किएटिविटी हर बार हमें विरासत में नहीं मिलती। और न ही हर बार कोई इसे लेकर पैदा ही होता है। क्रिएटिविटी एक प्रक्रिया भी हो सकती है। लगातार मेहनत करके आप इसे हासिल कर सकते हैं। तो जानिये आखिर कैसे क्रिएटिविटी को बढ़ाकर कामयाबी हासिल की जा सकती है।
रचनात्मकता आसानी से नजर आ जाती है। लेकिन, असल में यह हर व्यक्ति के हिसाब से अलग हो सकती है। दूसरे शब्दों में कहें, तो रचनात्मक सोच पर बाहरी शक्तियों का भी प्रभाव होता है और जरूरी नहीं कि 'अच्छे गुणसूत्र' इसके लिए जिम्मेदार हों।
सबसे पहले अपने आप को क्रिएटिविटी डेवलप करने में पूरी तरह झोंक दें। अपने प्रयासों को अधूरा न छोड़ें। लक्ष्य तय करें, दूसरों की मदद लें। और रोजाना कुछ वक्त अपनी रचनात्मकता को बढ़ाने में लगायें।
किसी क्षेत्र में रचनात्मकता बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप उस क्षेत्र के विशेषज्ञ बन जाएं। उस विषय के बारे में अच्छी समझ होने से, आप उसके सभी पहलुओं के बारे में अच्छी तरह जान पाएंगे। इससे आपको उससे जुड़ी समस्याओं को सुलझाने में भी आसानी होगी।
जिज्ञासु बनें। आमतौर पर अपने मन में उठ रहे सवालों को हम अपनी कमजोरी के तौर पर लेते हैं। लोग मानते हैं कि यह उनकी अज्ञानता है और ऐसे में वे उसे शांत करने का प्रयास नहीं करते। लेकिन, ऐसा नहीं है। वास्तव में जिज्ञासा ही रचनात्मकता और ज्ञान का बीज होती है। तो जब भी आपके मन में किसी बात को लेकर जिज्ञासा उठे, तो सबसे पहले प्रसन्न हों, फिर उसे शांत करने में जुट जाएं। इससे आपको उस विषय के बारे में नये आयाम खोजने का अवसर मिलेगा।
बेशक, अपनी रचनात्मकता को पुरस्कृत करना अच्छी बात है, लेकिन साथ ही इसे प्रेरणा के तौर पर लेना भी जरूरी है। कई बार क्रिएटिविटी का असल ईनाम उस तक पहुंचने की प्रक्रिया ही होती है। याद रखिये, यह सफर आपको जो सिखायेगा वह आपको दुनिया की किसी भी किताब में नहीं मिल सकता।
अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि आप जोखिम उठाने को तैयार रहें। बिना जोखिम उठाये रचनात्मकता के मार्ग पर चलना असंभव है। जरूरी नहीं कि आपको अपने प्रयासों में हर बार कामयाबी ही मिले। लेकिन आपको इसके बावजूद लगातार प्रयास करते रहने होंगे। आपको लगातार अपने हुनर को मांझना होगा, यह सब भविष्य में आपके बहुत काम आएगा।
अपनी क्षमताओं में विश्वास रखें। संशय आपकी रचनात्मकता को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए जरूरी है कि आत्मविश्वास का दामन कभी न छोड़ें। आपने इस सफर के दौरान अभी तक जो हासिल किया है, उसे नोट करें। अपने प्रयासों की भी सराहना करें और हर बार पहले से बेहतर करने की अपनी कोशिश को कभी न छोड़ें।
वर्ष 2006 में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की स्टडी के अनुसार सकरात्मक माहौल आपको रचनात्मक सोचने में मदद करता है। स्टडी के मुख्य लेखक डॉक्टर एडम एंडरसन के अनुसार, अगर आप रचनात्मक रहना चाहते हैं अथवा आप किसी थिंक टैंक का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो जरूरी है कि आप अच्छे मूड में रहें। उन नकारात्मक चीजों को अपने सोच के दायरे के बाहर करें जो आपको परेशान कर रहे हैं। इससे आपको मजबूत क्रिएटिव स्किल डेवलप करने में मदद मिलेगी।
नाकामयाबी या गलती का डर आपके सफर को लकवाग्रस्त कर सकता है। जब भी आप स्वयं को इस तरह की भावनाओं से ग्रस्त पायें, तो खुद यह समझायें कि गलतियां तो इस सफर का हिस्सा भर हैं। संभव है कि आप अपने रास्ते में कभी-कभार लड़खड़ायें। लेकिन, कहीं आप थक कर बैठ गए तो फिर आपके लिए आगे बढ़ पाना मुश्किल हो जाएगा। जरूरी है कि आप अपनी नजर लक्ष्य पर रखें और लगातार आगे बढ़ते रहें।
पढ़ाई हो या नौकरी हमें अपना दिमाग लगाना पड़ता है। लेकिन, क्या आपको अहसास है कि यह क्रिएटिविटी बढ़ाने में भी मददगार हो सकता है। इसकी शुरुआत अपने फैसले को खारिज करने और स्व-अलोचना से करें। इसके बाद उससे जुड़े अन्य आइडिया और संभावित हल पर चर्चा करें। इसका लक्ष्य यह है कि आप कम से कम वक्त में ज्यादा से ज्यादा आइडिया लिखकर रखें। इसके बाद के चरण में अपना दिमाग लगाकर सबसे मुनासिब आइडिया को अमल में लाने का प्रयास शुरू करें।
अगली बार जब आप किसी समस्या से घिर जाएं, तो उसके कई समाधानों पर जनर डालें। दिमाग में आने वाले पहले ही आइडिया पर आंख मूंदकर चलने के बजाय जरा रुकें और अन्य संभावित रास्तों के बारे में विचार करें। इस आसान से तरीके से आप समस्या का बेहतर समाधान कर पाएंगे। साथ ही आपकी रचनात्मक सोच का भी विस्तार होगा।
एक बार जब आप कुछ बुनियादी क्रिएटिव स्किल डेवलप कर लें, तो फिर नयी चुनौतियों से जूझने के लिए तैयार रहें। और अधिक चुनौतीपूर्ण समस्याओं से जूझें। मुश्किलों से पार पाने के लिए पुराने तरीकों के बजाय नये उपाय तलाशें।
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