही प्रयोग करें। क्योंकि यहएसिडिक होता है, और इसे सीधा पौधों में जालने से वे जल सकते हैं।
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