एच.आई.वी. पाजी़टिव होने का मतलब है, एड्स वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर गया है, इसका अर्थ यहं नहीं है कि आपको एड्स है।
एचआईवी और एड्स का पहला 1981 में प्रकाश में आया। एक ताजा आंकड़े के अनुसार दुनिया भर में 34 मिलियन से ज्यादा यानी करीब साढ़े तीन करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। इनमें से अधिकतर विकासशील और पिछड़े मुल्कों के रहने वाले हैं। एड्स की वजह से अभी तक 25 मिलियन लोगों की मौत हो चुकी है।
असुरक्षित यौन संबंध बनाने से, संक्रमित सुई का इस्तेमाल करने से, संक्रमित रक्त चढ़ाने से और संक्रमित मां से उसके होने वाले बच्चे को एचआईवी/एड्स होने की संभावना होती है।
एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी या आर्ट (ART) 1996 में सामने आई। दुनिया भर में ऐसा माना जाता है कि यह तकनीक इस बीमारी से जल्द होने वाली मौत को रोक सकती है। आर्ट की वजह से इस बीमारी से संक्रमित लोगों की जीवनशैली में बेहद सकारात्मक परिवर्तन आया है। अगर एचआईवी संक्रमित साथी आर्ट के जरिए अपना इलाज करवा रहा है तो इससे उसके स्वस्थ साथी को यह वायरस पहुंचने की संभावना भी कम हो जाती है। निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में करीब 80 लाख एचआईवी संक्रमित लोग आर्ट के जरिए इलाज करवा रहे हैं।
एक आंकड़े के अनुसार दुनिया भर में 33 लाख से ज्यादा बच्चे एचआईवी वायरस से ग्रस्त हैं। साल 2011 में किए गए एक सर्वे के अनुसार इनमें से ज्यादातर सब-सहारा क्षेत्र के थे। डब्लयूएचओ के एक आंकड़े के अनुसार रोजाना करीब 900 बच्चे एड्स से ग्रस्त होते हैं।
एचआईवी/एड्स से बचने से कुछ महत्त्वपूर्ण तरीके हैं - संभोग के दौरान कंडोम का प्रयोग, डिस्पॉजेबल सीरींज का इस्तेमाल, रक्त चढ़ाने में सावधानी।
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